Friday 5 January 2024

हीरो होंडा क्यों अलग हुई? hero se honda kab alag hua? hiro honda ek dusre se kab alag hua hai

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 हेल्लो दोस्तो आज की इस पोस्ट में हम जानने वाले है कि आखिर क्यों ।हीरो होंडा क्यों अलग हुई? hero se honda kab alag hua?  hiro honda ek dusre se kab alag hua hai ।आदि आपके मन में भी यह सवाल है तो आज की इस पोस्ट में आपको पूरी जानकारी मिलने वाले है तो जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।


हीरो होंडा क्यों अलग हुई? hero se honda kab alag hua?  hiro honda ek dusre se kab alag hua hai

 

Hero Honda 19 से लेकर आज तक यह नाम हर किसी की जुबां पर छाया रहता है क्योंकि हीरो और हौंडा कि कलऑपरेशन से बनी है। कंपनी दुनिया में सबसे अच्छे टू व्हीलर विकास बनाती थी, लेकिन कंपनी प्रॉफिटेबल होने के बाद भी अलग क्यों हुई और कैसे होंडा ने भारत की कंपनी हीरो के पीठ में छुरा घोंप आज के इस पोस्ट में हम सब कुछ जानने वाले हैं। 



दोस्तो असल में हीरो एक साइकिल बनाने वाली कंपनी थी, जिसकी नीव बृजमोहन लाल मुंजाल ने 1956 में रखी थी और 1975 तक आते-आते यह भारत की सबसे बड़ी साइकिल बनाने वाली कंपनी बन गई। इसके बाद उन्होंने अपनी साइकिल को बड़े लेवल पर विदेशों में भी बेचना शुरू कर दिया और इस तरह साल 1986 आने तक यह कंपनी सिर्फ इंडिया ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की सबसे बड़ी साइकिल बनाने वाली कंपनी में शुमार की जाने लगी। लेकिन उसी दौरान उन्होंने देखा कि फॉरेन मार्केट में मोटरसाइकिल बिजनेस भी काफी तेजी से एक्सप्लेन कर रहा है। लेकिन इंडिया में तो लोगों के पास सिर्फ स्कूटर और मुंह पर कई ऑप्शन है। इसलिए वे इस केप फेल करने के लिए इंडिया। मार्केट में मोटरसाइकिल उतरना चाहते थे। लेकिन हीरो के साथ प्रोब्लम यह थी कि उसके पास इंजन बनाने की टेक्नोलॉजी नहीं थी 


जिसकी वजह से मोटरसाइकिल बनाना उनके लिए तो मुमकिन ही नहीं था, इसलिए अपने प्लान को ऐक्शन में लाने के लिए उन्होंने किसी विदेशी कंपनी के साथ में कूलऑपरेशन  करने के बारे में सोचा। अब उस वक्त भारत में लिबरलाइजेशन भले ही नहीं आया था, लेकिन उस टाइम गवर्नमेंट इंडियन कंपनी कोआ ओफच्रुति  देती थी। अगर वो चाहे तो किसी भी विदेशी कंपनी के साथ में टाइप करके इंडिया में अपना बिजनेस  सस्पेंड कर सकते हैं।


हीरो हौंडा की शुरुआत कब हुई


 इसलिए बृज मोहन लाल ने हीरो की थ्रू दुनिया की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल बनाने वाली जापानी कंपनी होंडा के पास अपना प्रपोजल भेजा। अब क्योंकि उस समय कोई भी विदेशी कंपनी भारत में डायरेक्ट ही अपना बिजनेस स्टार्ट नहीं कर सकती थी। ऐसे में इस प्रपोजल के जरिए होंडा को इंडियन मार्केट में एंटर करने का एक अच्छा मौका मिल गया जिससे कि हौंडा कंपनी खुद भी नहीं गंवाना चाहता था। इसलिए इन दोनों कंपनी ने 1984 में एक दूसरे के साथ हाथ मिला लिया हीरो और हौंडा की। बीच उस टाइम एग्रीमेंट हुआ था कि हीरो बाइक्स के लिए बॉडी बनाएगा और होंडा उसके लिए इंजन सप्लाई करेगा। इसके अलावा उन्होंने एनओसी भी साइन की थी, जिसके कोडिंग दोनों कंपनी फ्यूचर में कभी भी एक दूसरे के मुकाबले में अपना कोई प्रोडक्ट लॉन्च नहीं करेंगे 


