Saturday 16 July 2022

इंसान की औकात क्या है ? insan ki aukat kya hai ? इंसान की औकात क्या होती है?

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नमस्कार दोस्तों आप सभी को स्वागत  है आज का इस New Post  के साथ जिसका title है।इंसान की औकात क्या हैइंसान की औकात क्या होती है।अगर आप भी जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।

इंसान की औकात क्या है ? इंसान क्या है ?  इंसान की औकात क्या होती है?

 इंसान की औकात क्या है ? insan ki aukat kya hai ?  इंसान की औकात क्या होती है? 

इंसान को किसने बनाया

इंसान इंसान कौन है इंसान की औकात कितनी बड़ी है उसका इतिहास क्या था, उसका भविष्य क्या होगा। यह हमारे चारों तरफ खाली खाली जगह क्या है, क्यों है ब्रह्मांड इतना बड़ा उसमें इतनी गैलेक्सी स्टार प्लेनेट कहां से आए? क्या वह पहले से ही वहां थे या किसी ने बनाए हैं?

 अगर उनको किसने बनाया है ना तो उस बनाने वाले को किसने बनाया? और उसने  बनाने वाले को किसने बनाया है तो फिर उस बनाने वाले के बनाने वाले को किसने बनाया और अगर कोई चीज किसी के द्वारा बनाई जाती है तो वह हमेशा के लिए नहीं रहती। 

क्या भविष्य में सब खत्म हो जाएगा। क्या पृथ्वी सूरज तारे गैलेक्सी ब्रह्मांड सब खत्म हो जाएगा। फिर उसके बाद क्या होगा। क्या वह सब देखने के लिए कोई जिंदा बचेगा या कोई वह होगा जो यह सब कर रहा होगा और इस तरह के कई ना जाने कितने प्रश्न है जो इंसान ना तो कभी ढूंढ पाया है। ना देख पाया और ना ही कभी ढूंढ पाएगा और ना कभी देख पाएगा। ।

इंसान की औकात क्या है ? ।

चलो आपको बताता हूं। विज्ञान ने कितना कुछ ढूंढा है। अभी तक आधुनिक इंसान को विज्ञान में होमोसेपियन बोलते हैं जो लगभग 2 लाक साल पहले अपने पुराने रूप यानी कि होमो इरेक्टस से अलग होना शुरू हुआ था और यह 2 लाक साल इस पूरे ब्रह्मांड की वर्तमान उम्र का। सिर्फ 0.0014 परसेंट है।

यब ये ब्रह्मांड की वर्तमान आयु कितनी है, इसके बारे में जनने के लिए पोस्ट को अंत तक पढ़ना होगा।।तो 2 लाक  साल से पहले किसी भी प्रकार के जीवन का सबसे पहला सबूत पृथ्वी पर लगभग 377 करोड साल पहले आया था। अभ पृथ्वी कहां से आई और कब आई पृथ्वी लगभग 450 करोड़ साल पहले सूरज  से अलग हुई थी।

 और सूरज से अलग होने के लगभग एक करोड़ साल बाद में धरती से कोई दूसरा एस्टेरोइड या शायद कोई दूसरा प्लेनेटरी ऑफेक्ट टकराया जिसे चांद का टुकड़ा धरती से अलग हुआ और धरती के चक्कर काटने लगा। सूरज से पृथ्वी को बनाया और पृथ्वी से निकला चांद फिर  सूरज कब और कहां से आया। करीब 460 करोड़ साल पहले ग्रेविटेशनल कॉलेज से सूरज बना था।

ग्रेविटेशनल कॉलेज  हमारे यूनिवर्सिटी बहुत ही बेसिक एक्टिविटी  है, जिसमें कोई ऑब्जेक्ट अपने ही गुरुत्वाकर्षण बल के कारण खुद के अंदर ही सिकुड़ने लगता है जब तक कि उसका तापमान इतना ना हो जाए कि उसमें थर्मोन्यूक्लियर फूजन  स्टार्ट हो जाए और फिर वह सिकुड़ना बंद कर देता है और रोशनी देना चालू कर देता है और वह तारे के नाम से जाना जाता है 

तो जो  हमारा सूरज है। वह मिल्की वे गैलेक्सी के 1000 करोड़ तारों में से एक है और इस गैलेक्सी का डायमीटर है। लगभग 1 lack  प्रकाश वर्ष यानी की लाइट की स्पीड लगभग 3 लाक किलोमीटर प्रति सेकेंड की रफ्तार से भी चलोगे। ना तो 1 लाक वर्ष लगेंगे। 

nasa ka sholar kaise hota hai

नासा ने एक सोलर प्रोब बनाया है जो 2025 में 690000 किलोमीटर पर आवर की स्पीड से सूरज के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। यानी कि इसकी इतनी स्पीड है कि अगर इसको पृथ्वी के सर पर भी इसी स्पीड से दौड़ाया  जाए तो इसको पृथ्वी का एक चक्कर काटने में सिर्फ 3 मिनट और 28 सेकेंड का समय लगेगा। बहुत तेज स्पीड है,

