Wednesday 4 January 2023

बिहार में 2023 में सरस्वती पूजा कब है ।2023 में सरस्वती पूजा कब है bihar। saraswati puja 2023 bihar

मस्कार दोस्तों आप सभी को स्वागत है आज का इस New Post  के साथ जिसका title है/2023 में सरस्वती पूजा कब हैै?2023 में सरस्वती पूजा कब है Bihar? 2023 में सरस्वती पूजा कितने तारीख का है ?saraswati puja kab hai 2023 mein दोस्तो अगर आप भी जानना चाहते हैं कि 2023 में सरस्वती पूजा कब है तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढे।

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 मित्रों वर्ष 2023 में बसंत पंचमी पूजा कब है, दिन और तारीख क्या है और पूजा करने का शुभ मुहूर्त कब है? पूजा विधि क्या है? जानेंगे इस पोस्ट  में। लेकिन पोस्ट को पढ़ने से  पहले आप से रिक्वेस्ट है कि अभी तक इस चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है। तो सब्सक्राइब जरुर करेंगे और पोस्ट पसंद आए तो पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करेंगे।  

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हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है जो कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी के महीने में पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन ही माता सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा। करने का विधान है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा अर्चना करने से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान की प्राप्ति होती है और आज ही के दिन से शादी विवाह जैसे मांगलिक कार्यों का शुभारंभ होता है।


 साथ में  जीवन खुशहाल रहता है। ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा करने से धन की कमी से परेशान लोगों की समस्या दूर होती है और घर में धान धान का वास होता है। अगर आप जीवन में शत्रु बाधा है तो बसंत पंचमी पर माता सरस्वती की आराधना करने से विरोधी आपके सामने पराजित होंगे।

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 बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की


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 पूजा करने के लिए सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहन ले। फिर पूजा शुरू करें। फिर पूजा करने के लिए व्रत का संकल्प लें कि हे माता सरस! यदि किसी अज्ञानता के कारण बस आपकी पूजा में कोई गलती हो जाए तो उसे कृपा करके माफ करना संकल्प लेने के बाद पूजा स्थान पर माता सरस्वती की प्रतिमा मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। 

वैवाहिक

इसके बाद रोली चंदन हल्दी केसर के लिए सफेद रंग के पुष्प अक्षत अर्पित करें। पूजा के स्थान पर किताबों को अर्पित करें और माता सरस्वती की वंदना का पाठ करें। यदि तो माता सरस्वती के लिए व्रत भी रख सकते।

2023 में सरस्वती पूजा का तारीख कब है

मित्रों आपको बता दें कि वर्ष 2023 में बसंत पंचमी पूजा 26 जनवरी दिन गुरुवार को मनाया jayega

2023 में सरस्वती पूजा का शुभ मुहूर्त कब है

 दोस्तों बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी और पंचमी तिथि की शुरुआत 25 जनवरी 2023 की दोपहर को 12:34 पर होगी और पंचमी तिथि की समाप्ति 26 जनवरी 2023 की सुबह 10:28 तक रहेगी और सरस्वती पूजा का  शुभ मुहरत सुबह 7:12 से लेकर दोपहर 12:34 तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 5 घंटा 21 मिनट की और बसंत पंचमी मध्यम कक्षा दोपहर 12:34 पर रहेगा

दोस्तों वर्ष 2023 में बसंत पंचमी कब है? दिन एवं तारीख क्या है और सरस्वती पूजा करने का शुभ मुहूर्त कब है? जानेंगे। इस पोस्ट  में पोस्ट शुरू करने से पहले अभी तक इस वेबसाईट  को सब्सक्राइब नहीं किया है तो सब्सक्राइब करें। ज्यादा से ज्यादा शेयर करें

 तो दोस्तो  हिंदू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का पर्व हरसाल  माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है जो कि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी या फरवरी माह में पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन ही माता सरस्वती का जन्म हुआ था। इसीलिए बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा की जाती है।

 मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा आराधना करने से बुद्धि का विकास होता है और ज्ञान की प्राप्ति होती है। ऐसी मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा करने। की कमी नहीं होती। बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा करने से पहले स्नान आदि करके शुद्ध हो जाए। फिर पूजा करने के लिए व्रत का संकल्प लें कि है माता सरस्वती यदि किसी अज्ञानता के कारण भूलवश आपकी पूजा में कोई गलती हो जाए तो उसे कृपया कर कर माफ करना संकल्प लेने के बाद पूजा स्थान माता सरस्वती माता सरस्वती की प्रतिमा या मूर्ति को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें। 

इसके बाद रोली, चंदन, हल्दी, केसर, पीले या सफेद रंग के पुष्प पीली मिठाई और अक्षर आदि अर्पित करें कि पूजा के स्थान पर किताबों को अर्पित करें और माता सरस्वती की वंदना या पाठ करें। यदि आप विद्यार्थी है। तो माता सरस्वती के लिए व्रत भी रख सकते हैं। 

