Friday 5 January 2024

टूटी हुई हड्डी कितने दिन में जुड़ती है | टूटी हड्डी जोड़ने में कितना समय लगता है?

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 हेल्लो दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम जानने वाले है कि टूटी हड्डी जोड़ने में कितना समय लगता है? आदि आपको नही पता तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।


टूटी हुई हड्डी कितने दिन में जुड़ती है | टूटी हड्डी जोड़ने में कितना समय लगता है?

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जब भी किसी व्यक्ति का कोई एक्सीडेंट या इंजरी होती है तो जो सवाल सबसे पहले उनके मन में उत्पन होता है यह वही होता है कि एक्सीडेंट में उनकी हड्डी तो नही टूटी है, अगर ऐसा है तो कितना समय लगेगा उनके हड़ियो को जोड़ने में, तो चलिए अब बिना किसी देरी के इस विषय पर आर्टिकल लिखते है, अगर आप भी इस विषय पर गहराई से जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो आपको यह आर्टिकल अंत तक पढ़ना चाहिए।


कैसे पता करे की हड्डी टूट गई हैं?



कहीं गिरने के बाद पता नहीं क्या हो गया है। कुछ समय बाद स्थिति समझ में आती है। अंत में, यदि कोई दुर्घटना का शिकार हुआ है या ऊंचाई से नीचे गिर गया है। इसलिए उसकी हड्डी टूटने की संभावना है।


टूटी हड्डी जोड़ने में कितना समय लगता है?



जैसे ही हड्डी टूटती है। तुरंत नजदीकी अस्पताल में जाकर उसका इलाज शुरू करें। हड्डी टूटने पर डॉक्टर टूटी हड्डी पर प्लास्टर लगाते हैं। यह प्लास्टर हड्डी को स्थिर रखता है। हड्डियाँ समय के साथ स्वाभाविक रूप से जुड़ती हैं। जिसमें दो महीने तक का समय लगता है। आपको दो महीने तक प्लास्टर रखना होगा। अगर आपका खाना अच्छा है। इसलिए हो सकता है कि आपकी हड्डी कम समय में जुड़ जाए, इसलिए हड्डी टूटने पर अपने आहार का ध्यान रखना आवश्यक है।


हड्डी के टूटने पर क्या खाना चाहिए?


हड्डी टूटने की स्थिति में आहार का निम्न प्रकार से ध्यान रखना चाहिए।


  • हड्डी टूटने की स्थिति में दूध, घी, मक्खन, दालें और शहद जैसे कैल्शियम युक्त और पौष्टिक खाद्य पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए।


  • हड्डी टूटने पर गेहूं, मेथी, पपीता, मसूर और अश्वगंधा का सेवन करना चाहिए। फ्रैक्चर की स्थिति में व्यायाम, व्यायाम और खेल से दूर रहें।


  • हड्डी टूटने पर भेड़ के दूध का सेवन करें। जिससे हड्डियां कम समय में जुड़ जाती हैं। टूटी हड्डी की भेड़ के दूध से मालिश करने से भी लाभ होता है।


  • हड्डी टूट जाए तो क्षार और अम्ल पदार्थों से दूर रहना चाहिए।


हड्डियां कैसे जुड़ती है? 


तो दोस्तों प्लास्टर में जादू नहीं होता, लेकिन टूटी हुई हड्डी पर प्लास्टर इतना लपेटा जाता है कि एक्स-रे करने के बाद जब डॉक्टर ने आपकी हड्डी को सही जगह पर सेट किया हो तो हड्डी उसी जगह पर रहती है। , इसलिए प्लास्टर चढ़ाया जाता है ताकि जहां कहीं भी हड्डी हो वहां आपका पैर या हाथ टूट जाए। हड्डी हिलने पर अपनी जगह से नहीं हिलनी चाहिए। जैसे जब कुछ टूटता है तो हम पहले टुकड़ों को आपस में जोड़ते हैं और फिर गुलु आदि लगाकर स्थायी रूप से ठीक करते हैं। हड्डियों के साथ भी ऐसा ही होता है।


