Sunday 9 April 2023

बेटियां किस घर में जन्म लेती है।लड़की किस घर में जन्म लेती है

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 हेल्लो दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानने वाले है की । बेटियां किस घर में जन्म लेती है।बेटी किस घर में जन्म लेती है।लड़की किस घर में जन्म लेती है  दोस्तो आदि आप भी जानना चाहते हैं की लड़की किस घर में जन्म लेती है यो आज का यह पोस्ट आप अंत तक जरूर पढ़े।


 बेटियां किस घर में जन्म लेती है।लड़की किस घर में जन्म लेती है 

दोस्तो आज भी हम ऐसे समाज में जी रहे हैं जो आज भी पुरुष प्रधान है। आज भी जब लड़की का जन्म होता है तो अधिकतर घरों में मायूसी छा जाती है और मित्रों यह और कुछ नहीं बल्कि हम मनुष्यों की अज्ञानता है। लड़की को पूछ समझते हैं परंतु आपको जानकर हैरानी होगी। लड़की का जन्म हर किसी के घर में नहीं होता बल्कि उसी के घर होता है जो भाग्यशाली होते हैं और अपने अपने पुण्य कर्म अर्जित किए होते हैं और आज हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि भगवान कैसे घरों को लड़की का जन्म देने के लिए चुनते हैं और वह कौन से पुण्य कर्म है जिसकी वजह से कोई भी इंसान बेटी का मां-बाप बनता है। 



दोस्तो एक  भगवान श्रीकृष्ण से अर्जुन पूछते हैं कि माधव किन कर्मों के कारण किसी के घर पुत्री धन की प्राप्ति होती है। अर्थात कैसे घरों में बेटियों का जन्म होता है तब श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं। हे पार्थ अगर किसी के घर बैठे भाग्य से होते हैं। तो बिटिया सौभाग्य से और जो भी स्त्री या पुरुष अपने पूर्व जन्म में पुण्य कार्य अर्जित किए होते हैं, उन्हें ही एक बेटी के माता-पिता होने का सौभाग्य प्राप्त होता है। 


बेटियों को जन्म के लिए  उन्हीं घरों को चुना जाता है जो बेटियों का भार सहन कर सके क्योंकि तीनों लोकों में स्त्री अर्थात बेटियां ही ऐसी होती है जिसका भार हर कोई सहन नहीं कर सकता। वह बेटियां ही होती हैं जो इस सृष्टि को निरंतर चलाएं। मान होने के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर देती हैं। हे अर्जुन पर जिस दिन इस सृष्टि में बेटियों का जन्म लेना रुक जाएगा। उस दिन सृष्टि भी है और धीरे-धीरे इस सृष्टि का अंत हो जाएगा। 



मित्रों भगवान श्री कृष्ण के इन बातों पर गौर किया जाए तो उनका कहा बिल्कुल सही है क्योंकि बेटियां अगर नहीं होंगी तो किसी का भी वंश आगे नही बड़ सकता।


दोस्तो आपने भी कई लोगों को कहते सुना होगा कि जिस घर में बेटी का जन्म होता है वह घर स्वर्ग के समान होता है क्योंकि बेटा तो केवल एक कुल को रोशन करता है। बेटियां तो दो कुलों को रोशन करती है । माता पिता के घर वो बेटी के रूप में अपने उत्तर दायित्व का निर्वहन करती हैं तो ससुराल आकर एक बहू के रूप में सारे कर्तव्यों का पालन करती हैं 



दोस्तों आजकल आप सुनते ही हो। बेटियां बहू परिवार में किसी के मर जाने पर उसका वर्णन नहीं कर सकते। लेकिन यह बिल्कुल भी सही नहीं है क्योंकि रामायण में बताया गया है कि प्रभु श्री राम के पिता राजा दशरथ की मृत्यु हो गई तो माता सीता अर्थात राजा दशरथ की बहू नहीं उनका पिंडदान किया था जिससे उन्हें जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिल गई थी। इतना ही नहीं हिंदू धर्म शास्त्रों में बताया गया है कि बेटियां भी अपने पिता के नाम का पिंडदान कर सकती हैं।  वही अगर ससुराल पक्ष में कोई पुरुष नहीं है तो इस स्थिति में बहू भी पिंडदान कर सकती है। 


इसलिए मित्रों वह लोग बहुत किस्मत वाले होते हैं जिनकी घर में बेटी जन्म लेती है। वही वह परवल किस्मत के होते हैं जिनके घर एक से ज्यादा बेटियां होती हैं। शायद यही कारण है कि बेटियों को लक्ष्मी कहा गया है। 