दोस्तों बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 दिन गुरुवार को मनाई जाएगी और पंचमी तिथि की शुरुआत 25 जनवरी 2023 की दोपहर को 12:34 पर होगी और पंचमी तिथि की समाप्ति 26 जनवरी 2023की सुबह 10:28 तक रहेगी और सरस्वती पूजा का सुबह 7:12 से लेकर दोपहर 12:34 तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 5 घंटा 21 मिनट की और बसंत पंचमी मध्यम कक्षा दोपहर 12:34 पर रहेगा

 

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सरस्वती पूजा का इतिहास

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना की और सृष्टि से प्रभावित होकर इसे अपनी आंखों से देखना चाहते थे। इसलिए, वह एक यात्रा पर निकल पड़ा, लेकिन पृथ्वी ग्रह पर सभी के पूर्ण मौन और अकेलेपन से निराश था। इस पर बहुत विचार करने के बाद उनके पास एक विचार आया और एक विचार आया जिसके अनुसार उन्होंने अपने कमंडल में थोड़ा पानी लेकर हवा में छिड़क दिया। हाथ में वीणा लिए एक देवदूत एक पेड़ से प्रकट हुआ और उससे कुछ बजाने का अनुरोध किया गया। ब्रह्मा ने उसे ऐसा करने के लिए कहा ताकि पृथ्वी चुप न रहे और देवदूत ने पृथ्वी के लोगों को अपनी आवाज से आशीर्वाद देने के लिए बाध्य किया, ग्रह को संगीत से भर दिया। उस देवदूत को सरस्वती या वीणा वादिनी (वीणा वादक) के रूप में जाना जाने लगा, जो वाणी, ज्ञान, संगीत और कला की देवी हैं जो आवाज, बुद्धि, बल और महिमा प्रदान करती हैं।

सरस्वती पूजा क्यों मनाया जाता हैं


बसंत पंचमी / सरस्वती पूजा का महत्व: सभी मौसमों के राजा के रूप में जाना जाता है, बसंत पंचमी का त्योहार वसंत को उसके सभी वैभव और रंगों में मनाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती भगवान ब्रह्मा के 'कमंडल' से प्रकट हुई थीं। ऐसा कहा जाता है कि दुनिया के निर्माता के रूप में, भगवान ब्रह्मा ने महसूस किया कि उनकी रचना में जीवन के उत्साह और लय का अभाव है। कोई खुशी और सकारात्मक ऊर्जा नहीं थी। उन्होंने भगवान शिव और भगवान विष्णु से परामर्श किया। यह उस समय था जब देवी सरस्वती प्रकट हुईं या भगवान ब्रह्मा के 'कमंडल' से पैदा हुईं, धार्मिक कथा कहती है। सभी सफेद वस्त्र पहने, देवी सरस्वती ने दुनिया में सकारात्मक ऊर्जा, ज्ञान का संचार किया। इसलिए, भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से बिहार और पश्चिम बंगाल में बसंत पंचमी का त्योहार देवी सरस्वती की प्रार्थना के साथ मनाया जाता है। इस दिन कई स्कूलों से लेकर अन्य शिक्षण संस्थानों में सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है। हालांकि, इस साल कोरोनावायरस महामारी के कारण, उत्सव बहुत कम हैं और घरों तक ही सीमित हैं। छोटे समुदाय स्तर के समारोह पूरे भारत में देखे जाते हैं।

सरस्वती पूजा का मंत्र

या कुंडेंदु-तुषारा-हारा-धवला, या शुभ्रा-वस्त्रव्रत, या वीणा-वर-दंड-मंदिता-कारा, या श्वेता-पद्मासन॥ या ब्रह्मच्युत-शंकर-प्रभार्तिभिरो देवैः सदा वंदिता, सा मम पातु सरस्वती भगवती निहशेष-जद्यपह:

सरस्वती पूजा पर निबंध

बसंत पंचमी भारत देश में मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध त्योहार है। बसंत पंचमी बसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है। वसंत का त्यौहार हिंदू लोगों में पूरी खुशी के साथ मनाया जाता है। बसंत ऋतु तथा पंचमी का अर्थ है शुक्ल पक्ष का पांचवा दिन बसंत पंचमी का क्या शुक्ल पक्ष का पांचवा दिन में अगर कहे तो बसंत पंचमी को बसंत ऋतु के पांचवे दिन के रूप में मनाया जाता है। बसंत पंचमी भारतीय महीने के पांचवें दिन माघ में आती है। इस त्यौहार को सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है। यानी बसंत पंचमी सरस्वती पूजा के नाम से भी जानते हैं। बसंत पंचमी का त्यौहार कैसे मनाया जाता है या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता नमस्तस्ए। नमस्तस्ए नमो नमः जानते हैं, कब मनाई जाती है तो बसंत पंचमी का त्यौहार माघ महीने की पंचमी को मनाया जाता है। मुख्यतः बसंत पंचमी विद्यालयों में और शिक्षा से जुड़े लोगों द्वारा फरवरी माह में मनाई जाती है। मनाने का कारण रबसंत पंचमी को वृत्तियों का राजा कहा जाता है। रितु की राजा बसंत का आगमन होता है और मस्त ही नहीं। अन्य जीव-जंतु पेड़-पौधे भी खुशी से नाच उठते हैं। इसमें और इस समय मौसम बहुत ही सुहाना हो जाता है जो बसंत ऋतु जो है यो बहुत ही सुहावने ऋतु होती है। बहुत सुहावना मौसम होता है। बसंत पंचमी को मां सरस्वती के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कोई भी शुभ काम शुरू करने का सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। जो भी शुभ काम होते हैं को शुरू करने का सबसे अच्छा मुहूर्त माना जाता है। खास इस दिन को सबसे श्रेष्ठ मुहूर्त की उपाधि दी गई है भारत के। अलग-अलग राज्यों में इसे मनाने का तरीका भी अलग अलग ही है, लेकिन भावना सबकी वाग्देवी से आशीर्वाद पाने की ही होती है। यानी मां सरस्वती से आशीर्वाद पाने कीहोती है संगीत की देवी होने के कारण इस दिन को सभी कलाकार बहुत जोश खरोश से इस दिवस को मनाते हैं और मां सरस्वती की पूजा करते हैं।

