नमस्कार दोस्तो आज की इस पोस्ट में हम जानने वाले हैं कि चाणक्य का जन्म और मृत्यु कब हुआ?आदि आपके मन में यह सवाल गूंज रहा है तो कोई बात नही हम आपको इस पोस्ट के मध्यम से पूरी जानकारी देने की कोशिश करेंगे की चाणक्य का जन्म और मृत्यु कब हुआ?? थी जानने के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े
चाणक्य का जन्म और मृत्यु कब हुआ?
आचार्य चाणक्य को कौटिल्य, वात्सायन और विष्णु गुप्त जैसे अन्य नामों से जाना जाता है। परंतु इनकी ज्यादा पहचान चाणक्य नाम से हुई। चाणक्य की जीवनी आम लोगों से हटकर रहस्यमई और कठिनाइयों में गुजरा था। चलिए जानते हैं इनके जीवन और मरण से जुड़ी सारी कहानी संक्षिप्त में।
क्या आपको मालूम है चंद्रगुप्त मौर्य के पुत्र बिंदुसार मौर्य और उनके पुत्र सम्राट अशोक थे। आचार्य चाणक्य ने इनका मार्ग दर्शन किया है। जो आगे चलकर एक बहुत बड़े चक्रवर्ती सम्राट अशोक के नाम से लोग जानते थे।
चाणक्य की मौत और जन्म कब हुई?
चाणक्य के माता का नाम चणेश्वरी और पिता का नाम चणक होने के कारण आचार्य का नाम चाणक्य पड़ा। इनका जन्म का जन्म 375 ईसा पूर्व तक्षशिला में हुआ था जबकि चाणक्य की मृत्यु 283 ईसा पूर्व पटना में हुई थी।
चाणक्य की मौत कैसे हुई?
आचार्य चाणक्य की मौत एक ऐसी रहस्यमई घटना है। जिसे आज तक यह प्रमाणित नहीं किया गया कि इनकी मौत किस वजह से और क्यों हुई। परंतु इनकी मौत के पीछे ऐसी बहुत सारी कहानियां लिखी हुई है। और बताई जाती है। जिस आधार पर यह माना जाता है कि चाणक्य की मौत इसी कारण से हुई होगी।
परंतु उनमें से कौन सी कथन सत्य है, इसका सत्यापित करना मुश्किल है। चलिए जानते हो कौन-कौन से कथन है। जो इनकी मौत के बारे में जिक्र करते हैं।
1.कुछ इतिहासकारों का यह मानना है, की हेलेना जो मगध की महारानी थी। जिन्होंने उनकी भोजन में जहर देकर मारा और कुछ लोग यह भी मानते हैं कि उन्होंने ही हत्या करवाई।
2. कुछ-कुछ इतिहास के पन्नों में यह भी बताया गया है कि चाणक्य अपने सारे कार्यों को पूरा करने के बाद एक दिन अपने रथ पर सवार होकर मगध राज्य से दूर जंगलों में चल पड़े जहां से वह कभी लौट कर नहीं पाए।
3. इस कहानी के अनुसार सुबंधु ने चाणक्य को जिंदा जलाने की कोशिश की जो बिंदुसार के मंत्री थे। जिसमें वह सफल भी रहे। हालांकि कुछ एतिहासकारो के अनुसार आचार्य ने खुद प्राण त्यागे थे या फिर कोई षड्यंत्र का हिस्सा थे, यह आज भी पता नहीं चल पाया।
4. यह भी कहा जाता है, कि मंत्री सुबंधु षड्यंत्र के वजह से बिंदुसार के मन में संदेह उत्पन्न किया गया की उनकी माता की मृत्यु चाणक्य ने की इसके कारण राजा और चाणक्य के बीच की दूरियां बढ़ती गई फिर एक दिन हमेशा के लिए महल छोड़ कर चले गए हालांकि बाद में बिंदुसार को इस बात का पछतावा हुआ परंतु बहुत देर हो चुकी थी।
5. चंद्रगुप्त मौर्य को मरने के बाद चाणक्य अनुशार बिंदुसार पर सफलतापूर्वक शासन चल रहा था। लेकिन इसी काल परिवारिक संघर्ष का भी सामना करना पड़ रहा था। परिवार और कुछ राजदरबारीयों यह अच्छा नहीं लगा। बिंदुसार का मंत्री सुबंधु खुद राजा बनने की लालसा को ले कर चाणक्य को राज्य से दूर करने की कोशिश करता रहता था।
चाणक्य की मृत्यु की पीछे दो सच्ची कहानी