जब हड्डी हिलती नहीं है और डंक स्थिति में रहता है, भले ही वह टूट जाए, वह जुड़ना शुरू कर देगा। अब यह बात हमेशा याद रखें कि कोई भी दवा हड्डी को नहीं जोड़ सकती। ड्रेस पोजीशन में रहने से हड्डी अपने आप जुड़ जाती है। यह सुनना बंद कर दें और मुलेठी, मंजीत और खट्टा क्रीम का पेस्ट बना लें। इसके बाद इसे टूटी हड्डी पर लगाएं और पट्टी बांध लें। इससे आपकी हड्डी जल्दी जुड़ जाएगी। यह सबसे कारगर उपाय माना जाता है।


प्लास्टर की जरूरत खत्म, अब तीन दिन में जुड़ेगी टूटी हड्डी


हड्डी टूटने के बाद, इसे ठीक करने का एकमात्र तरीका प्लास्टर का उपयोग करना है। लेकिन प्लास्टर को हफ्तों तक बांधे रखने का दर्द भी असहनीय होता है। अब आपको हड्डी से जुड़ने के लिए प्लास्टर बांधने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। अब टूटी हुई हड्डी को तीन दिन में ही जोड़ा जा सकता है। अब नई तकनीक नेल्सकॉन से मरीज 2 से 3 दिन में चलने लायक हो जाता है।


पहले लोगों को चोट लगने के बाद कम से कम एक से डेढ़ महीने तक परेशानी उठानी पड़ती थी, जिससे वे न तो कहीं जा पाते थे और न ही चल पाते थे। विभिन्न अस्पतालों में कूल्हे के 20 या 25 ऑपरेशन किए जाते हैं। ऐसे मरीज को नई तकनीक से काफी राहत मिलेगी। यह एक ऐसी सर्जरी है जिसमें हड्डी को जोड़ने के लिए रॉड का उपयोग किया जाता है।


कई बार हड्डी टूट जाने पर भी घाव नहीं भरता। ऐसे में एंटीबायोटिक इंजेक्शन दिए जाते हैं लेकिन कई बार ये भी काम नहीं करते हैं। ऐसे में अब नई तकनीक एंटीबायोटिक युक्त रॉड है। मरीज को बचाने के लिए सर्जरी में एंटीबायोटिक कोटेड रॉड लगाई जाती है। एंटीबायोटिक परत के कारण रोगी का घाव जल्दी भर जाता है और मवाद नहीं बनने देता।


अब बड़ी हड्डियों को जोड़ने के लिए तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे लोगों को कम समय में जल्दी राहत मिल सके। कई अस्पताल विशेषज्ञों का सुझाव है कि हड्डी को जोड़ने के लिए टूटी हुई हड्डी को अखरोट से कस दिया जाता है। इससे व्यक्ति को तीन दिन में आराम मिल जाता है।


कितने दिन में टूटी हड्डी जुड़ती है?


दोस्तों अगर हम बात करें कि टूटी हुई हड्डी कितने दिन जुड़ती है और उसकी प्रक्रिया की बात करें तो सबसे पहले हेमेडोमा की प्रक्रिया होती है, हड्डी टूटते ही यह प्रक्रिया शुरू हो जाती है।


इस प्रक्रिया में सूजन आने लगती है। हालांकि, इस प्रक्रिया के जरिए हमारी हड्डी खुद से जुड़ने की कोशिश करती है। लेकिन नीला रंग शुरू हो जाता है और हमें दर्द होने लगता है और यह प्रक्रिया हड्डी टूटने के एक से 7 दिन तक चलती है।


ऐसे में अगर आप हड्डी टूटने के तुरंत बाद डॉक्टर के पास पहुंचें। तब भी हेमेटोमा के कारण सूजन रहेगी।


अब दूसरी अवस्था की बात आती है, जिसे ब्रिज परमिशन कहा जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें हड्डी टूटने के साथ-साथ जो रक्त वाहिकाएं टूटती हैं, वे भी बनने लगती हैं और जब बनती हैं तो ब्रिज बनने लगती हैं। जिससे दोनों हड्डियों के बीच रक्त वाहिकाओं के माध्यम से रक्त संचार होता है। यानी शरीर के दोनों हिस्सों से खून पहुंच रहा है.



