2023 में होली कब है?होली कितने मार्च का है। बिहार में होली कब है 2023 ।2023 me holi kab hai।होली कब है।holi 2023 date bihar
आज हम बात करेंगे होली साल 2023 में कब मनाई जाएगी और होली होलिका दहन करने का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा लेकिन इस पोस्ट को पढ़ने से पहले आप हमारे वेबसाइट को सब्सक्राइब जरूर करें
तो आइए शुरू करते हैं तो दोस्तो होली का त्योहार पूरे देश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार को बच्चे बूढ़े और जवान सभी बड़े आनंद और उल्लास के साथ मनाते हैं।होली पर निमंध
2023 में होली कब है जाने दिन तारीक मूहर्त
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होलिका दहन होली के त्यौहार का पहला दिन है यह फागुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इसे छोटी होली भी कहते हैं । इसके अगले दिन रघु से खेलने की परंपरा है ।जिसे दुल्हनडी के नाम से भी जाना जाता है।।
होली बुराई पर अच्छाई की जीत पर मनाई जाता है। होली पर लोग एक दूसरे को रंग अबीर गुलाल लगाते हैं दोस्तों होलिका दहन पूजा का भी विशेष महत्व होता है घर में सुख शांति समृद्धि संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं इस दिन होली के पूजा करती है
होलिका दहन के लिए लगभग एक महीना पहले से तैयारियां शुरू हो जाती है चौराहों पर लकड़ियां इकट्ठा किया जाता है फिर होली वाले दिन शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है ।
दोस्तों होलिका दहन पोराडी तथा इस प्रकार है अशहर हारना सब का पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु जी का परम भक्त था लेकिन यह बात हेरना सब को बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था ।बालक प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से विमुख कार्य उसने अपने बहन होलिका को सौंपा जिसके पास वरदान था अग्नि उसके शरीर को चला नहीं सकता था परलाद को मारने की उधसेह से होलिका उन्हें अपनी गोद में लेकर बैठ गई ।
लेकिन प्रहलाद के भक्ति के प्रताप विष्णु भगवान की कृपा से खुद होली का ही अग्नि में जलकर भस्म हो गई तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए होलिका दहन का पर्व मनाया जाता है फिर उसके 1 दिन बाद रंग वाली होली का पर्व मनाया जाता है का पर्व मनाया जाता है।
यह पर्व भी राधा कृष्ण के पावन प्रेम के अवसर पर मनाया जाता हैं । एक कथा के अनुसार ।एक बार बाल गोपाल ने माता यशोदा से पूछा वे स्वयं राधा की तरह पूरी क्यों नही है । यशोदा ने मजाक में कहा राधा के चेहरे पर रंग मलने से राधा भी कन्हैया की तरह हो जाएगा । उसके बाद कान्हा ने राधा और अपने सहेलियों के साथ होली खेली । तब से यह पर्व रंगो के रूप में मनाया जाता है।
होली का पर्व सबसे ज्यादा धूमधाम से बृज क्षेत्र में मनाया जाता है खास तौर पर बरसना के मां बोली बहुत ही जायदा मशुर है
चलिए सब जानते हैं होली साल 2023में कब मनाई जाएगी । तो आप लोग को बता दे । 2023 में होलिका दहन 08 मार्च 2023को होगा
2023 में कितने तारीख को होली है ?