पहली कहानी : के अनुसार आचार्य चाणक्य ने खुद से प्राण लिया था की जब तक मृत्यु नहीं होगी तब तक वह खुद जल और अन्न नही ग्रहण करेंगे। पहला कारण यह भी हो सकता है क्योंकि चाणक्य एक महान षड्यंत्रकारी मंत्री भी थे।
दूसरी कहानी : यह भी बताया जाता है कि उनकी मृत्यु के पीछे उनका स्वयं का कोई भी हाथ नहीं था। बल्कि उनकी दुश्मनों ने उनकी हत्या करवाई। जिसमें से ज्यादा संभावना इसी कहानी को दी जाती है क्योंकि इतने बड़े ज्ञानी खुद की हत्या क्यों करेगा।
चाणक्य की उम्र कितनी थी
जैसा कि हमने आपको ऊपर चाणक्य की मृत्यु और जन्म कब हुई इसके बारे में बताया। जहां पर इनका जन्म 375 ईसा पूर्व और मृत्यु 283 ईसा पूर्व में हुई जिनकी बीच की 92 वर्ष होता है। यानी आचार्य चाणक्य की 92 वर्ष हुई थी।
चाणक्य राजा क्यों नहीं बना
कहा जाता है कि आचार्य चाणक्य को किसी चीज का अपने बारे में ज्यादा लालच नहीं थी। परंतु यह कहना सत्य नहीं होगा क्योंकि चाणक्य जैसे व्यक्ति को लालच ना हो ऐसा हो ही नहीं सकता। परंतु कुछ हद तक यह भी मानना है। लोगों का की उन्हें राज्य में ज्यादा रुचि ना होने के कारण वह राजा नहीं बने और आचार्य चाणक्य चाहते तो वह बहुत ही आसानी से किसी भी राज्य का राजा बन सकते थे।
फिर भी उनमें इतनी क्षमता और बुद्धि थी कि वह किसी राज्य को बिना राजा बने ही राज्य को अपनी मर्जी से चला सके और वह चलाएं भी जो कि उनके मंत्री पद में राजा उनकी हर बातों का पालन करता था। उनसे हर पल सलाह लेता रहता था। जिसका परिणाम लाभप्रद साबित होता रहता था।
चाणक्य की पत्नी का नाम क्या था
इतिहास के पन्नों में चाणक्य से जुड़े लगभग आधे से अधिक बातें अनुमान के तौर पर बताइए गई है। जहां पर यह भी किसी को नहीं मालूम है कि उनकी पत्नी का क्या नाम है परंतु यह बात बृहत्कथाकोश के द्वारा बताया गया की चाणक्य के पत्नी का नाम यशोमती था।
चाणक्य नीति की 10 बातें क्या है?
आचार्य चाणक्य बहुत ही बुद्धिमान और चतुर व्यक्ति थे जो अपने जीवन काल में ऐसे ऐसे कार्य कर चुके थे जो बिना हथियार उठाए करना संभव नहीं था इसलिए लोग आज चाणक्य को प्रेरणा मानकर उनकी कुछ बातों पर गौर करते हुए चलते हैं।
धन एक ऐसी संपत्ति है जो आपको केवल को सम्मान ही नहीं दिलाता बल्कि आपके जीवन शैली को एक महत्वपूर्ण दिशा की ओर मोड़ने की कोशिश करता है। चाणक्य के मानना था कि दुनिया में जो धन्यवाद है वह जल्द आपदाओं से नहीं डरता क्योंकि वह जानता है हमें बस यही एक ऐसी चीज है जो इन आपदाओं से बाहर निकाल सकता है।
आचार्त चाणक्य अपने जीवन में सबसे बड़ी भूमिका किसी को दिए थे तो वह महिला थी। इसके धन। महिलाओं के लिए बचत से भी खर्च करने पड़े तो बिल्कुल नहीं संकोच करते थे।
उनका मानना था कि जिस स्थान पर उन्हें कोई शिक्षा, इज्जत, रोजगार और शुभचिंतक ना मिले ऐसे स्थानों पर रहना व्यर्थ है क्योंकि उनके पास कोई ऐसी ज्ञान नहीं है कि आपको सीखा सके। इसीलिए चाणक्य नीति से यह बात आती हैं कि दोस्ती उन से रखो जो संस्कार रखते हैं क्योंकि आपको बहुत सारे ऐसी ज्ञान है जो सीखने को मिलेगा।
