Friday 9 June 2023

कब और कैसे होगा कलियुग का अंत?

 न्यू बिहार हेलो दोस्तो आज की इस पोस्ट में हम बात करने वाले है की ।।कलयुग का जन्म कैसे हुआ।कलयुग का अंत कब होगा । अगर आप जानना चाहते हो तो इस पोस्ट को आंत तक जरुर पढ़े।।

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कब और कैसे होगा कलियुग का अंत?


कलयुग का जन्म कैसे हुआ।कलयुग का अंत कब होगा



मित्रों वर्तमान में चारों तरफ फैली इस महामारी को देखकर आप सभी के मन में भी। 


विचार आ रहा होगा। 

कि कलयुग अपने चरम पर है। 

और यही जीवन का अंत है। 


परंतु यह सत्य नहीं है। 

हिंदू शास्त्र! 

सूर्य सिद्धांत में वर्णन के अनुसार।

  Wastav में कलयुग का आरंभ हुए अभी ज्यादा ऐसा नहीं हुआ है। था


बाकी यह तो कलयुग का आरंभ है और इसका अंत होने में अभी काफी समय शेष है। 


कलयुग का आरंभ कैसे हुआ इस विषय पर वर्णन हेतु यदि हम अपने हिंदू शास्त्रों। 


पुराना महाभारत भरूच। 


पति विष्णु, स्मृति और सूर्य सिद्धांत जैसे ग्रंथों के पन्ने पलटे तो हमें कलयुग काल के भयावह प्रभाव के बारे में पता चलता है और। 


ओर ऐसी  बहुत सी कथाएं सामने आती है जो कि कलयुग के आरंभ से जुड़ी है इनमें से सब। 


सुप्रसिद्ध कथा के अनुसार कलयुग। 


पृथ्वी पर आगमन राजा परीक्षित की एक भूल  से जुड़ी है। 


आइए हम जानते है की यो कौन सी भूल थी जिसके परिणाम स्वरूप कलयुग नासिर धरती पर आया बल्कि यहीं का होकर रह गए? 


मित्रों आज की हमारी यह पोस्ट  कलयुग के आरंभ से जुड़ी ऐसी सत्यता को उजागर करती है। 



नमस्कार मित्रों स्वागत। 


आपका Love is lifes.com पर को आगे बढ़ाते हुए आप जानते हैं उस संदर्भ के बारे में। 


जो कलयुग के आरंभ से जुड़ा सबसे प्रचलित संदर्भ है।



जीहा महाराजा परीक्षित से जुड़ी या कथा  था जिसकी चर्चा हमें इस पोस्ट के आरंभ में की थी और जिसके फलस्वरूप ही राजा परीक्षित को। 


पृथ्वी पर कलयुग के 13 जमाने का जिम्मेदार ठहराया गया है। क्या थी वो भूल आईए जानते है इस पोस्ट मै


इस बात में क्या आपने कभी सोचा है ऐसे क्या कारण? 


वही हूं जिसके चलते कलयुग को धरती पर आना पड़ा महाभारत की समाप्ति की। 


दुवारापार युग की समाप्ति कोके दिन भी समीप आ रहे थे। तब धरती पर अपनी भूमिका पूरी कर रहे हैं। भगवान श्री कृष्ण जी को बैकुंठ धाम लौट gaya


तब पांडव का  मन भी इतनी रोज और हिलसा के बाद धरती पर नहीं लग रहा था और उन्होंने सब कुछ त्याग मोक्ष यात्रा पर जाने का निर्णय लिया और धर्मराज 


युधिष्ठिर ने अपना पूरा राजपाट परित्याग कर अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु और उत्तरा के पुत्र परीक्षित को सौंप दिया, 


जिसमें उन्होंने परीक्षित को सर्व अधिकारों के साथ सम्राट घोषित कर दिया और अन्य पांडवों और द्रौपदी सहित महाप्रयाण हेतु हिमालय की ओर निकल गए। अब धरती पर राजा परीक्षित कथा जो भगवान कृष्ण माता, लक्ष्मी और विद्युत जैसे विद्वानों के अभाव में।



अच्छे से राजपाल चलाने का प्रयास कर रहे थे। कहा जाता है कि पांडव और द्रौपदी जब हिमालय मोक्ष यात्रा पर चले गए सब ठीक है।


 स्वयं हर धर्म बेल  का रूप लेकर और गाय के रूप में बैठी थी। सरस्वती नदी के किनारे एक एक छोर पर बैठे बार-बार कर रही थी। गाय के रूप में बैठी पृथ्वी के नए नामों से भरे हुए थे। उनकी आंखों से लगाता राष्ट्रपति।

उनकी आंखों से लगातार अश्रु बहे जा रहे थे। किसी को दुखी देख धर्म रूपी बेल ने उनसे उनकी परेशानी का कारण पूछा। 


धर्म ने कहा बीवी कहीं तुम्हें देखकर तो नहीं घबरा गई कि मेरा बस एक ही पैर है। 


YA to तुम इस बात से दुखी हो, यह अब तुम्हारे ऊपर बुरी ताकतों की शाया शासन हो


इस सवाल का जवाब देते हुए प्रतिनिधि भी बोली।



है धर्म हो तुम तो सब कुछ जानते हो ऐसे में मुझसे मेरे दुखों का कारण पूछने से क्या लाभ दे मित्रता? 