दोस्तो बहुत से लोगों की सोच यही होती है। बेटी है तो बिना समय गवाएं और इस पर पढ़ाई में पैसे लगाए जल्द से जल्द शादी कर दो। लेकिन यह सोच एक बेटी के भविष्य को बर्बाद कर देती है। जरा सोचिए एक बच्ची के मन में कितने सपने होते हैं, उसे कुछ करना है लेकिन यह सपने सिर्फ सपने ही रह जाते हैं। इसलिए अपनी बेटियों को सपने पूरे करने देना चाहिए। उन्हें जीवन में हर वह खुशी दे जो उन्हें मिलनी चाहिए



। एक बेटे से ज्यादा एक बेटी हमेशा अपने माता-पिता के लिए सोचती है। माता-पिता को प्यार और अपनापन बेटी ही दिखा सकती है। बेटी के जन्म को एक जश्न की तरह मनाना चाहिए। माता पिता को बेटी को हमेशा अहसास दिलाना चाहिए। कितने खास है बेटी है


क्या बेटी माता पिता के लिए बोझ होती क्या 


 मित्रों बेटी कभी भी बाप पर बोझ नहीं होती। वह सिर्फ अपनी और अपने परिवार की किस्मत बनाने के लिए जन्म लेती है।


 एक कथा के अनुसार 2 मित्र लंबे समय के बाद एक दूसरे से मिले। एक दोस्त ने दूसरे से उसका हाल पूछा तो जवाब में उसने कहा कि मेरे हाल तो एकदम बढ़िया है और हो भी क्यों ना मेरे दो बेटे जो है तभी वह अपने दोस्त से पूछता। कि तेरे घर में कितने बच्चे हैं, दोस्त खुशी के साथ बताता है कि मेरे घर में दो बेटियां हैं। उसका दोस्त भगवान का शुक्रिया अदा करता हुआ कहता है कि मैं धन्य हूं। मेरे घर बेटियां नहीं। यह सुनकर पिता की आंखों में आंसू आ गए। तभी उसकी बेटी पिता के मित्र से कहती है कि अंकल भगवान हमेशा भाग्यवान को ही बेटी देते हैं। कभी गरीब को बेटी के रूप में माता लक्ष्मी नहीं देते। भगवान उसी को पुत्री का सुख देते हैं जिसके अंदर पालने की सामर्थ्य ता होती है जो गरीब होकर भी अपनी बेटी को पाल सकता है।



 एक बार स्वामी विवेकानंद वैष्णो देवी की सीढ़ियां चल रहे थे। बगल से किसान अपनी बेटी को कंधे में बिठाए चढ़ाई चल रहा था। तभी स्वामी विवेकानंद ने कहा कि बाबा आपकी बेटी का बोझा आपको लग रहा होगा। इसको मैं उठा लेता हूं और माता वैष्णो के दरबार तक ले चलता हूं। सबके सामने स्वामी विवेकानंद से कहा कि बेटी कभी भी बाप के कंधे पर बोझ नहीं होती। बेटियां अगर बाप के कंधे पर हूं तो वह हर बोझ को हल्का कर देती है


 मित्रों! बेटियां  कभी भी धन की भूखी नहीं होती। यो सिर्फ मान और सम्मान की भूखी होती है। 


कोन सा कर्म करने से बेटी के रुप में जन्म लेते हैं 


अब सोचने वाली बात है कि कौन सी कर्म के बाद आप किसी के घर लड़की के रूप में जन्म लेते हैं और उनके घर के लिए लक्ष्मी का रूप साबित होते हैं। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि जब आत्मा को नया जन्म मिलता है तब आत्मा को शरीर के अनुसार व्यवहार में चलकर अपने कर्म करने होते हैं। शरीर के जरिए कर्म करके की एक आत्मा अपने जन्म के उद्देश को सार्थक भी बना सकती है और निरर्थक भी यदि कोई पुरुष महिलाओं का आचरण करता है। स्वभाव में महिलाओं वाली आदतें ले आता है या वही काम करना चाहता है तो एक महिला को करना चाहिए तो ऐसे ही पुर्षो का आत्म स्त्री का शरीर धारण करती है।



 वहीं गरुड़ पुराण में बताया गया है। यदि कोई व्यक्ति मृत्यु के अंतिम क्षण में किसी स्त्री को याद करते हुए प्राण त्याग ता है तो वह अगले जन्म स्त्री के रूप में जन्म लेता है। वही अगर वह अंतिम क्षण में परमेश्वर का नाम लेता है तो वह मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर हो जाता है 


तो मित्रों आज की इस पोस्ट  में बस इतना ही हम उम्मीद करते हैं कि हमारे पोस्ट के  आपको जानकारी मिल गई होगी। हमें कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको पोस्ट कैसी लगी।





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