 लेकिन यह तेज स्पीड सिर्फ इंसानों के लिए यह प्रकाश की गति का सिर्फ 0.064% और इसी स्पीड से हमारी इस आकाशगंगा के एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में लगभग ₹15 करोड 64 लाख  का समय लगेगा। 

अगार मान लो इंसान पहुंच गया। वहां 15 करोड साल में तो अब यह सुनो मिल्की वे गैलेक्सी की तरह 50 से ज्यादा के करीब गैलेक्सी मिल करके बनाती है। गैलेक्सी का एक ग्रुप जिसको लोकल क्लस्टर कहते हैं और इस लोकल kalsatar का डायमीटर है। 1 करोड़ लाइट ईयर ।

वापस बैठते हैं। हम अपनी उसी विमान वही मानव निर्मित सबसे तेज उड़ने वाला स्पेस प्रोब हमें इस लोकल क्लस्टर के एक छोर से दूसरे छोर तक पहुंचाने में लगभग 156 करोड वर्ष का समय लगाएगा। 

ध्यान रहे कि ए नासा वाला प्रोग्राम एग्जांपल  के लिए ले रहे है। उसमें कोई इंसान नहीं बैठता है और ना ही यूनिवर्स में इस तरह के दूर की यात्रा के लिए बनाया गया लोकल क्लासों की बात हो गई। इस तरह के सौ से भी ज्यादा लोकल क्वेश्चन मिलकर बनाते हैं। एक सुपरक्लस्टर हम जी सुपरक्लस्टर में है। उसका डायमीटर है। लगभग 11 करोड प्रकाश वर्ष यानी की लाइट ईयर इस तरह के लगभग एक करोड़ सुपरक्लस्टर मिलकर बनाते है योबजब  यूनिवर्स और आब्जवेबल यूनिवर्स 1380 करोड़ साल पुराना है और इसकी डायमीटर है। 9309 हजार तीन सौ करोड़ लाइट ईयर जो की बिक  बैंक से बना था।

 और जिस वर्तमान ब्रह्मांड की उम्र की बात हमें पोस्ट के शुरू में की थी, वही उम्र है 1380 करोड़ साल! और तेरा सौ अस्सी करोड़ साल पहले यह बिग बैंग ब्लास्ट इतना जबरदस्त हुआ था कि इसने 10 की घात - 37 दिन टू पावर माइनस 37 सेकंड में इस आब्जवेबल यूनिवर्स में दो लाख करोड़ से भी ज्यादा गैलेक्सी बनाने की आधारशिला रखी और एक गैलेक्सी में एवरेज 10 हजार करोड़ तारे होते हैं तो सोचो इस आब्जवेबल यूनिवर्स में पूरे कितने तारे होंगे। गुना कर दो दस हजार करोड़ को 20 लाख करोड़ से करो करो। गुना करो, देखो गुना भी नहीं कर पा रहे। ।

इस हिसाब से आब्जवेबल यूनिवर्स में लगभग 20 करोड़ करोड़ तारे इस संख्या को इस तरह से समझो कि मान लो। एक कमरे में 1 करोड रुपए रखें और आपके पास इस तरह के 20 करोड कमरे तो सोचो ब्रह्मांड कितना बड़ा है जिसमें 20 करोड़ करोड़ तारे हैं। आब्जवेबल यूनिवर्स का मतलब यह नहीं है कि हम उसके आर पार नहीं देख सकते। 

या ब्रह्मांड वहीं पर खत्म हो जाता है बल्कि इसका मतलब यह है कि जिस समय बिगबैंग हुआ था उस समय से लेकर अब तक प्रकाश ने लगभग 4650 करोड प्रकाश की यात्रा तय किए है।

 और आब्जवेबल यूनिवर्स हमारे चारों तरफ है। इसलिए एक सर्किल बनाया गया जिसका डायमीटर हो गया। यानी कि 9300 करोड प्रकाशवर्ष  इस रेंज के बाहर जो कुछ भी है, उसकी हम कभी कल्पना भी नहीं कर सकते। बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने बडी स्टडी की और कहा कि वह वास्तविक जीवन में भी ज्यादा उससे भी बड़ा हो। किसको क्या पता  है ।

पर सवाल यह उठता है कि फिर उसके बाद क्या जवाब होगा कि हम सच में कुछ नहीं जानते कि इसका अंत कहां है और शुरू कहां से कई विद्वान कहते हैं कि इस तरह के अनंत यूनिवर्स मिलकर फिर एक मल्टी वर्ष और बनाता है। और फिर सवाल ये भी उठता है कि एक इतने सारे multi-word से मिलकर ना जाने कुछ और बनाते होंगे। फिर सच यह है दोस्तों की हम कुछ नहीं जानते हो ।


हो सकता है। उसके बाद कुछ नहीं भी नहीं हो सकता है। उसके पार ही सब कुछ हो, ऐसा भी हो सकता है कि जिसे हम भगवान कहते हैं, वह उसके पार हो या ऐसी कोई जगह हो जो जगह ही ना हो और जहां पर समय का भी कोई अस्तित्व ना हो हो सकता है। वहां पर प्रकाश जी हमेशा के लिए कैद हो गया हूं या हो सकता है। वहां प्रकाश से भी ज्यादा तेज चलने वाली कोई चीज है जिसको हम भगवान कहते हैं वह किसको पता? 