हीरो होंडा कंपनी का पहले बाइक कब लॉन्च हुआ था


और दोस्तों दोनों ही कंपनीज इन कंडीशन सर्टिफाइड थी। इसके बाद से यह डील फाइनल हो गई और यही सी हीरो हौंडा की शुरुआत हुई। कार्यवाही पूरी करने के बाद हीरो हौंडा का सबसे पहला प्लांट हरियाणा में बनाया गया जहां से हीरो और हौंडा ने मिलकर तुरंत ही बाइक की मैन्युफैक्चरिंग करने स्टार्ट कर दी और 1985 में  जब उन्हों अपनी पहली बाइक सिटी हंड्रेड  लॉन्च कर दिया। उस समय बहुत तेजी से पॉपुलर हुई क्योंकि इंडियन मार्केट में तो बाइक का कॉन्सेप्ट ही नया था और दूसरा इस बाइक का माइलेज बहुत ही कमाल का था। इसके अलावा उन्होंने अपनी बाइक को स्ट्राइक सेकंड पर लांच किया था जो कि हर मिडल क्लास फैमिली के लिए अफॉर्डेबल हुआ करता था। साथ ही उन्होंने अपना मार्केट कैंपेन भी बहुत ही प्रभावी तरीके से तैयार किया था जहां इनके। 


फॉरगेट इट यानी कि पेट्रोल फिल करके ज्यादा इस टैगलाइन का भी लोगो पर जायदा असर हुआ और लोग इस बाइक की दीवाने हो गए थे क्युकी स्कूटर वाला माइलेज बाइक में मिल रहा था, लेकिन उसी दौरान जापानी करेंसी में उछाला गया जिसकी वजह से जितने भी स्पेयर पार्ट्स जापान से आते थे, वह काफी ज्यादा महंगे होने लगी और हीरो हौंडा को अपनी बाइक से पोर्टेबल बनाने में काफी दिक्कतें आने लगी। असल में यह प्रॉब्लम यह भी थी। उस वक्त हीरो हौंडा के कई सारे कंप्यूटर इंडियन मार्केट में आ चुके थे। जैसे सुजुकी यामाहा, बजाज और टीवीएस। लेकिन यह सारे ब्रांड सिर्फ शहरी इलाकों में रहने वाले वेल्थी कस्टमर्स पर ही फोकस करते थे। 



लेकिन अगर हीरो हौंडा को देखा जाए। उनका मेन होगा और लोअर मिडल क्लास 10th सलूशन चाहते थे और यही वजह थी कि हीरो हौंडा की बाइक सिर्फ शहरों में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में ही सबसे ज्यादा सेल होती थी और यही सब देखते हुए कंपनी अपनी। बाइक का प्राइस नहीं बढ़ाना चाहती थी। यहां तक कि इसी की वजह से कंपनी को काफी लंबे अर्से तक लॉस का भी सामना करना पड़ा। लेकिन 1990 में जब डॉलर का एक्सचेंज प्राइस रेगुलेट हुआ तो फिर हालात कुछ सुधारने लगा  और देखते ही देखते कुछ ही समय में हीरो होंडा एक बार फिर से अपनी बाइक पर प्रॉफिट कमाने लगा और अगले कुछ सालों में कंपनी का प्रॉफिट 10 मिलियन डॉलर को भी क्रॉस कर गया क्योंकि उस जमाने में एक बहुत बड़ा नंबर था।




 अब यहां तक तो चीजें ऊपर ऊपर से काफी अच्छी नजर आ रही थी। लेकिन अंदर से सिचुएशन बहुत पहले से ही खराब होनी शुरू हो गई थी। दरअसल कंपनी के मैनेजमेंट शुरू से ही कई तरह की प्रॉब्लम चल रही थी जैसे कि होंडा तो अपनी बाइक अमेरिका और रूस जैसे डेवलप्ड कंट्री में सेल कर रहा था, लेकिन हीरो होंडा की तरफ से फौरन अपनी वाइफ को सेल करने की परमिशन नहीं थी। 