आचार्य चाणक्य का मानना था कि किसी भी इंसान को देखकर जॉच ना करें पत्नी की परीक्षा जब लेना, जब आपके पास धन ना हो और दोस्त की परीक्षा जब, जब आपके पास कोई काम न हो। तभी सारे परीक्षाओं का सही परिणाम मिल सकता है। क्योंकि हर कोई सुख में तो साथ देता है, परंतु दुख में देने की बारी आती है तो अच्छे अच्छे लोग बदल जाते है।
ऐसी दौलत की कभी नहीं चाह रखे। जो खूसामत कर मिला और ज्यादा मेहनत के बाद मिले। क्योंकि यह आपके जीवन में सबसे कठिन कार्य करने के बाद यह धन मिला है। इसलिए इस धन को लंबे समय तक न रहे बल्कि इससे कोई व्यापार की शुरुआत करें।
जिसके पास धन, आस्था और लगाव नहीं होता वह व्यक्ति कभी मोक्ष की प्राप्ति नहीं कर सकता क्योंकि वैसे व्यक्ति जन्म और मृत्यु के बीच चक्र में फंसे रह जाते हैं।
चाणक्य का मानना था कि गरीबी एक रोग है जो व्यक्ति खुद को गरीब मानता है। उससे बड़ा इस दुनिया में कोई मुर्ख हो ही नहीं सकता बल्कि गरीब होने के बाद कोई व्यक्ति इस तरह बरताव करें कि उसके पास दुनिया की हर खुशी है जो अपनों के पास नहीं। वही धारणा उस गरीब व्यक्ति को उसे मकाम तक ले जाने का कारण बनता है।
आचार्य चाणक्य यह भी मानते थे कि अत्यधिक दान भी नुकसानदेह साबित होता है। सीता अत्यधिक सुंदरता नहीं होती तो अपहरण नहीं होती, रावण के पास अत्याधिक घमंड नहीं होता तो वह आज मारा नहीं जाता। बाली अत्याधिक दानवीर ना होता तो कष्ट ना होता। इसलिए लोगों को हमेशा दान अपने सीमा के अनुसार देना चाहिए
लोगों को ऐसी जगह पर नहीं रहना चाहिए जहां पर नियम, कानून ना हो, चतुर लोग न हो, कला की कमी हो इस तरह के स्थानों पर रहना आपके जीवन की सबसे बड़ी गलती है।
जो व्यक्ति लक्ष्य निर्धारित नहीं कर सकता वह कभी जीवन में विजई नहीं हो सकता अपने योजनाओं के बारे में कभी किसी से जिक्र नहीं करना क्योंकि बाद में वही व्यक्ति आपकी योजनाओं का सबसे बड़ा असफल कारण बन सकता है। इसलिए जो भी कार्य करें उस कार्य को अपने तक ही सीमित रखें
Faq
Q.चाणक्य की मृत्यु कब हुई।
मृत्यु 283 ईसा पूर्व
Q.चाणक्य का जन्म कब हुआ
आचार्य चाणक्य का जन्म ईसा पूर्व 375 में हुआ था
Q.चाणक्य की आयु कितनी थी
92 वर्ष
Q.चाणक्य की माता-पिता का क्या नाम था
माता का नाम चणेश्वरी और पिता का नाम चणक था
Q.चाणक्य की पत्नी का क्या नाम था
यशोमती
Q.चाणक्य की जन्म और मृत्यु इस स्थान पर हुई
जन्म तक्षशिला में हुई और मृत्यु पटना में हुई थी।
Q.चाणक्य कहां का राजा था?
चाणक्य करने का राजा नहीं था बल्कि वह अपना जीवन कुटिया में बिताया।
Q.चाणक्य क्या करता था।
चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य के महामंत्री थे। और उस समय के विद्वान भी थे।
Q.चाणक्य को कितने नामों से जाना जाता है।
वात्सायन, कौटिल्य या विष्णुगुप्त
Q.चाणक्य कौन से धर्म का था?
जैनहिन्दू धर्म
Q.चाणक्य के गुरु का नाम क्या था?
हमने क्या सीखा
आशा करता हूं आपको यह लेख काफी मददगार साबित हुई होगी अगर इस लेख से संबंधित किसी भी तरह की कोई भी समस्या आपके मन में चल रही हो तो आप मुझे कमेंट कर बता सकते हैं। उसकी उत्तर जल से जल देने का कोशिश करूंगा और भी बताएं कि आपको यह पोस्ट पढ़ने के बाद कैसा लगा। अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूलें।
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