Saturday 8 October 2022

2022 में दीपावली कब है?2022 में दिवाली का सुभ मुहूर्त कब है?2022 mein diwali kab hai? बिहार में दीपावली कब है 2022

 मस्कार दोस्तों आप सभी को स्वागत है आज का इस New Post  के साथ जिसका title है।2022 में दिवाली कब है।2022 में दीपावली पूजन कब है?दीपावली कौन से महिने में है? सन 2022 में दिवाली कब ह? 2022 में दीपावली कौन से महीने में पढ़ रही?2022 में दिवाली का सुभ मुहूर्त कब है।।दोस्तो अगर आप भी जानना चाहते है तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।

2022 में दीपावली कब है?2022 में दिवाली का सुभ मुहूर्त कब है?2022 mein diwali kab hai

2022 में दीपावली कब है?2022 में दिवाली का सुभ मुहूर्त कब है?2022 mein diwali kab hai 

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दोस्तो आज हम बात करेंगे दीपाली साल 2022 में कब मनाई जाएगी और दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। इसके अलावा हम बात करेंगे। दिवाली की संपूर्ण पूजा के बारे में।

  दोस्तों हिंदू धर्म में दिवाली के त्यौहार का विशेष महत्व है। इसे पूरे भारतवर्ष में बड़ी धूमधाम के साथ  यह त्यौहार मनाया जाता है। धनतेरस से शुरू होकर भैया दूज पर खत्म होता है। 

दीपावली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि दीवाली की रात माता लक्ष्मी स्वयं धरती पर आती हैं।

 इसीलिए दिवाली के दिन घर को साफ सुथरा और प्रकाशन रखना चाहिए और मेन गेट पर सुंदर सी रंगोली और दियों  से सजाना चाहिए। दोस्तों गणेश लक्ष्मी की पूजा के साथ-साथ इस दिन भगवान कुबेर भगवान विष्णु जी माता सरस्वती माता की पूजा करनी चाहिए। पूजा के लिए आप सबसे पहले पूजा स्थल को या सभी सामग्री को गंगाजल छिड़क कर सिद्ध कर लें। 

अब आप एक लकड़ी की चौकी ले और उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछा लें। तत्पश्चात रोलिया हल्दी से उस पर स्वास्तिक का चिन्ह बना ले। अब चौकी पर माता लक्ष्मी का भगवान गणेश जी की प्रतिमा। और साथ ही एक जल भरा कलश रख दें। अब सबसे पहले माता लक्ष्मी व गणेश जी को रोली अक्षत लगाएं। धूप दिए जलाए 

 माता लक्ष्मी जी को कमल के फूल और माला अर्पित करें और गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं। इत्र लगाएं। मेवा मिठाई का भोग लगाएं हैं। फिर बताते अर्पित करके सभी भगवान की पूजा अर्चना करें। तत्पश्चात् भगवान गणेश का माता लक्ष्मी जी की आरती और लक्ष्मी पूजन के बाद आप अपनी तिजोरी और वही खाते का पूजन भी जरूर करें। यह भी अच्छा होता है। इस तरह दिवाली के दिन पूरे विधि विधान से पूजा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होकर आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और घर में सुख समृद्धि और ऐश्वर्य का वरदान देती हैं। 

2022 में दीपावली कब मनाई जाएगी

  • चलिए अब जानते हैं कि साल 2022 में दिवाली का पर्व कब मनाया जाएगा दोस्तों दिवाली 24 अक्टूबर  2022 दिन सोमवार को मनाई जाएगी और अमावस्या तिथि की शुरुआत 24 अक्टूबर 2022 की शाम को 5:27 पर होगी और अमावस्या तिथि की समाप्ति 25 अक्टूबर 2022 की शाम को 4:18 पर होग

2022 में दिवाली का सुभ मुहूर्त कब है?

  •  और दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6:53 से लेकर रात 8.16 मिनिट तक रहेगा। इस  शुभ मुहूर्त की कुल अवधि लगभग एक घंटा 23 मिनिट  तक रहेंगी और प्रदोष काल शाम 5:45 से लेकर रात 8:16 तक रहेगा और वृषभ कल शाम 6:53 से लेकर रात 8:48 तक रहेगा और महान इशिता काल में लक्ष्मी पूजा मुहूर्त  रात 11:40 से लेकर रात 12:31 तक रहेगा। इस मुहूर्त  की कुल अवधि लगभग 4 मिनट की रहेगी। Unista काल का समय  रात 11:40 से लेकर रात 12:31 तक रहेगा और इस दिन सिंहलगन रात 3:30 से लेकर सुबह 3:41 तक रहेगा 