2023 में होली का मुहूर्त कब है
- होलिका दहन मुहूर्त – 6 बजकर 24 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक
- कुल अवधि – लगभग 2 घंटे 26 मिनट तक
- भद्रा पूंछ – 01:02:09 से 02:19:29 तक
- भद्रा मुख – 02:19:29 से 04:28:23 बजे तक
होली क्यों मनाई जाती है
होली क्यों मान्या जाता हैं
प्राचीन काल में अत्याचारी राक्षस राज हिरण कस्साब ने तपस्या करके ब्रह्मा से वरदान पा लिया कि संसार का कोई भी जीव जंतु देवी देवता राक्षस मनुष्य उसे ना मार पाएं। ना ही यो रात में मरे ना दिन में ना पृथ्वी पर ना आकाश में ना घर में ना बाहर में
यहां तक कि कोई शस्त्र भी उसे ना मार पाएं । ऐसा वरदान पाकर मैं यो अतरान कुश होकर बैठा हिरण कसाव के यहां प्रहलाद जैसा परमात्मा में अटूट विश्वास करने वाला भक्त पुत्र पैदा हुआ। प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की कृपया छाए था हिरण कसाव ने परिवार को आदेश दिया कि मैं उसके अतिरिक्त किसी अन्य की सूची ना करें।
प्रहलाद के ना मानने पर हिरण कश्यप उसे जान से मारने पर उतारू हो गया। उसने प्रहलाद को मारने में अनेक उपाय किया । वे पर्भु कृपा बचते गया । हिरण कसाव के बहन होलिका को अग्नि से बचने का बर्दन था उसको वरदान में ऐसी चादर मिली हुई थी। जो आग में नहीं जलते थे।
हिरण कसाव ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रहलाद को आग में जलाकर मारने की योजना बनाई। होलिका बालक प्रहलाद को गोद में उठा जलाकर मारने के उद्देश्य से वरदान वाली चादर ओढ़ कर आग में जाकर बैठी
यो प्रभु कृपा से यो चादर बालक प्रहलाद पजापड़ी और यो चादर ना होने पर होलिका चित जलकर वही भस्म हो गई। इस प्रकार प्रहलाद को मारने के प्रयास में होलिका की मृत्यु हो गई। तभी से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा। तब पश्चात हीरण कश्यप को मारने के लिए भगवान विष्णु खंबे में अवतार ले के कर हिरण कसाव को मार डाला।
होलिका दहन क्यों मनाया जाता है
होलिका दहन इस लिए क्या जाता है जिससे हमें यह बोध हो जाए कि जितने भी देवी देवता लोग हैं, यह लोग भगवान की शक्ति पा कर कर्म करते हैं और जब भगवान चाहे इनसे अपनी शक्ति वापस ले सकते हैं।
होलिका दहन मनाने की कथा आप जानते ही होंगे कि होली का जो हिरन कायस्ब की बहन थी और प्रहलाद जो हिरण्यकशिपु के बेटे थे जो प्रलाद जी जन्मजात से ही विष्णु जी के भक्त थे और हिरण कस्बा विष्णु जी का दुश्मन था तो हिरण्यकशिपु प्रहलाद को मारना चाहता था तो उसने अनेक उपाय अपनाएं। प्रह्लाद को मारने के लिए।
लेकिन वह नहीं मार सका अंत में उसने होलिका को बुलाया और होलिका से कहा कि तुम इसे लेकर बैठ जाओ। अग्नि में होलिका को यह वरदान प्राप्त था कि उसे कोई भी अग्नि में नहीं जला सकता। अस्तु अंत में यह हुआ की होलिका जल गई और प्रहलाद जी बच गए तो यह क्यों हुआ क्युकी अग्नि देव का प्रलद के ऊपर कोई असर ही नहीं हुआ।
यह इसलिए हुआ क्योंकि आग में जलाने की जो शक्ति है। वह स्वयं भगवान देते हैं। आग को यह अग्नि देवता को भगवान शांति प्रदान करते हैं।
कुछ ऐसी ही कथा आपने सुना होगा जो वेद में आया है जिसके अनुसार एक बार भगवान का याचः का रूप धारण करके जाते हैं और इंद्र अग्नि पवन जो देवता है, वह उनको देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं। वह लोग जाते हैं तो अक्षय ने एक तिनका रख दिया और अग्नि से कहा, इसे चलाओ वायु से कहा, इसे उड़ाओ लेकिन वह नहीं उड़ा सके, क्यों नहीं उठा सके क्योंकि भगवान ने उसकी सकती वापस ले लिया है। भगवान के जो भी सकती है वह भगवान के आधीन है
इस बारे में। गीता भी कहती है 10 41 ,में भगवान की जितनी भी बडी बडी शक्तियां है देवता लोग हैं, अग्नि इंद्र कुबेर यह सब उनके अधीन हैं। लोग शनिदेव की पूजा करते हैं। इंद्र के पूजा करते हैं लेकिन भगवान ने यह बताया है कि किसी की पूजा मत करो। केवल मेरी पूजा करो क्योंकि इस लिए देवता लोग में मेरे आज्ञा अनुसार कार्य करते है और जो तुम्हारे कर्म में जो है उसकी फल प्रदान करते हैं