 यह काम दूसरे 3 दिन तक किया जाता है यानी 7 दिन तक सूजन रहेगी। उसके दो से तीन दिन बाद, छाती बनना शुरू हो जाएगी और जब हड्डी को फ्रैक्चर हुए लगभग 10 से 12 दिन हो गए हों और इस अवस्था में पहुंचने के बाद कैल्सीफिकेशन होता है। एक प्रक्रिया में हड्डियाँ एक दूसरे के ऊपर आने लगती हैं।


और जब यह प्रक्रिया लगभग पूरी हो जाती है, तब डॉक्टर प्लास्टर कट करवाते हैं और एक्स-रे देखते हैं। हड्डियां आपस में जुड़ती हैं या नहीं और जब डॉक्टर देखता है कि कैलाश बन रहा है। जब हड्डी आपस में जुड़ती है, तो डॉक्टर थाली को वापस रख देता है।


थाली लगाने के बाद इसे और 2 महीने तक रखा जाता है क्योंकि हड्डी जुड़ने लगी है, लेकिन अब इसे मजबूत करना है और हड्डी का मजबूत होना बहुत जरूरी है। इसलिए, इस प्रक्रिया को हार्ड कैलस फॉर्मेशन कहा जाता है, जिसके बाद हड्डी पूरी तरह से आपस में जुड़ जाती है।


प्लास्टर खुलने के बाद क्या करना चाहिए?


रोगी प्लास्टर कटते ही अपनी पुरानी ताकत वापस पाना चाहता है और इस स्थिति में फिजियोथेरेपी कारगर साबित होती है। फिजियोथेरेपी का काम मांसपेशियों की कमजोर स्थिति को ठीक करना और टूटे हुए अंग की गति की संकुचित सीमा को पिछली कार्यशील स्थिति में बहाल करना है।


हड्डी टूटने पर कितना दर्द होता है?


 हड्डी टूटने के झटके के परिणामस्वरूप आपको बेहोशी, चक्कर या मिचली आ सकती है। अगर हड्डी कम टूटी है या हड्डी में केवल एक ही दरार है, तो आपको ज्यादा दर्द नहीं होगा या आपको टूटने की जानकारी भी नहीं होगी।


हड्डी टूटने के बाद यह काम बिल्कुल ना करे ?



हमने लेख के इस भाग में कुछ गलतियों के बारे में बताया है, जिनमें से कुछ नीचे लिखी गई हैं,


पहली गलती


  • कुछ लोग फ्रैक्चर के बाद डॉक्टर से सलाह नहीं लेते हैं। आसपास के झोलाछाप डॉक्टरों से सलाह लेने के बाद पट्टा लगवाते हैं।


  • ऐसे में एक-दो महीने बाद जब पट्टा हटाया जाता है तो हड्डी तो जुड़ी हो सकती है, लेकिन वह सही स्थिति में नहीं बैठती है।


  • जिसके कारण कई बार हड्डी जीवन भर विकृत रहती है।


दूसरी गलती


  • डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन नहीं करना।


  • डॉक्टर दो तरह से फ्रैक्चर का इलाज करते हैं। या तो प्लास्टर लगाकर या सर्जरी से।


  • दोनों ही मामलों में एक से डेढ़ महीने तक देखभाल की मांग की जाती है।


  • सर्जरी के बाद दवा लेने और व्यायाम करने को कहा जाता है। जहां ऑपरेशन किया जाता है, वहां इसकी देखभाल करने को कहा जाता है।


  • यदि आप उचित देखभाल नहीं करते हैं, तो आपको संक्रमण हो सकता है। आस-पास के जोड़ सख्त हो सकते हैं।


  • यदि प्लास्टर के मामले में उचित देखभाल नहीं की जाती है, तो हड्डी अपनी जगह से हिल सकती है और ठीक से जुड़ नहीं पाती है।


तीसरी गलती


  • कैल्शियम और विटामिन डी का कम सेवन।


  • फ्रैक्चर के बाद कैल्शियम और विटामिन डी की खुराक दी जाती है, लेकिन कभी-कभी उनके स्रोत - जैसे दूध, हरी सब्जियां, अंडे - आहार में कम होते हैं।