बसंत पंचमी का वर्णन

बसंत पंचमी का वर्णन कैसे बनाई जाती है, इसके बारे में जानते हैं। हिन्दू रीत में ऐसी मान्यता है कि इस दिन सुबह सुबह बेसन के उपसन से स्नान करना चाहिए। इसके बाद पीले वस्त्र धारण मां सरस्वती की पूजा अर्चना करनी चाहिए और पीले भजनों का भोग लगाना चाहिए क्योंकि पीला रंग बसंत ऋतु का प्रतीक है और माता सरस्वती को ही पसंद है। ऐसा कहा जाता है । पुरे भारत में सभी शिक्षण संस्थानों में सरस्वती पूजा की धूम रहती है। पूरे रीति-रिवाज से शिक्षण संस्थानों में विधिवत पूजा-अर्चना संपन्न की जाती है। बच्चे इस दिन बहुत ही उत्साहित रहते हैं। इसके अलावा जगह-जगह पर पांडव बनाकर भी पूजा होती है। ऐसा प्रतीत होता है जैसे मां सच में धरती पर उतर आई हो और अपने आशीष की बता कर रही हो। आशीर्वाद दे रही हो। बसंत पंचमी पर हमारी फसलें गेहूं जौ चना जो है यह तैयार हो जाती है। इसलिए इसकी खुशी में हम बसंती का त्यौहार मनाते हुए लोगों का ऐसा भी मानना है। संध्या के समय बसंत का मेला भी लगता है जिसमें लोग परस्पर एक दूसरे के गले लगा कर आपस में इतने मेलजोल और आनंद का प्रदर्शन करते हैं। कहीं-कहीं पर बसंत रंग की पतंगे भी उड़ाने का कार्यक्रम बड़ा ही रोचक होता है। इस पर्व पर लोग बसंती कपड़े पहनते हैं और बसंती रंग का भोजन करते हैं और मिठाई अभी खाते हैं। बसंत ऋतु का राजा कहलाता है जिसमें प्रकृति का सौंदर्य भी दूर से बढ़कर होता है। वन उपवन भात भात के पुष्पों से जगमगा उठते हैं गुलमोहर चंपा! सूर्यमुखी और गुलाब के पुष्पों के समंदर से आकर्षित रंग बिरंगी, तितलियां और मधुमक्खियों की मांग रसपान की होड से लगी रहती है इनकी सुंदरता। देख कर मन से भी खुशी से झूम उठता है। विद्यार्थियों के लिए भी या जोहार बहुत ही आनंददायक होता है। इस पर्व को भारत में स्कूलों कालेजो यूनिवर्सिटी में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। सभी विद्यार्थी इस दिन पूजा सामग्री लेकर अपने विद्यालय जाते हैं। मां सरस्वती की मूर्ति स्थापित की विधि विधान से पूजा की जाती है। इस पर्व पर विद्यालय में सरस्वती की पूजा होती है और शिक्षक विद्यार्थियों को विद्या का महत्व बताते हैं और पूरे उल्लास के साथ बढ़ने की प्रेरणा भी देते हैं। बसंत पंचमी का यह मौसम बहुत ही सुहाना होता है। इस समय खेतों में फसलें लहराते हुए बहुत सुंदर लगते हैं। इस दिन बाद यंत्रों किताबों संगीत से जुड़ी यंत्र की पूजा की जाती है। बसंत पंचमी कि दिन पतंग भी उड़ाई जाती है? बसंत पंचमी मौसम इतवार में से एक है जोके मौसम के आगमन का प्रतीक है, यह सर्दियों को विदाई भी देता है। बसंत पंचमी का त्यौहार मन को शीतलता प्रदान कर दें और प्रकृति में नई ऊर्जा प्रदान करने का कार्य करता है। यह त्यौहार हमारी ऋतु के प्रति प्रेम भाव को दर्शाता है। बसंत पंचमी के अवसर पर मां सरस्वती की पूजा करके इस त्यौहार को मनाया जाता ह

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