नमस्कार दोस्तों आप सभी को स्वागत है आज का इस New Post के साथ जिसका title है।2022 में रक्षाबंधन कब है।2022 में रक्षाबंधन कब पड़ेगा।2022 में रक्षाबंधन किस तारीख को है। दोस्तो अगर आप भी यह सब जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।
2022 में रक्षाबंधन कब है। 2022 में रक्षाबंधन कब पड़ेगा ।2022 me raksha bandhan kab hai
दोस्तों आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे। रक्षाबंधन साल 2022 में कब मनाया जाएगा और राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। इसके अलावा हम आपको बताएंगे। किस दिन भद्रा काल का समय क्या रहेगा क्योंकि हमारे शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल में रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाता है। लेकिन अगर अभी तक आपने हमारे चैनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो जल्दी से सब्सक्राइब कर दे साथ ही इस पोस्ट को कॉमेंट करें और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें तो आइए शुरू करते हैं।
रक्षाबंधन का पर्व क्यों मनाया जाता है
दोस्तों रक्षाबंधन का त्यौहार हिंदू धर्म के बड़े त्योहारों में से एक है जिसे सावन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस रक्षाबंधन के ऊपर के साथी सावन माह की समाप्ति हो जाती है। यह त्यौहार भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में रक्षा सूत्र यानी राखी बांधकर भाइयों से अपनी सुरक्षा का वचन लेती हैं। ऐसी मान्यता है कि भाई के दीर्घायु तरक्की व खुशियों की कामना की। अगर behan राखी बांधे तो भाई सारे कष्टों से दूर रहेंगे और जीवन में तरक्की करेंगे। आपको बता दें कि शास्त्रों के अनुसार काल में राखी नहीं बांधी चाहिए। इस मुर्ख को बेहद शुभ माना गया है। कहा जाता है कि लंकापति रावण ने भद्र मुहूर्त में। अपनी बहन से राखी बंधवा ली थी जिसके ठीक 1 साल के अंदर ही उनका सर्वनाश हो गया था।2022 में रक्षा बंधन कितनी तारीख को है
चलिए अब हम जानते हैं कि साल 2022 में रक्षाबंधन का पर्व कब मनाया जाएगा तो आपको बता दें कि रक्षाबंधन का पर्व। 11 अगस्त 2022 दिन गुरुवार को मनाया जाएगा और पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 11 अगस्त 2022 की सुबह 10:38 पर हो जाएगी और पुण्यतिथि की समाप्ति 12 अगस्त 2022 की सुबह 7:05 पर होगी और राखी बांधने के लिए प्रदोष काल का शुभ मुहूर्त की रात को 8:51 से लेकर रात 9:13 तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 22 मिनट की है और इस दिन की शुरुआत 11 अगस्त की सुबह 10:30 पर हो जाएगी और भद्रा काल का अंत 11 अगस्त की रात को 8:50 पर होगा। दोस्तों इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा पड़ने के कारण दिन के समय रक्षाबंधन का त्यौहार नहीं मनाया जाएगा। अभद्र समाप्त होने के बाद रात 8: 51 मिनट के। बाद रक्षाबंधन का त्योहार मना सकते हैं तो दोस्तों यह जानकारी आपको अच्छी लगी हो तो शेयर जरूर करे और अगर आपका कोई सवाल हो तो उसे कमेंट बॉक्स में पूछ ल
रक्षा बंधन का इतिहास
आज हम बात करेंगे भाई बहन के उस पर्व की जिसे पूरे भारत में हार साल काफी हर्षोल्लास से मनाया जाता है जी हां हम बात कर रहे हैं। रक्षाबंधन की रक्षाबंधन का इतिहास सिंधु घाटी की सभ्यता से जुड़ा हुआ है।
लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि रक्षाबंधन की परंपरा की शुरुआत बहनों ने शुरू नहीं की थी। जी हां, अब आप भी सोचेंगे कि इसे किसने शुरू किया। राखी का चलन तो आइए जाने क्या है। राखी का इतिहास इतिहास के पन्ने को देखें तो इस पर्व की उत्पत्ति लगभग 6000 साल पहले बताई गई है।
इसके कई साक्ष्य भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। बहनों को जहां भाइयों की कलाई में रक्षा का धागा बांधने का बेसब्री से इंतजार होता है तो वही देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे भाइयों को भी। इस बात का इंतजार रहता है कि उनकी बहन ने उन्हें जरूर ही इस खास पर्व पर राखी भेजेंगे।।