जैसे सनिदेव आपके कर्म के अनुसार फल देते हैं। वह अपनी तरफ से कॉफ नहीं कर सकते तो देवता लोग भगवान के खिलाफ बगावत नहीं। कर सकते भगवान के अनुसार चलते हैं। तो हम लोग यह मानें कि जितने भी देवी देवता लोग हैं। यह भगवान की शक्ति से कार्य करते हैं। इसलिए देवताओं का पूजन ना करते हुई भगवान का पूजन करें। उनके शरण में जाए इसलिए होलिका दहन किया जाता है जो प्रैक्टिकल रूप में भगवान ने यह बताया कि देखो अग्नि भी चाहे तो तुम्हें नहीं जला सकती।
होलिका दहन की सच्ची कहानी
प्राचीन काल में अत्याचारी राक्षस राज हिरण कश्यप ने तपस्या कर के ब्रह्मा जी से वरदान पा लिया कि संसार का कोई भी जीव जंतु देवी देवता, राक्षस मनुष्य उसे ना मार सके और ना ही वह रात में मरे ना ही दिन में और पृथ्वी पर और ना आकाश में ना घर में और ना बाहर में और यहां तक कि कोई शस्त्र भी उसे ना मार पाए।
ऐसा वरदान पाकर हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानने लगा और वह चहता था की वह हर कोई भगवान विष्णु की तरह उसकी पूजा किया करें। वही अपने पिता के आदेश का पालन ना करते हुए।
हिरण कश्यप के पुत्र प्रह्लाद ने उसकी पूजा करने से इंकार कर दिया और उसकी जगह भगवान विष्णु की पूजा करना शुरू कर दिया। प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की असीम कृपा थी।
अपने पुत्र प्रहलाद को भगवान विष्णु की आराधना करता देख कर नाराज होने की वजह से हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को कई सजाए दी जिनसे वह भी प्रभावित नहीं हुआ। इसके बाद हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका ने मिलकर एक योजना बनाई की।
। वह प्रहलाद के साथ एक चीता पर बैठेगी। होलिका के पास एक ऐसा कपड़ा था जिसे ओढ़ने के बाद उसे आग में किसी भी तरह का।कोई नुकसान नहीं पहुंचता था। दूसरी तरफ प्रहलाद के पास खुद को बचाने के लिए कुछ भी नहीं था।
जैसे ही आग जली वैसे ही भगवान विष्णु की कृपा से होलीका का वह कपड़ा उड़कर पहरलाद के ऊपर चला गया और इस तरह प्रहलाद की जान बच गई और उसकी जगह होलिका उस जगह आग में जल गई यही कारण है
कि होली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। होलिका दहन के दिन एक पवित्र अग्नि चलाई जाती है जिसमें सभी तरह की बुराई अहंकार नकारात्मकता को जलाया जाता है और उसके अगले दिन हम अपने प्रिय जनों को रंग लगाकर त्योहार। सुभ कामनाएं देते हैं। इसके साथ ही नाच गाने और स्वादिष्ट व्यंजनों के साथ इस पर्व का मजा लेते हैं। दोस्तों आप सभी को होली के त्यौहार की बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
होली पर निबंध
प्रस्तावना
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और प्राचीन काल से ही मानव उत्सवों और त्यौहारों का प्रेमी रहा है और हमारे देश में समय-समय पर किसी न किसी त्योहार का आयोजन होता ही रहता है। बता दें कि हिंदुओं की मुख्यता चार प्रमुख त्योहार होते हैं। रक्षाबंधन, दशहरा, दीपावली होली चार प्रमुख त्योहार होते हैं और इनमें से सबसे बड़ा होली का त्यौहार है जो आपसे मित्रता का भाव उत्पन्न करता है।
होली का त्यौहार! फागुन महीने की पूर्णमासी को मनाया जाता है। इस समय बसंत ऋतु का मौसम होता है। होली का प्रारंभ बसंत पंचमी से हो जाता है या हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है जो 1 महीने तक चलता है और इस महीने में होली के गीत वह भाग गए जाते हैं।
सरसों फूली झुमकी बावरे गाय गान टूसी रंगो में रंग बिरंगी चले काम की बाण प्रकृति नई दुल्हन बनी हुई रंगोली खेती भीगी मीठी ब्यार से उड़े पगडंडी रेत
मनाने का कारण
मनाने का करण पर इस उत्सव को मनाने के संबंध में बहुत सारे मत है। अलग-अलग लोक कथाएं बताते हैं तो एक नास्तिक राजा हिरणायकसायब का। तब उसने अपने स्तर भक्त पुत्र प्रहलाद को ईश्वर से विमुख करने के लिए अनेक कष्ट देने को चाहता था कि पहलाद ईश्वर का महत्व ना बने वह की पूजा करें।