यह भी हो सकता है आज हम जिस जगह यानि की यूनिवर्स में है, यह किसी और के इशारों पर चल रहा हूं और यह सब कुछ रियल जैसा दिखने वाला है एक इलिजो हो। यह हमने बात करी कि ब्रह्मांड कितना बड़ा हो सकता है। ऐसा नहीं है कि ब्रह्मांड में बड़ी बड़ी चीजें ज्यादा है। आपके खुद के शरीर में अगर आप ठीक-ठाक हो और हेल्दी हो तो आपके शरीर में 30 लाख करोड़ सेल्स हो सकती। यानी कि एवरेज हुमन बॉडी के सरफेस एरिया सेल्स को कंपेयर किया जाए। तो हर स्क्वायर इंच में लगभग 1000 करोड़ से भी ज्यादा सेल्स होगी। हालांकि सभी सेल्स स्क्रीन पर नहीं होती। हमने सिर्फ कंपैरिजन करने के लिए बताएं। ।

यह तो हमने बात की सेल की। इसके अलावा बैक्टीरिया, वायरस, इलेक्ट्रॉन एटम और भी ना जाने क्या-क्या कितनी बारीक बारीक चीज है। बहुत बड़ी संख्या में और बहुत छोटे आकार में हमारे शरीर के अंदर और बाहर भी रहती है तो क्या ऐसा हो सकता है कि जिस तरह से हम किसी बॉक्स में करोड़ों खरबों हम 

छोटी छोटी चीजों को रख सकते हैं। उसी तरह से यह ब्रह्मांड भी किसी बॉक्स में हो और अगर ऐसा हुआ तो हमारा सबसे पहला सवाल होगा कि फिर उस बॉक्स के बाहर क्या होगा और वहां से फिर कभी न खत्म होने वाला डिस्कशन शुरू होगा कि उसके बाद क्या है

इंसान क्या है

 अब सोचो इंसान क्या है। हम किस तरह से चीजों पर हक जमाते लड़ते हैं, युद्ध करते हैं। एक दूसरे से जलते हैं। जिंदगी को बहुत समझता है जबकि यह जिंदगी हमारी है ही नहीं, यह तो इस अनंत ब्रह्मांड का एक बहुत बहुत छोटा सा हिस्सा है। हम इस छोटी सी जिंदगी में कितनी टेंशन लेता है, कितने प्रेशर में रहते हैं जो कि एक दिन सब खत्म हो जाता है। एक दिन पृथ्वी का भी अंत हो जाएगा। इस यूनिवर्स का भी अंत हो जाएगा। दूर-दूर तक कुछ भी होने या ना होने का कभी कोई अस्तित्व नहीं।


 इस पोस्ट  का मकसद आपको नर्वस करना नहीं है बल्कि आप को यह समझाना है कि जिंदगी जीना इतना कॉन्प्लिकेटेड नहीं है। जितना इस प्रकृति को समझना हमारी समस्याएं इतनी बड़ी नहीं है। 


जितना बड़ा इस यूनिवर्स है हर अपनी समस्या हमारे अपने इंसानी लेवल की ही है। अब इस पोस्ट  का जो भी मतलब आप को निकालना है, निकाल लेना। लेकिन इतना जरुर करना आज से अपनी जिंदगी को थोड़ा सा अपने लेबर से उठकर देखना कि क्या जो जिंदगी आज आप जी रहे हो वह वही जिंदगी है जो आप जीना चाहते थे कि आप वही काम कर रहे हो जो आप करना चाहते थे। क्या आप नहीं चाहते कि जब आपका फिजिकल एक्जिस्टेंस इस दुनिया से जला दिया जाएगा या दफना दिया जाएगा तब भी आप आने वाली दुनिया के दिलों में अपनी जगह हमेशा के लिए बना कर रखो। बहुत सारी अपॉर्चुनिटी से बहुत अच्छे-अच्छे काम है। ऐसे बहुत सारे काम है जो अभी तक किसी इंसान ने किए ही नहीं है। 

ऐसे कई आईडियाज है जिनको आज भी किसी इंसान में हकीकत में नहीं बदला है। आपके लिए यहां पर एक अपॉर्चुनिटी हो सकती है क्योंकि आप कुछ नया कुछ अलग कर सकते हो। वह काम इसके लिए शायद इस बात को छोड़ो इंसानों से भरी दुनिया में आप अकेले ही बताएं और हमेशा की तरह बोलूंगा। 

अगर कुछ भी समझ में ना आए कि क्या करना है तो कुछ ऐसा ही कर देना कि हमारा देश इस दुनिया में एक कदम और आगे बढ़ जाए। जय हिंद वंदे मातरम।

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