2022 में लक्ष्मी पूजा के लिए चौघड़िया मुहूर्त

  • और बात करें। लक्ष्मी पूजा के लिए चौघड़िया मुहूर्त की तो इस दिन अपराह्न और दोपहर 1:30 से लेकर शाम 5:43 रहेगा और साइन काल मुहूर्त  । शाम 5:45 से लेकर शाम 7:18 तक रहेगा और राज्य मुहूर्त रात 10:30 से लेकर रात 12:05 तक रहेगा और उषाकाल कम हो रहा है। प्रातः कालीन बचकर 1.41 मिनट से लेकर प्रातकाल 6:28 तक रहेगा। 

चौघड़िया अनुसार मुहूर्त
  • शुभ : प्रात: 6.34 से 7.58 तक
  • चर : प्रात: 10.46 से 12.10 तक
  • लाभ : दोप. 12.10 से 1.34 तक
  • अमृत : दोप. 1.34 से 2.58 तक
  • शुभ : सायं 4.22 से 5.46 तक
  • अमृत : सायं 5.46 से 7.22 तक
  • चर : सायं 7.22 से रात्रि 8.58 तक
  • लाभ : मध्यरात्रि 12.10 से 1.46 तक


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दीपावली क्यों मनाई जाती है?


 दीपावली क्यों मनाई जाती है? भारत त्योहारों का देश है यहां कई प्रकार के त्योहार पूरे साल ही आते रहते हैं लेकिन दीपावली सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। यह त्योहार पांच दिन तक चलने वाला सबसे बड़ा पर्व होता है। इस त्योहार का बच्चों और बड़ों को पूरे साल इंतजार रहता है। कई दिनों पहले से ही इस उत्सव को मनाने की तैयारियां शुरू हो जाती है। भारतीय नववर्ष के आधार पर दिपावली के दिन नया वित्तीय वर्ष शुरू होता है।लोगों द्वारा नयी खाता बही डाली जाती है।

दिपावली का अर्थ (Meaning Of Deepawali in Hindi) :

दीपावली का अर्थ है दीपों की पंक्ति। दीपावली शब्द 'दीप' एवं 'आवली' की संधि से बना है। आवली अर्थात पंक्ति इस प्रकार दीपावली शब्द का अर्थ है दीपों की पंक्ति। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं

लेकिन आधुनिकता की दौड़ में दीपावली के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण दीपक और लक्ष्मी गणेश की मूर्तियाँ गढ़ने वाले कुम्हार अपने घरों को रोशन करने से वंचित हैं और अपनी पुस्तैनी कला एवं व्यवसाय से जैसे विमुख हो रहे हैं। कुम्हारों के लिए दीपावली मात्र एक पर्व न होकर जीवन यापन का बड़ा जरिया है।

अमावस्या की अंधेरी रात जगमग असंख्य दीपों से जगमगाने लगती है। यह त्योहार लगभग सभी धर्म के लोग मनाते हैं। इस त्योहार के आने के कई दिन पहले से ही घरों की लिपाई.पुताईए सजावट प्रारंभ हो जाती है। इन दिन पहनने के लिए नए कपड़े बनवाए जाते हैंए मिठाइयां बनाई जाती हैं।

इस दिन लोग अपने घरों को रोशन करतें हैं और धन कि देवी माता लक्ष्मी और गौरी पुत्र भगवान गणेश की पूजा करते हैं इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है इसलिए उनके आगमन और स्वागत के लिए घरों को सजाया जाता है।

यह त्योहार पांच दिनों तक मनाया जाता है। धनतेरस से भाई दूज तक यह त्योहार चलता है। धनतेरस के दिन व्यापार अपने नए बहीखाते बनाते हैं। अगले दिन नरक चौदस के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करना अच्‍छा माना जाता है। अमावस्या यानी कि दिवाली का मुख्य दिनए इस दिन लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है।

खील.बताशे का प्रसाद चढ़ाया जाता है। नए कपड़े पहने जाते हैं। फुलझड़ीए पटाखे छोड़े जाते हैं। दुकानोंए बाजारों और घरों की सजावट दर्शनीय रहती है। अगला दिन परस्पर भेंट का दिन होता है। एक.दूसरे के गले लगकर दीपावली की शुभकामनाएं दी जाती हैं। लोग छोटे-बड़े अमीर-गरीब का भेद भूलकर आपस में मिल.जुलकर यह त्योहार मनाते हैं।

दीपावली का त्योहार सभी के जीवन को खुशी प्रदान करता है। नया जीवन जीने का उत्साह प्रदान करता है। कुछ लोग इस दिन जुआ खेलते हैंए जो घर व समाज के लिए बड़ी बुरी बात है। हमें इस बुराई से बचना चाहिए। पटाखे सावधानीपूर्वक छोड़ने चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि हमारे किसी भी कार्य एवं व्यवहार से किसी को भी दुख न पहुंचेए तभी दीपावली का त्योहार मनाना सार्थक होगा।

दीपावली मनाने के क्या कारण है? (What is the Reason for Celebrating Deepawali in Hindi) :