चौथी गलती


  • शराब, सिगरेट, तंबाकू का लंबे समय तक सेवन।


  • फ्रैक्चर होने के बाद इसे कम से कम किया जाना चाहिए।


  • ये चीजें हड्डियों के बनने की प्राकृतिक प्रक्रिया को धीमा कर देती हैं।


  • इससे हड्डी न जुड़ने या जॉइनिंग टाइम नहीं होने की समस्या होती है।



पांचवी गलती


  • डॉक्टर हर कुछ दिनों में फ्रैक्चर के बाद चेकअप के लिए बुलाते हैं, लेकिन मरीज नहीं जाते।


  • फ्रैक्चर के बाद दिनचर्या सामान्य होने में 4 से 6 महीने लग सकते हैं।


  • उस दौरान आपको नियमित अंतराल पर अस्पताल जाना पड़ता है ताकि हड्डी के जुड़ने की प्रक्रिया पर नजर रखी जा सके।


  • अगर बीच-बीच में कोई दवा बदलने की जरूरत पड़ती है तो डॉक्टर बताते हैं कि हड्डियों के जुड़ने की प्रक्रिया प्राकृतिक तरीके से चलती रहती है।


  • नियमित जांच के लिए जाना सुनिश्चित करें।


हड्डियों के टूटने से जुड़े भ्रम


लेख के इस भाग में, हमने ऑडियो के टूटने से होने वाले भ्रम के बारे में बात करने की कोशिश की है,


  • टूटी हड्डी होती है मजबूत


इस झंझट में बिल्कुल न रहें। दरअसल, घाव भरने के दौरान एक नई हड्डी का निर्माण होता है, जिससे घायल हड्डी को बचाया जा सके। हालांकि, चोट के ठीक होने के बाद यह हड्डी धीरे-धीरे घुल जाती है।

नई जुड़ी हुई हड्डी उतनी ही मजबूत है जितनी चोट से पहले थी।


  • अंगूठा टूट जाए तो डॉक्टर को दिखाना बेकार है


टूटे हुए अंगूठे का डॉक्टर भले ही कुछ नहीं कर सकता।

भले ही अंगूठे पर प्लास्टर लगाना मुश्किल हो। हालांकि, अगर अंगूठे में चोट लग जाए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इससे भविष्य में आने वाली परेशानियां दूर हो जाती हैं। कई बार ऐसा होता है कि जूते पहनना मुश्किल हो जाता है। बेहतर है कि अंगूठे की हर चोट को गंभीरता से लिया जाए। तेज दर्द होने पर डॉक्टर को दिखाएं। ताकि उचित इलाज से चोट को ठीक किया जा सके।


अधिकांश घायल पैर की उंगलियों पर पट्टी बांधी जा सकती है और उन्हें सीधा रखा जा सकता है। इस दौरान चोट से उबरने के लिए खास जूते भी बाजार में आते हैं। कई लोगों के लिए अंगूठे की चोट बहुत मुश्किल हो सकती है।


  • अगर आप एक हड्डी तोड़ते हैं तो आपको निश्चित रूप से दर्द महसूस होगा


यह भी एक बड़ी भ्रांति है। हर बार यह संभव नहीं है कि हड्डी टूट जाए, इसलिए आपको दर्द होगा। ऐसा नहीं है, बहुत से लोगों को पता ही नहीं चलता कि उनकी एक हड्डी टूट गई है। टूटी हड्डियों को चोट लगी है। लेकिन, मामूली टूट-फूट का भी पता नहीं चल पाता है।


जब आपको पता चलता है कि एक हड्डी टूट गई है, तो आपको तुरंत किसी विशेषज्ञ की मदद लेनी चाहिए। ताकि, वह आपकी हड्डियों को सही जगह पर लाकर उनसे जोड़ सके। नहीं तो वे संक्रमित हो सकते हैं।


 निष्कर्ष 


इस आर्टिकल के माध्यम से हमने आपको टूटी हुई हड्डी जुड़ने में कितना समय लेती है और उससे जुड़े विषयो के बारे में विस्तार से बताया है। अगर आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपके मन में किसी भी प्रकार का कोई सवाल आता है तो आप हमसे नीचे दिए गए कॉमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं।


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