Sunday 10 July 2022

karva chauth kab hai 2022 ? 2022 में करवा चौथ व्रत कब है

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नमस्कार दोस्तों आज हम इस पोस्ट के माध्यम से जानेंगे कि 2022 में karva chauth kab hai और इसके साथ ही करवा चौथ 2022 की तारीख व मुहूर्त कब है, करवा चौथ व्रत के नियम करवा चौथ व्रत की पूजा विधि, करवा चौथ में सरगी क्या होता है यह सब जानने के लिए इसे अंत तक जरूर पढे।



karva chauth kab hai ? 2022 में करवा चौथ व्रत कब है

करवा चौथ का ब्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और अविवाहित स्त्रियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का व्रत रखने की परंपरा है यह पर्व पूरे उत्तर भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

करवा चौथ हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है! यह कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है! इस पर्व को सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए करवा चौथ का निर्जला व्रत रखती हैं! और चौथ माता की पूजा करती हैं! यह व्रत सुबह सूर्योदय से पहले लगभग 4:00 बजे के बाद शुरू होता है! और रात में चंद्र दर्शन के बाद पूरा होता है! यह भारत के कई जगहों पर मनाया जाता है! पंजाब उत्तर प्रदेश हरियाणा मध्य प्रदेश और राजस्थान मुख्य रूप से मनाया जाता है।

इस दिन भगवान शिव, पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की पूजा करते हैं! शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन मनाना चाहिए! यह व्रत पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए गणेश जी की पूजा की जाती है! karva चौथ मैं दिन भर उपवास रखकर रात में चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही भोजन करने का विधान है हिंदी पंचांग के अनुसार करवा चौथ का व्रत हर वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है इस वर्ष यह व्रत 13 अक्टूबर 2022 दिन रविवार को मनाया जाएगा।

करवा चौथ व्रत के नियम

  • यह सब रात को सूर्योदय से पहले से लेकर चांद निकलने तक रखना चाहिए! और चंद्र दर्शन के पश्चात ही व्रत को खोला जाता है।
  • शाम के समय चंद्रमा निकलने से एक घंटा पहले भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय की पूजा की जाती है।
  • पूजा करते समय देवताओं की फोटो या मूर्ति का मुख पश्चिम की ओर होना चाहिए और स्त्री को पूर्व की तरफ मुख करके बैठना चाहिए।

करवा चौथ कथा

Karva चौथ व्रत कथा के अनुसार एक साहूकार के सात बेटे थे! और उसकी करवा नाम की एक बेटी थी एक बार करवा चौथ के दिन उसके घर पर व्रत रखा गया रात को जब सब लोग भोजन करने लगे तब करवा के भाइयों ने उसे भी भोजन करने के लिए कहा तब वह यह कह कर मना कर दिया कि अभी चंद्रमा नहीं निकला है चंद्रमा को अर्ध्य देने के बाद ही भोजन करूंगी सुबह से भूखी प्यासी बहन की हालत भाइयों से नहीं देखी जा रही थी।

तब सबसे छोटे भाई ने एक दीपक को जलाकर पीपल के पेड़ में रखकर आ गया! और अपनी बहन से बोला व्रत तोड़ लो चांद निकल आया है! भाई की इस चतुराई को वह नहीं समझ पाई और उसने खाने का निवाला खा लिया! निवाला खाते ही उसे अपने पति की मृत्यु का समाचार मिला अपने पति की शोक में वह शव को लेकर 1 वर्ष तक बैठी रही और उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही अगले वर्ष कार्तिक कृष्ण चतुर्थी आने पर उसने पूरे विधि विधान से करवा चौथ व्रत को रखा जिसके उपरांत उसका पति पुनः जीवित हो गया।


करवा चौथ व्रत की पूजा विधि

  1. सुबह सूर्योदय से पहले स्नान करके पूजा घर की सफाई करें! और इसके बाद सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत रहने का संकल्प करें।
  2. इस व्रत को संध्या के समय सूर्यास्त होने के बाद चंद्र दर्शन करके ही खोलना चाहिए! इस बीच पानी तक नहीं पीना चाहिए।
  3. संध्या के समय मिट्टी की चौकी बनाकर सभी देवताओं को स्थापित करें और मिट्टी से बने करवे को रखें।
  4. पूजा सामग्री में धूप, दीप, चंदन, रोली, सिंदूर को थाली में रखें और इसके साथ ही दीपक जलाने के लिए घी पर्याप्त मात्रा मे रखें।
  5. चंद्रमा निकलने से लगभग एक घंटा पहले पूजा करना शुरू कर देना चाहिए और परिवार की सभी महिलाएं साथ में पूजा करें।
  6. पूजा के समय करवा चौथ कथा को सुने या फिर सुनाए।
  7. चंद्र दर्शन चलनी के द्वारा किया जाना चाहिए और साथ ही चंद्र दर्शन के समय आर्ध्य के साथ चंद्रमा की पूजा करना चाहिए।
  8. चंद्र दर्शन के बाद बहू अपनी सास को थाली में मिठाई, रुपया आदि देकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए! और सास उसको अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद दे।


करवा चौथ में सरगी क्या है 

पंजाब में करवा चौथ का त्यौहार सरगी के साथ शुरू होता है! करवा चौथ के दिन सूर्योदय से पहले किया जाने वाला भोजन को कहा जाता है! जो महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं उनकी सास उनके लिए सरगी बनाती हैं शाम को सभी महिलाएं सिंगार करके इकट्ठा होती हैं और फेरी की रस्म करती हैं इस रस्म में महिलाएं एक घेरा बनाकर बैठती हैं और पूजा की थाली एक दूसरे को देकर पूरे घेरे में घूमाती हैं इस रस्म के वक्त बुजुर्ग महिला द्वारा करवा चौथ की कथा को गाया जाता है भारत के उत्तर प्रदेश और राजस्थान में गौरी माता की पूजा की जाती है गौरी माता की पूजा के लिए गाय के गोबर से प्रतिमा बनाई जाती है।




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