ये त्योहार हर वर्ष कार्तिक माह की अमावस्या के दिन आने वाला हिंदूए सिख जैन और बौद्ध धर्म के लोगों का त्योहार है और हर धर्म का इस दिन के साथ खास महत्व जुड़ा हुआ है साथ में ही दीपावली को मनाने के पीछे कई सारी कथाएं भी हैं जिसमें से एक कथा इस प्रकार है

जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीत है। राम भगवान की घर वापसी की खुशी में इस दिन भगवान राम जी अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपना 14 साल का वनवास सफलता पूर्वक करके अपने जन्म स्थान अयोध्या में लौटे थे और इनके आने की खुशी में अयोध्या के निवासियों ने दीपावली अपने राज्य में मनाई थी वहीं जब से लेकर अब तक हमारे देश में इस त्योहार को हर वर्ष मनाया जाता है

लक्ष्मी मां का जन्मदिन व विवाह - इस दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था और उनका विवाह भी भगवान विष्णु से इसी दिन हुआ था कहाँ जाता है कि हर साल इन दोनों की शादी का जश्न हर कोई अपने घरों को रोशन करके मनाता है

जैन धर्म के लोगों के लिए विशेष दिन जैन धर्म में पूजनीय और आधुनिक जैन धर्म के संस्थापक जिन्होने दीपावली के दिवस पर ही निर्वाण प्राप्त किया था और अपने धर्म के लिए इस दिन को महत्वपूर्ण बनाया

सिक्खों के लिए विशेष दिन. इस दिन को सिक्ख धर्म के गुरु अमरदास ने रेड - लेटर - डे के रूप में संस्थागत किया था जिसके बाद से सभी सिक्ख अपने गुरु का आशीर्वाद इस दिन प्राप्त करते हैं सन् 1577 में दीपावली के दिन ही अमृतसर के स्वर्ण मंदिर की आधारशिला भी रखी गई थी

पांडवों का वनवास हुआ था पूरा - महाभारत के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन ही पांडवों का वनवास पूरा हुआ था और इनका बाराह साल का वनवास पूरा होने की खुशी में इनसे प्रेम करने वाले लोगों ने अपने घरों में दीये जलाए थे

विक्रमादित्य का राज तिलक हुआ था हमारे देश के महाराजा विक्रमादित्य जिन्होंने दुनिया के सबसे बड़े साम्राज्य पर राज किया थाए उनका राज तिलक भी इसी दिन किया गया था

कृष्ण जी ने नरकासुर को मारा था. देवकी नंदन श्री कृष्ण ने नरकासूर राक्षस का वध भी दीपावली से एक दिन पूर्व किया था जिसके बाद इस त्योहार को धूमधाम से मनाया गया था

फसलों का त्योहार - खरीफ फसल के समय ही ये त्योहार आता है और किसानों के लिए ये त्योहार समृद्धी का संकेत होता है और इस त्योहार को किसान उत्साह के साथ मनाते हैं

हिंदू नव वर्ष का दिन - दीपावली के साथ ही हिंदू व्यवसायी का नया साल शुरू हो जाता है और व्यवसायी इस दिन अपने खातों की नई किताबें शुरू करते हैं और नए साल को शुरू करने के पहले अपने सभी ऋणों का भुगतान करते हैं

दीपावली (Deepawali) का महत्व


दिवाली की तैयारी के वजह से घर तथा घर के आस-पास के स्थानों की विशेष सफाई संभव हो पाती है। साथ ही दिवाली का त्योहार हमें हमारे परंपरा से जोड़ता है, हमारे आराध्य के पराक्रम का बोध कराता है। इस बात का भी ज्ञान कराता है कि, अंत में विजय सदैव सच और अच्छाई की होती है।

दीपावली की सर्वाधिक प्रचलित कथा


दिवाली मनाए जाने वाले कारणों में सबसे प्रचलित कहानी त्रेता युग में प्रभु राम के रावण का वध कर चौदह वर्ष पश्चात माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में पूरी अयोध्या नगरी को फूलों और दीपों से सजाया गया। तब से प्रति वर्ष कार्तिक अमावस्या को दिवाली मनाया जाने लगा।

दीपावली कब मनाई जाती है


उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु के कार्तिक माह की पूर्णिमा को यह दिपोत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है। ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार अक्टूबर या नवम्बर माह में मनाया जाता है।

दिवाली पर निबंध


दीपावली (Deepawali) या दिवाली का अर्थ है दीपों की अवली मतलब दीपों की पंक्ति। यह पर्व विशेष कर भारत और भारत के पड़ोसी देश नेपाल में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य देशों में (जहां हिंदू निवास करते हैं) भी यह विधि पूर्वक मनाया जाता है। यह पर्व अपने साथ खुशी, उत्साह और ढ़ेर सारा उमंग लेकर आता है। कार्तिक माह के अमावस्या को दिवाली का पर्व अनेक दीपों के प्रकाश के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर अमावस्या की काली रात दिपों के जगमगाहट से रौशन हो जाती है। दिपावली पर पुराने रीत के अनुसार सभी अपने घरों को दीपक से सजाते हैं।



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