। सगी बहन नहीं तो भी कोई समस्या नहीं। हममेंमें मुंह बोली, बहनों से राखी बनवाने की परंपरा भी काफी पुरानी है। इसलिए उन भाइयों को भी निराशा का सामना नहीं करना पड़ता जिनकी अपनी कोई सगी बहन नहीं है क्योंकि इसमें रक्षाबंधन की परंपरा ही उन बहनों ने शुरू की थी जो सगी नहीं थी। भले ही उन
बहनों ने अपने संरक्षण के लिए ही इस पर्व की शुरुआत क्यों न की हो, लेकिन उसी बदौलत आज भी इस पर्व की मान्यता बरकरार है।
बात करें। अगर रानी कर्णावती और सम्राट हिमायू की तो रक्षाबंधन की शुरुआत की। सबसे पहले ऐतिहासिक साक्ष्य रानी कर्णावती और सम्राट हुमायूं है। मध्यकालीन युग में राजपूत और मुस्लिमों के बीच संघर्ष चल रहा था रानी कर्णावती। चित्तौड़ के राजा के विधवा थी।
उस दुरान गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा का सुरचा का कोइ रास्ता ना देखकर रानी ने देखकर के लिए कोई रास्ता ना निकलता देखकर रानी ने हुमायूं को राखी भेजी थी तब कुमायूं उन्हें रक्षा का बहन का दर्जा दिया था
दूसरा परवान आई जनरल सेंट्रल और पूर्व के बीच का माना जाता है। कहा जाता है कि हमेश विजय रहने वाला एक्सजेंडर भारती राजा पूर्व की ब्रिचंड थे इससे अलेक्जेंडर की पत्नी काफी तनाव में आ गई थी। उन्होंने रक्षाबंधन के त्यौहार के बारे में काफी सुना था। उन्होंने भारतीय राजा पूर्व को राखी भेजी तब जाकर युद्ध की स्थिति समाप्त lहुई थी क्योंकि भारतीय राजापुर उनकी पत्नी को बहन मान लिया था
इतिहास का एक और उदाहरण कृष्ण और द्रौपदी को माना जाता है। कृष्ण भगवान ने राजा शिशुपाल को मारा था। युद्ध के दौरान जब कृष्ण के बाएं हाथ कीn उंगली से खून बह रहा था तो इसे देखकर द्रौपदी बेहद दुखी हुई और उन्होंने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की उंगली में बांधी दी जिससे उनका खून बहना बंद हो गया। कहा जाता है तभी से कृष्ण ने द्रौपदी को अपनी। बहन स्वीकार कर लिया था
इस घटना के बाद सालों के बाद द्रोपदी को जुए में हार गए थे भरी सभा में उनकी बेइज्जती हुई थी तब कृष्ण ने भाई का धर्म निभाते हुए द्रोपदी की लाज बचाई थी
तो याद भी रक्षाबंधन की इतिहास की बारे में कुछ जानकारी बातें।
रक्षा बंधन पर निबंध
प्रस्तावना
रक्षाबंधन का त्यौहार भाई बहन के प्यार का प्रतीक है। यह त्यौहार मुख्यता हिंदुओं का त्यौहार है। पर इसे भारत के सभी धर्मों के लोग उत्साह और भाव से मनाते हैं। रक्षाबंधन का त्यौहार सावन के महीने के दौरान आता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर एक पवित्र धागा बांधते हैं और भाइयों के लिए अच्छे स्वास्थ्य तथा भाग की कामना करते हैं। दूसरी ओर भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं
मनाने का समय।
भारतीय संस्कृति के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। और अंग्रेजी महीनों के अगर बात करें तो अगस्त महीने में मनाया जाता है। यह त्यौहार भाई बहन को इस स्नेह की डोर से बांधा है। प्यार की डोर से बांध का है।
रक्षाबंधन का पर्व श्रवण की पूर्णिमा को मनाए जाने के कारण इसे श्रावणी पर्व के नाम से जाना जाता है। इसीलिए इस लावणी पर्व के नाम से भी जानते हैं। इसको हम ऐसे भी कह सकते हैं कि जो रक्षाबंधन है रक्षाबंधन हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन के महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और इसको को आम भाषा में सावन का महीना भी कहते हैं। सावन का महीना मतलब रक्षाबंधन सावन महीने के अंतिम दिन मनाया जाता है।
रक्षा बंधन का अर्थ
इसका अर्थ क्या है तो रक्षाबंधन का शाब्दिक अर्थ है। रक्षा करने वाला बंधन मतलब धागा तो इस पर्व में बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हैं और बदले में भाई जीवन भर उनकी रक्षा का वचन देते हैं