अपनी बहन होलिका से उसने कहा कि तुम प्रहलाद को गोदी में लेकर अग्नि में बैठ जाओ और होलिका को वरदान मिला हुआ था कि वह आग में जलेगी नहीं। इसलिए ऐसा कहा गया लेकीन इसका उल्टा हो गया। पुत्र प्रहलाद तो बच गया और होलिका जल गई।
इसीलिए हरसल होलिका का पुतला दहन किया जाता है कि दूसरी कथा है कि होली के संबंध में यह भी कहा जाता है कि भगवान शंकर ने अपने तीसरे नेत्र को खोलकर कामदेव को जला दिया था। इसलिए होलिका दहन होता है। अन्य कक्षाओं के माने तो श्रीकृष्ण ने इस दिन पूतना का वध किया था। इसीलिए होली मनाई जाती है।
प्राचीन काल में यह त्यौहार सामूहिक यज्ञ के रूप में मनाया जाता था जिससे अन्य की आहुति देकर देवताओं को खुश किया जाता। यह कथा भी किसी सीमा तक सत्य मानी जाती है क्योंकि आज भी हम होली में जो गेहूं की बालियां बोलते हैं, एक दूसरे को प्रसाद के रूप में जाने देते हैं। और बड़ों का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं कि छोटे होते हैं और बड़े लोग हैं। उनको आशीर्वाद देते हैं
। होली का वर्णन पर तो इस त्यौहार के आगमन की पहले से ही रंग और गुलाल फेंकना प्रारंभ कर देते हैं। पूर्व से ही लोग रंग खेलने लगते हैं। गुलाब खेलने लगते प्रतीक घर में नाना प्रकार के पकवान और मिठाइयां बनाई जाती हैं।
सभी व्यक्ति बड़ी सुंदर ढंग से मित्र भाव से होली खेलते हैं। मधुर गीत गाते हैं और आपस में रंग तथा गुलाल लगाते हैं। इसके बाद रंग और गुलाल खेलने के बाद प्रत्येक व्यक्ति नए कपड़े पहनते हैं और सभी तो इस भाव को भूलकर प्रेम पूर्वक एक दूसरे से मिलते हैं।
होली में बालक युवा प्रदेश की स्त्री पुरुष सभी का त्यौहार होता है और सभी आपस में अमीर गुलाल मिलते हैं। खेलते हैं रंग पानी में घोलकर। डालते है और खुशियां मनाते हैं। रंग की पिचकारी आभार भरकर एक दूसरे पर डालने से बड़ा ही आनंद आता है।
सभी गुजिया मिठाई खाते हैं और एक दूसरे से गले मिलते हैं। इस त्यौहार पर लोग अपनी दुश्मनी भुलाकर गले मिलते हैं और शत्रुता को भूल जाते हैं। इस दिल को छूने छोटा बड़ा, अमीर गरीब, हस्ताक्षर राजा रंक कोई नहीं सब समान होते हैं।
मनहुआ तो फागुन हुआ देही बनी गुलाल
रतनारी आंखें बने। रस रंगों के जाल
हिलमिल होली खेलीए मन का आपा खोय
कल की किसको क्या पता कोन कहा पर होय
कृषि की दृष्टि से महत्व
इस त्यौहार का संबंध कृषि से भी है । होली का अर्थ है। होला या होरा या कच्चा आन होली के दिनों में चने और गेहूं के दाने अदकच्चे अध्यपक्के तैयार हो जाते है
उन्हें अग्नि भूनकर खाने से बड़ा आनंद आता है। किसान फसल देखकर आंदोलन से मनाते हैं। इस लिए कृष की दृष्टि से बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। इसलिए या त्यौहार बहुत ही महत्वपूर्ण है।
निर्दोष एवं निवारण तो होली का त्यौहार हिंदुओं का सर्वश्रेष्ठ त्योहार माना जाता है। फिर भी इस त्यौहार में कुछ दोस्त उत्पन्न हो गए हैं। लोग शराब भांग गांजा आज मादक पदार्थों का सेवन करते हैं और दूसरों को भी पेय पदार्थों में मिलाकर पिला देते हैं
। कुछ लोग होली के बहाने अपने दुश्मनी भी निकालते हैं और लोगों को नुकसान भी पहुंचाते हैं। लोग दूसरों पर कीचड़ व गुब्बारे फेंकते हैं और इससे लोगों को चोट लग जाती है। हमें इन दोषों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए और इस त्यौहार को प्रेम व सौहार्द पूर्ण वातावरण बनाना चाहिए
दोस्तो हमारा कर्तव्य है। हमे त्योहारों का वास्तविक उद्देश्य समझकर आपस में प्रेम भावनाओं के साथ त्यौहार मनाना चाहिए। नाना प्रकार की कुरीतियों एवं दोषों का त्याग करके त्योहारों को उचित सम्मान तथा सामाजिकता का आदर्श स्थापित करना चाहिए क्योंकि व्यक्ति समाज से ही है। नागरिकता का पाठ दिखता है।
होली के अवसर पर गंदी चीजों का प्रयोग ना करें। छोड़ दें। गंदे गानों पर रोक लगा दे। मादक द्रव्य ऊपर रोक लगा देने का प्रयोग ना करें जिससे इस त्यौहार का दोष मिट जाए तो आप सभी लोगों को इसी के साथ में होली की हार्दिक शुभकामनाएं हैप्पी होली।
यही कारण है होलिका दहन बनाने का
यही होलिका दहन के पीछे की कथा थ
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