Tuesday 29 March 2022

bihar me 2022 me navami kab hai?2022 में रामनवमी कब है ? रामनवमी का इतिहास ? 2022 mein ram navami kab ka hai

   मस्कार दोस्तों आप सभी को स्वागत है आज का इस New Post  के साथ जिसका title है।2022 में रामनवमी कब है।2022 की रामनवमी कब है।2022 में रामनवमी कब पड़ेगा।ram navami 2022 start date and end date । दोस्तो अगर आप भी जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।।

 क्या इंसान गायब हो सकता है 

2022 में रामनवमी कब पड़ेगा? 2022 में रामनवमी कब है। 2022 mein ram navami kab ka hai

2022 में रामनवमी कब है ? रामनवमी का इतिहास ? 2022 mein ram navami kab ka hai  

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दोस्तो आज हम इस पोस्ट  में बात करेंगे। रामनवमी साल 2022 में कब मनाई जाएगी और इसकी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। इसके अलावा इस पोस्ट  में जानेंगे। रामनवमी की संपूर्ण पूजा विधि क्या है और साथी हम आपको बताएंगे राम जन्म कथा के बारे में। 

तो आइए शुरू करते हैं। दोस्तों रामनवमी का त्यौहार हिंदुओं के महत्वपूर्ण पर्व में से एक है। इस दिन भगवान श्री राम जी की पूजा अर्चना की जाती है। भगवान राम श्री हरि विष्णु जी के सातवा अवतार थे जिन्होंने धरती पर बुराई और अधर्म का नाश कर धर्म और सत्य की स्थापना की। 

दोस्तों भगवान श्री राम जी का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अयोध्या के राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से हुआ था।जो  शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। 

दोस्तों रामनवमी के दिन आठ पहर का उपवास रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। आप इस दिन प्रात काल सुबह उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई कर ले और सभी पूजन सामग्री एकत्रित करें। फिर आप एक लकड़ी की चौकी ले और उस पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान श्री राम जी की मूर्ति या फोटो स्थापित कर दें। उनकी विधिवत पूजा करें। उन्हें तिलक लगाएं। फूल माला चढ़ाएं। 

दोस्तों इस दिन भगवान राम जी की प्रतिमा को पाल। भगवान श्री राम जी के पूजा के समय तुलसी के पत्ते और कमल का फूल अवश्य रखें। इसके बाद श्री राम नवमी की पूजा करें। भगवान राम को खीर का भोग लगाएं या पंचामृत हलवा दूध का भोग लगा सकते हैं। इसके बाद आप रामायण का पाठ करें या राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। ऐसा करना बेहद शुभ रहेगा। 

दोस्तों इस दिन राम मंदिर में कीर्तन का आयोजन किया जाता है। इससे  बेहद लाभ मिलता है अब  हम जानते हैं राम जन्म की कथा क्या है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान राम का अवतार त्रेता युग में हुआ था। अयोध्या के राजा दशरथ ने पुत्र श्री यज्ञ करवाया और यंग  से खीर प्राप्त की। दशरथ ने अपनी प्रिय पत्नी कौशल्या को खीर दे दी। और कोसिल्या ने  उसमें से आधा हिस्सा कैकई को दे दिया। इसके बाद दोनों ने अपने हिस्से से आधा आधा खीर का हिस्सा तीसरी पत्नी सुमित्रा को दे दिया। इस खीर की  सेवन से चैत्र शुक्ल नवमी को पुनर्वसु नक्षत्र एवं कर्क लग्न में माता कौशल्या के कों से भगवान श्री राम जी का जन्म हुआ।

 इसी तरह कैकई से  भारत तो सुमित्रा से लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। 

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2022 में रामनवमी कितने तारीख को है

  • चलिए अब हम जान लेते हैं कि साल 2022 में रामनवमी का पर्व कब मनाया जाएगा तो आपको बता दें कि रामनवमी 10 अप्रैल 2022 दिन रविवार को मनाई जाएगी

  •  और नवमी तिथि की शुरुआत 10 अप्रैल 2022 की प्रातः काल 1:30 पर हो जाएगी 

  • और नवमी तिथि की समाप्ति 11 अप्रैल 2022 की प्रातः काल 3:15 पर हो। होगी 

2022 में रामनवमी का शुभ मुहूर्त कब है

  • रामनवमी पूजा  का शुभ मुहूर्त सुबह 11:06 से लेकर दोपहर 1:39 तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटा 30 मिनट की है और रामनवमी मतदान का छड़ दोपहर 12:30 पर रहेगा 

तो दोस्तों यह जानकारी आपको अच्छी लगी तो इस पोस्ट शेयर करे ।

रामनवमी का इतिहास

हिंदू धर्म में रामनवमी का विशेष महत्व है कहते है की  इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था रामनवमी के दिन है चैत्र नवरात्र की समाप्ति होती है इस दिन मां दुर्गा और भगवान राम की विधि विधान से पूजा और अर्चना की जाती है तो चलिए जानते हैं रामनवमी का पुराना महत्व और इतिहास 


