Friday 9 June 2023

हमें पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता? पिछले जन्म को कैसे याद करें? क्या पूर्व जन्म याद आना संभव है?

 नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है आज के इस  पोस्ट में जिसमें हम जानने वाले हैं आखिर हमें पिछले जन्म की बात आद क्यों नहीं रहता । अगार आप भी जानना चाहते हो तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े,

हमें पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता? पिछले जन्म को कैसे याद करें? क्या पूर्व जन्म याद आना संभव है?

हमें पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता? पिछले जन्म को कैसे याद करें? क्या पूर्व जन्म याद आना संभव है?

दोस्तो हिंदू धर्म में हमारे अनेक जन्मों का वर्णन किया गया है। हम अपने जीवन काल में जैसा कर्म करते हैं। हमें वैसा ही फल भी मिलता है। और पिछले जन्म में की गई गलतियों का बोझ हमें अगले जन्म में ढोना ही पड़ता है। 

दोस्तो लेकिन आखिर हमें पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता। अगर हमें पिछले जन्म के कर्मों का फल इसी जन्म में मिलता है तो हमें उसकी याद क्यों नहीं मिलती और क्या हम पिछले जन्म की यादों को ताजा कर सकते हैं।

 आज इस पोस्ट  में हम आपको इसकी पूरी जानकारी देने वाले हैं। विश्व के सबसे प्राचीन ग्रंथ  गरीब से लेकर दर्शन शास्त्र पुराण, भागवत, गीता, योग आदि ग्रंथों में पुनर्जन्म का उल्लेख किया गया है।


 इन सब के अनुसार शरीर की मृत्यु ही जीवन का अंत नही है परंतु जन्म जन्मांतर की  संखला है? 84 लाख योनियों में जीवात्मा अपने धर्म को प्रदर्शित करती है और इसी श्रंखला में आत्म  ज्ञान होने के बाद ही यह श्रंखला रुखती है? 

फिर भी आत्मा के सोयम के निर्णय लोक सेवा के लिए जन्म धारण करती है। श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण ने कहा है कि है अर्जुन तेरी और मेरी कई जन्म हो चुके हैं में सब जानता हूं किंतु तू नहीं जानता। 

मैं ने इसकी जानकारी सबसे पहले विवस्वान को दी। उन्होंने इसे मनुष्य के जन्मदाता मनु को बताया। मोनू ने इस ज्ञान को राजा एक सेवकों को दिया जिसके बाद ही ज्ञान चल रहा है। 

लेकिन हमें अपने पिछले जन्म का ज्ञान क्यों नहीं रहता। इसकी जानकारी हमें अपनी पुराणों की अध्यन से मिल सकती  है। हमारी कर्म कुछ और नहीं बल्कि सृष्टि संचालन कि हमारे द्वारा निभाए गए किरदार की कार्य होती है। अच्छे नियमों से जीवन को आगे बढ़ाना  अच्छा होता है कि हमारे व्यक्तित्व पर असर डालदी जाती है। 

इसी के साथ जीवन में हमारे रिस्ते हमारे लिए मोह का काम करते हैं। पूरे जीवन काल की यादें और एहसास बुढ़ापे में आती आती बोझ बनना शुरू हो जाती। श्रीमद्भागवत गीता में श्रीकृष्ण बताती हैं कि जिस प्रकार हम वस्त्र पहनती हैं, धीरे-धीरे वह मेले और खराब होने लगती हैं। हम उन वस्तुओं को उतारकर हम न्यू वस्त्र पहन लेते हैं।

इसी प्रकार  हमारे शरीर में भी। खराबिया  आना शुरू हो जाती है। हमारी यादें सुख दुख का बोझ बढ़ जाता है तो आत्मा नया शरीर ले लेती है। पुरानी जन्म की यादें भी पुराने शरीर के साथ ही त्याग दी जाती है। 

जिस प्रकार  हमारा कंप्यूटर और उसका ऑपरेटिंग सिस्टम जब पुराना हो जाता है तो वह धीमा होता जाता है पर जब उसको रीसेट कर दीया जाता है, वह पुरानी सब चीजों को डिलीट करता है। तब वह दोबारा तरोताजा हो जाता है। 

पुरानी यादें पुरानी रिश्ते अगले जन्म में याद रहने से यह जन्म भी  पुरानी दुखो से घिर  जाएगा, जबकि नए शरीर में। बीना याद नया मौका मिलता है, 

अच्छे कर्म करके हम मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। यही कारण है कि हमें पिछले जन्म का कुछ याद नहीं रहता। योग खंड में पुरानी जन्म को जानने के बारे में भी बताया गया है। योग आदि की कियायों से आत्मा को जानकर  ध्यान में पूर्व के चरणों के ज्ञान की प्राप्ति हो सकती है। ज्ञानी पुरुष तो दूसरों के जन्मांतर के विषय में भी बता सकता है,

 लेकिन इसके लिए गोड ज्ञान पाना पड़ता है। साथ ही आत्मा को शुद्ध करना पड़ता है। लेकिन श्री कृष्ण ने  यह भी कहा है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमने किसने जन्म लिए और हमें क्या याद है। 

हमारे जीवन का लक्ष्य मोक्ष को पाना है।  जिसका मार्ग हर जन्म में एक ही होता है। परमात्मा को पा लेना और अपनी आत्मा को उन में विलीन कर लेना। इसी से हम इस जन्म चक्र से बाहर आ सकते हैं। 

दोस्तो हम सब को यह जाननें की हमेशा चाहत होती है कि हम पिछलें जन्म में क्या थे। जब हम लोगों को कोई परेशानी या  कोई काम  करते है तो रूकावट होती है तो हम लोग बोल देते है कि पिछलें जन्म के कर्म है। ज्योतिषों का भी मानना है कि हमारे पूर्व जन्म का हिसाब इस जन्म में होगा इसी कारण हमें सुख और दुख प्राप्त होता है। ज्योतिषों के अनुसार हम कुण्डली के माध्यम से इस समय का ही नही पूर्व जन्म और अगलें जन्म का भी पता कर सकते है।।

पूर्व जन्म में क्या थे

दोस्तो ज्योतिषशास्त्र के अनुसार पूर्व जन्म जाननें के लिए आपको लग्न और लग्नेश की स्थिति को देखना चाहिए। यदि आपकी कुण्डली में गुरु लग्न यानी पहले घर में बैठा है तो यह समझना चाहिए कि पूर्वजन्म में आप किसी विद्वान परिवार में जन्मे थे। यदि लग्नेश मंगल अथवा सूर्य लग्न भाव में बैठा है तो आप पूर्व जन्म में क्षत्रिय रहे होंगे अथवा क्षत्रिय समान आपके कर्म रहे होंगे। 


वैसे ज्योतिषों के मुताबिक आप चाहे तो खुद भी पता लगा सकते हैं कि आप पिछले जन्म में क्या थे। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अगर आपकी कुण्डली में गुरु लग्न यानी पहले घर में बैठा है तो यह समझना चाहिए कि पूर्वजन्म में आप किसी विद्वान परिवार में जन्मे थे।


हमें पिछले जन्म का कुछ भी याद क्यों नहीं रहता?

 पिछले जन्म को कैसे याद करें?

 क्या पूर्व जन्म याद आना संभव है?

क्या पूर्व जन्म याद आना संभव है?

No comments:
Write comment