मनाने का कारण
मनाने का करण मतलब क्यों और कब से मनाया जा रहा है तो इतिहास प्रसंग के अनुसार महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु के बाद बहादुर शाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया और मेवाड़ पर आक्रमण करके उसे चारों ओर से घेर लिया। तब मेवाड़ की महारानी कर्मावती ने दिल्ली के बादशाह हुमायूं को राखी भेजी थी ताकि उनकी और राज्य की रक्षा हो। बादशाह हुमायूं ने राखी के पवित्र महत्व को समझा और मेवाड़ के लिए तुरंत प्रस्थान किया और वहां जाकर के जो बहादुरशाह था उसको युद्ध में पराजित किया।
इन्होंने बहादुर शाह को पर। और मेवाड़ की रक्षा की इस तरह से अपना कर्तव्य पूरा किया और तभी से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा।
अगर दूसरी कथा की मानें तो इतिहास में श्री कृष्ण और द्रौपदी की कहानी प्रसिद्ध है जिसमें युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ने उंगली जो वह घायल हो गई थी तो श्रीकृष्ण की घायल उंगली को द्रोपदी ने अपनी साड़ी में से एक टुकड़ा काटकर बांधा था और इस उपकार के बदले श्रीकृष्ण ने द्रोपति को किसी भी संकट में होने पर उनकी सहायता का वचन दिया था
रक्षाबंधन का वर्णन
। रक्षाबंधन का वर्णन या कहे तो रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है। वर्णन कैसे मनाते हैं तो रक्षाबंधन के दिन बहने सुबह तैयार होकर नए कपड़े पहनकर थाली की सजावट करती हैं। उसमें क्या-क्या रखते हैं। राखी सिंदूर, चावल और मिठाई को रखती हैं। बहने भाइयों के माथे पर तिलक करके भाई की कलाई। बांधती है, आरती उतारती हैं और मिठाई खिलाते हैं तथा भाई की लंबी आयु और उन्नति की कामना करती हैं।
राखी बनवाने के बाद भाई अपनी बहन को गिफ्ट देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं। रक्षाबंधन का पर्व आने पर तो बाजारे होती हैं। बाजार रंग-बिरंगी राखियों से सजाते हैं। राखी की दुकानों पर खरीदारी की भीड़ लग जाती है। देश के अन्य भागों में यह पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। दिल्ली हरियाणा उत्तर प्रदेश राजस्थान आज राज्यों में सरकारी छुट्टियां रहते हैं। स्कूल वगैरह बंद रहते हैं। इस अवसर पर तरह-तरह के तमाशे खेलो और रंगारंग कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है
राखी का महत्व
राखी का महत्व यह पर्व भाई-बहन के रिश्तो की अटूट डोर का प्रतीक है और भारतीय परंपराओं का या एक ऐसा पर्व है जो केवल भाई बहन के। स्नैह के साथ-साथ। और सामाजिक संबंध को मजबूत करता है। इसीलिए यह पर्व भाई-बहन को आपस में जोड़ने के साथ-साथ सांस्कृतिक व सामाजिक महत्व रखता है।
यह भी कह सकते है की प्राचीन काल में राखी के महत्व का इससे पता लगता है कि रानी कर्मावती ने हुमायूं को राखी भेज कर अपनी रक्षा की याचना की थी और मुस्लिम होते हुए भी हुमायूं ने राखी का गौरव रखा और वहां जाकर बहन कटौती की रक्षा की थी।
उपसंघार
आज का त्यौहार है ना जो यो हमारी संस्कृति की पहचान है और हर भारतवासी को इस त्यौहार पर गर्व है। लेकिन भारत में जहां बहनों के लिए इस विशेष पर्व को मनाया जाता है, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो भाई की बहनों को गर्भ में ही मार देते हैं तो ऐसा नहीं होना चाहिए। आज कहीं भाइयों की कलाई पर राखी इसीलिए नहीं बन पाती है क्योंकि उनकी बहनों को उनके।
माता पिता ने इस दुनिया में आने ही नहीं दिया या त्यौहार हमें यह भी याद दिलाता है कि बहने हमारे जीवन में कितना महत्व रखती हैं।
आज यहां पर मात्र लेनदेन का माध्यम बन गया है। जरूरत है कि फिर से इस पर्व के लिए पवित्र भावना पैदा हो।
इसी के साथ आप सभी लोगों को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाए।
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