Friday 9 June 2023

श्री कृष्ण की मौत कैसे हुई थी ?श्री कृष्ण की मृत्यु कब हुई थी? श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई

नमस्कार दोस्तों आप सभी को स्वागत  है आज का इस New Post  के साथ जिसका title है।श्री कृष्ण की मौत कैसे हुई थी ?श्री कृष्ण की मृत्यु कब हुई थी? श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई । अगार आप भी जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढे।

श्री कृष्ण की मौत कैसे हुई थी ?श्री कृष्ण की मृत्यु कब हुई थी? श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई

श्री कृष्ण की मौत कैसे हुई थी ?श्री कृष्ण की मृत्यु कब हुई थी? श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई ।

दोस्तो आप यह सभी जानते हैं की द्वापर युग में भगवान विष्णु  श्री कृष्ण के रूप में जन्म लिए थे लेकिन क्या आप यह जानते। की भगवान विष्णु के इस रूप का मृत्यु का कारण त्रेता युग में इसके द्वारा धारण क्या गया भगवान राम अवतार ही था जी हां इससे जुड़ी संपूर्ण जानकारी हमारे पुराने ग्रंथ महाभारत के नस्ली पर रामायण में दी गई है।

तो चलिए आज हम मिलकर जानते हैं की आखिर यो कोन से करण थे जिन्होंने भगवान विष्णु के इन दोनो रूपो को एक दुसरे से जोड़े रखा और भगवान कृष्ण की मृत्यु का कारण बना । ।

श्री कृष्ण की मौत कैसे हुई थी ?

दोस्तो जेसे की आप जानते है जिस प्रकार तैरता युग में भगवन विष्णु ने रावण का वद करने के लिए मामुष्य रुप धारण कर के भगवन श्री राम का अवतार लिया था ठीक उसी प्रकार द्वारपा  युग में धारती पर यधार्म को नाश करने के लिए भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण के रूप में अवतरित हुए थे लेकीन यह तो सभी जानते है

की परम पिता ब्रह्मा के बनाया हुआ एक वरदान यह है की जिस प्राणी ने इस धरती पर नश्वर शर्मा के अनुसर जन्म लिया है उनकी एक  दिन मृत्यु होना भी तय है इसी कारण त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने अपने  शरीर का तयाग  किया था । और द्वार पर युग में  भगवान श्री कृष्ण को पृथ्वी  को त्याग कर जाना पड़ा था 

मित्रों यह तो आपने भी सुना होगा भगवान श्री कृष्ण को जाना नामक एक पहेली ने  तीर मारा था जो भगवान कृष्ण की मृत्यु का कारण बाना परंतु यहां पर यह प्रश्न उठता है कि भगवान विष्णु के अवतार को जरा जैसा एक साधारण पहेलियां मारने में सक्षम कैसे हो सकता है। अगर भगवान कृष्ण चाहते तू यो भी  श्रीराम की तरह देह तयग  कर भी सकते थे। परंतु ऐसा ना हो लेकिन। यह क्या करण रहा होगा।

 तो मित्रों महाभारत के अनुसर भगवान कृष्ण की मृत्यु महाभारत की युद्ध की समाप्ति के 36 वर्ष बाद हुई थी और इसके पीछे गंगा धारी का यो सराफ था जो गंगा धारी ना भगवान कृष्ण को जो महाभारत में युद्ध में दोषी ठहराते हुए सराफ दिया था और कहा था जिस तरह गौरव वंश का नाश हुआ ठीक उसी प्रकार तुम्हारे वंश का विनाश होगा ।

इससे संबंधित एक और कथा रामायण में हमें मिलती है। यह कथा उस समय की है जब त्रेता युग में भगवान श्री राम वन मे  14 वर्ष का वनवास काट रहे थे और जब रावण ने अपने बहन सुरफनाका का बदला लेने के लिए माता सीता का हरण किए थे । उसी माता सीता की खोज में राम और लक्ष्मण वन में भटक रहे थे। तभी उसकी मुलाकात एक सुकरी नमक एक बंदर से हुई ।

जो खुद अपने भाई बाली के द्वारा अपने पत्नी को छीने जाने से दुखी था यह सुनकर भगवन राम को साहनी होती है। और यह दोनो दोस्त बन जाते है ।उसके बाद सुक्रिव भगवन श्री राम को माता सीता की खोज में मदद करते हैं। ।

और भगवान श्री राम जी भी  शुक्रिव का भाई  बाली को मार कर उसकी पत्नी और राज को दिलाने का वचन देते हैं। श्री राम जी एक दिन यही वचन निभाने के लिए ।एक दिन बाली और सुक्रीव के बीच युद्ध करवाया । उसी टाइम युद्ध कर रहे बाली को उस टाइम श्री राम जी ने छुप कर बाली को तिर से मार डाला । 

और ऐसा करने के पीछे का करण यह था की बलि बहुत ज्यादा बलवान था की उसे सामने से कोई भी मार नही सकता था। इसी लिए भगवान श्री राम जी। को इस तरह छुप कर  मारने की  आवश्यकता पड़ी।

बाली की मृत्यु को देख कर उसकी पत्नी तारा बहुत दुःखी हुई और यह क्रोध में आकर भगवन राम को यह स्राफ दे दिया की  जिस प्रकार तुमने मेरा पति को छुपकर मारा है इसी प्रकार मेरा पति अगले जन्म में छल से तुम्हें छुपकर मारेगा। और मित्रों कहा जाता है।

बाली की पत्नी तारा के करण ही उसकी पति बाली ने दुव्रका युग में एक पहेलियां के घर में जन्म लिया जिसका नाम जरा पड़ा जरा रात के समय में अपने धनुष के बान से पेड़े पे बैठे पशु पंछियों का सीकर करता था 

और कहा जाता हैं भगवान श्री कृष्ण की पैर के तलवे में जन्म से एक चिन्ह था जो रात के अंधेर में चमकता था और वही चिन्ह मृत्यु का कारण भी बाना।

और बताते हैं कि  एक नाम बलराम जी के देहात तेयाग्ने के बाद भगवान श्री कृष्ण नदी के तट पर एक पेड़ पर बैठे हुए थे तब उसके पैर के नीचे चमकते चीन को देखकर उस समय शिकार पर निकले बहेलिया जारा ने उसे चमकते हुए देख कर लग की किसी पक्षी का आंख है और निशाना साध कर तिर चाला दिया लेकिन जब उसने पास जाकर देखा तब वे घबरा गया क्युकी उसने भगवान श्री कृष्ण के पेरो में तीर मार दिया था

यह देख कर हाथ जोड़कर  भगवान के पैरों में गिर गया और छमा मगने लगा तब भगवान श्री कृष्ण ने उस बहेलिया से कहा हे जारा तू डर मत तुमने कोई गलती नहीं की है यह गलती  की गई पूर्वजन्म में की सजा है 

 तब भगवान श्रीकृष्ण  ने जारा को कहने लगे की तुम पूर्ण जन्म में महाराज बाली हुआ करते थे जिसे मैं नेही एक पेड़ के पीछे छुप कर मारा था और उस वक्त मिले सराफ के कारण ही तुमने भी इसी तरह बिना देखे छिपकर बन चलाएं है इसलिए तुमने कोई पाप नहीं किया है । और  मेरे कृपया से तुम से भी संवर्ग में  वास करोगे।

श्री कृष्ण की मौत कैसे हुई थी ?

श्री कृष्ण की मृत्यु कब हुई थी?

 श्री कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई 


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