रामनवमी का त्यौहार बेहद  ही खास होता है क्योंकि इस दिन धरती पर पापों का अंत करने आदर्श राज की परिक्रमा को सच में बदलने के लिए तब भगवान श्रीराम ने जन्म लिया था इस दिन की महिमा इतनी खास है कि अगर रामनवमी के दिन भगवान राम का स्मरण और विधि विधान से पूजा पाठ की जाए सारी मनोकामना पूरी होती है 


पौराणिक कथा हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेता युग में धरती पर अत्याचारों को खत्म करने और धर्मों को फिर से स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया भगवान राम का जन्म चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की नवमी के दिन पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न मे अयोध्या में राजा दशरथ के घर हुआ उनकी माता का नाम कौशल था।


भगवान राम के जन्मदिन के रूप में राम नवमी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन देशभर में कार्यक्रम आयोजन किया जाता है रामनवमी के साथ ही क्षेत्र नवरात्र कब समाप्त होता है राम नवमी क्षेत्र के हिंदू कैलेंडर नवमी दिन मनाई जाती है इस दिन राम नवमी का पर्व धरती पर परमात्मा शक्ति होने का प्रतीक है।


भगवान राम का जन्म लेने का असली मकसद रावण जैसे दुष्ट इंसान विनाश करना था इसलिए रामनवमी का उत्सव की धान की शक्ति अच्छे और बुरे की सास्वत संघर्ष को दर्शाता है 


सूर्य देव की पूजा 

रामनवमी के दिन सूर्य देवता को भी नमन किया जाता है सूर्य को शक्ति का प्रतीक माना जाता है हिंदू मान्यता के अनुसार सूर्य को राम का पूर्वज भी मानते हैं इसी के चलते रामनवमी का शुरुआत सूर्य  देवता की प्रार्थना से की जाती है कहते हैं कि ऐसा करने से ऊर्जा शक्ति का आशीर्वाद मिलता है।


अयोध्या में खासतौर से मनाई जाती है रामनवमी का त्यौहार जैसा कि हम सभी जानते हैं भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था इसी के यहां खासतौर से मनाई जाती है इस पर्व  पर बड़ी संख्या लोग पहुंचते हैं। पवित्र सर्दी नदी में स्नान करते हैं इस दिन सभी नदियों में स्नान करने का महत्व रामचरितमानस में बताया गया है

इस दौरान अयोध्या के गली में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उम्र ता है इस दिन बधाई गीत गाए जाते हैं पूजा पाठ की जाती है रामचरित्र मानस का पाट होता हैं। 8 दिन तक चलते हैं उपवास और नवरात्रि 


रामनवमी से पहले 8 दिन का उपवास किया जाता है इन्हे  चेत्र नवरात्रि भी कहते हैं। नवरात्रि का अर्थ है नवरात्रों का सामो ऐसे तो नवरात्रि का साल में दो बार आती है सर्दी और क्षेत्र हिंदू धर्म में इसे खासतौर से बनाया जाता है चैत्र नवरात्रि को ज्यादा खास मानते हैं क्योंकि हिंदू कैलेंडर का यह पहला दिवस होता है ।


हिंदू लोग नए साल के पहले दिन से 9 दिन तक बड़े शारदा और भक्ति से आस्था के साथ नवरात्रि और चित्र बनाते हैं इस दौरान मां दुर्गा की नौ अलग-अलग रूप शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा कूष्मांडा स्कंदमाता कात्यायनी कालरात्रि महागौरी की पूजा की जाती है।

इसी के साथ नौवें दिन राम जी की पूजा भी करते हैं मनाता है कि 9 दिन के अनुसार मां दुर्गा धरती पर ही रहते। ऐसे में अगर किसी शुभ कार्य की शुरुआत की जाए तो इस पर मां की कृपा जरूर बरसाती है। और वह कार्य सफल होता है।


कहते हैं कि चेत्र नवरात्रि से पहले दिन मां दुर्गा का जन्म हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया इसीलिए चैत्र शुक्ल पक्ष प्रदा से हिंदू धर्म वर्ष सुरु होता हैं नवरात्रि के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने मैट्स रुप में जन्म लिया था और पृथ्वी का स्थापना की चैत्र नवरात्रि में ही भगवान विष्णु का अवतार माने गए और और भगवान राम का जन्म हुआ था 


इस दौरान गुड़ी पड़वा चेत्र नवरात्रि की शुरुआत होता है वही पर आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में उगादि से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होते हैं 8 दिन तो उपवास रख कर नो दिन  को कन्याओं को पूजा कर के आदर्श संस्कार किया जाता है मनाता है की श्री राम ने भी  देवी दुर्गा की पूजा की थी।


सकत पूजा करने के बाद उन्हें धर्म युद्ध पर विजय मिली कहा जाता है कि इसी दिन तुलसीदास ने रामचरितमानस की आरंभ किया था इसलिए धार्मिक के नजरिए से क्षेत्र नवरात्रि का खास महत्व होता है ।

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