यानी की एक तरफ  हीरो साइकिल मैन्युफैक्चर के तौर पर उस समय दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी थी। यहां तक कि गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी इनका नाम दर्ज था। वहीं दूसरी तरफ होंडा की वजह से वह अपनी बाइक फॉर रेंट मार्केट में सेल नहीं कर पा रही थी। असल में इंडिया के बाहर हीरो हौंडा को सर्फर नेपाल भूटान और बांग्लादेश जैसी आसपास की कंट्री तक ही  अपनी बाइक में सपोर्ट करना अलाउड था, जिसकी वजह से हीरो कंपनी इंटरनेशनल मार्केट में जो पोजीशन चाहती थी, वह उसे नहीं मिल पा रही थी और एक तरफ तो होना काफी तेजी से ब्लॉक कर रहा था, लेकिन वहीं दूसरी तरफ हीरो एक लिमिटेड स्पेस में सीमित होकर रह गया था। जिसकी वजह से इन दोनों कंपनी की आपसी रिश्ते खराब होने लगे। इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट के कोडिंग हीरो बाइक्स की बॉडी बनाती थी और होंडा इंजन 



दोस्तो अगर हीरो को अपना एक्सपेंड करने के लिए अलग होना पड़ता तो फिर वह ऐसा नहीं कर सकते थे। क्योंकि यो  इंजन के लिए पूरी तरह से होंडा पर इंडिपेंडेंट थे। 



हालाकि हीरो का या समझा चुका था कि अगर उससे हौंडा से अलग होना है तो खुद इंजन मैन्युफैक्चर  करना ही पड़ेगा इसलिए हीरो हौंडा से अपने हिस्से का जितना भी प्रॉफिट मिलता था, उसके एक बड़े हिस्से को इंजन बनाने में खर्च करने लगा जिसकी वजह से होंडा और हीरो के बीच में दरार और भी ज्यादा बड़ी हो गई। 


अब जैसा कि उन्होंने कोला परेशन के टाइम एनओसी साइन किया था कि यह एक दूसरे के मुकाबले में कभी भी बाइक नहीं लॉन्च नही करेंगे लेकिन होंडा ने । इसके खिलाफ जाकर साल 1999 में इंडिया के अंदर अपनी एक सिप्रेट कंपनी होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया स्टार्ट कर दी और फिर उसी टाइम  लॉन्च करना शुरू कर दिया। पहले से ही हीरो होंडा की बाइक्स मौजूद थे। इस तरह अगर देखा जाए तो इंडियन मार्केट के अंदर होंडा ने अपनी बाइक को हीरो होंडा के मुकाबले में लाकर खड़ा कर दिया था, जिसकी वजह से हीरो हौंडा के कस्टमर डिवाइड हो गया और इसके  कुछ साल बाद होंडा एक्टिवा को लॉन्च करके स्कूटर सेगमेंट में भी इंटर कर लिया था।


हीरो होंडा कंपनी कब अलग हुई थी


 अब अगर देखा जाए तो इस पूरे मामले में उनकी पांच उंगलियां थी। हीरो हौंडा अर्निंग हुई रही थी साथ ही  अपनी सेपरेट बाइक कंपनी से भी उसका अच्छा खासा प्रॉफिट जनरेट हो रहा था और दोस्तों ही नहीं सभी प्रॉब्लम को देखते हुए हीरो ने होंडा से अलग होने का फैसला कर लिया और 2010 में जाकर दोनों ही कंपनी हमेशा के लिए अलग हो गई। हीरो होंडा में इन दोनों कंपनियों के 26, 26 पर्सेंट शेयर थे, जिसके चलते होंडा मोटर्स ने अपने हिस्से के सारे 26 %, सेर हिरो कंपनी को ही बेचने का फैसला किया। 


और दोस्तो हीरो कंपनी की  प्रमोटर ब्रजमोहन मुंजाल होंडा के शेयर 1.2 अरब डॉलर में खरीदना खुद का कारोबार हीरो मोटोकॉर्प के नाम से आगे बढ़ाया। अब जब यह दोनों कंपनीज अलग हुई थी तब ज्यादातर लोगों ने यह कहा था कि हौंडा के बिना हीरो मार्केट में कभी भी सरवाइव नहीं कर पाएगी। लेकिन अगर आज की बात करें तो इस समय हीरोमोटोको आपको दुनिया की सबसे बड़ी मोटरसाइकिल बनाने वाली कंपनियों में शुमार किया जाता है। बाकी आज की हमारी इस पोस्ट में बस इतना ही था। यह पोस्ट आपको कैसी लगी। कमेंट करके जरूर बताइएगा आप? 

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