नया शब्द विचार ज्ञान वैराग्य ऐश्वर्या ने भी करता कोमलता है रे आधी के स्वामी भगवान श्री कृष्ण। 


अपने धाम चले जाने की वजह से। 


देश कलयुग नहीं, मुझ पर कब्जा कर लिया है श्री।



के चरण कमल मुझ पर पढ़ती थी जिसकी वजह से मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती थी, परंतु अब ऐसा नहीं है। अब मेरा सौभाग्य समाप्त हो चुका है। धर्म और प्रति आपस में बातें कर ही रहे थे। 


प्रीवियस रूपी कलयुग वहां पहुंचा और धर्म और पृथ्वी रोटी गाय और बैल को मारने लगा। उसी समय राजा परीक्षित उसी मार्ग से गुजर रहे थे। जब उन्होंने अपनी आंखों से यह दृश्य देखा। सुबह पर बहुत क्रोधित हुए। 


राजा परीक्षित कलयुग से कहा दुष्ट पापी तू कौन है और क्यों उसने अपराध गाय और बैल को मार रहा है। तू वहां अपराधी है। तेरा अपराध क्षमा योग्य भी नहीं। इसलिए तेरी मौत निश्चित है। इतना कहते हुए राजा परीक्षित ने अपनी तलवार निकाली और कलयुग को मारने के लिए आगे बढ़े राजा परीक्षित का क्रोध। 


देकर कलयुग थरथर कांपने लगा। वह भी इस कलयुग अपनी राष्ट्रीय वेशभूषा को उतारकर राजा परीक्षित के चरणों में गिर गया और क्षमा याचना करने लगा। 


राजा परीक्षित ने भी अपनी शरण में आए कलयुग को अपने जीवन की भिक मानता देख उसे मारना उचित नहीं समझा और उसे चेतावनी देते हुए कहा कि कलयुग तू मेरी शरण में आ गया है इसलिए मैं तुझे जीवन दे रहा हूं।


किंतु अधर्म पार्क, झूठ, चोरी, कपट, दरिद्रता आदि अनेक धर्मों का मूल कारण केवल तू ही है तू मेरे राज्य से अभी निकल। जा


और फिर कभी लौट कर नहीं आना। कलयुग ने राजा परीक्षित की बात सुनकर बड़ी चतुर्था से कहा कि पूरी पृथ्वी पर आप का निवास है। पृथ्वी पर ऐसा कोई स्थान नहीं था, आप का राज नहीं हो। ऐसे में मुझे ऐसे तुझको पृथ्वी पर रहने के लिए आप स्थान प्रदान कीजिए। कलयुग के यह कहने पर राजा परीक्षित ने काफी सोच विचार कर कहा। 


शक्तिमान काम और क्रोध का निवास जहां भी होता है, इन चार स्थानों पर तुम रह सकते हो परंतु इस पर कलयुग बोला, यह राजस्थान में रहने के लिए पर्याप्त है। 


मुझे अन्य जगह भी प्रदान कीजिए। कलयुग की यह मानसून राजा परीक्षित ने विचार कर कलयुग को रहने के लिए स्वर्ण के रूप में पांचवा स्थान प्रदान किया। कलयुग स्थानों के मिल जाने पर प्रत्यक्ष वहां से चला गया कि तू कुछ दूर जाने के बाद अदृश्य रूप। 


वापस आकर राजा परीक्षित के स्वर्ण मुकुट में निवास करने लगा और फिर इसी तरह से कलयुग का आगमन धरती पर हुआ।



आय मार्कंडेय पुराण में वर्णन मिलता है कि कलयुग के शासक मनमाने ढंग से जनता पर राज करेंगे। गा


हर मनचाहे ढंग से उसे लगान वसूल करेंगे। शासक अपने राज्य में धर्म की जगह डर और भय का प्रचार करेंगे। बड़ी संख्या में पलायन शुरू हो जाएगा। लोग सस्ती चीजों की तलाश में अपने घरों को छोड़कर जाने के लिए मजबूर हो जाएंगे घर! 


धर्म को नजरअंदाज किया जाएगा और लालच छूट और कपट सबके दिमाग के ऊपर हावी रहेगा। लोग बिना किसी पश्चाताप की हत्यारा बन कर लो। 


की हत्या भी करेंगे। संभोग ही जिंदगी की सबसे बड़ी जरूरत बन जाएगी। लोग बहुत जल्दी कसमें खाएंगे और उसे तोड़ भी देंगे। लोग मदिरा और अन्य नशीली चीजों की चपेट में आ जाएंगे। गुरुओं का सम्मान करने की परंपरा भी समाप्त हो जाएगी।


अमर ज्ञानी नहीं रहेंगे। शक्तियों का साहस खत्म हो जाएगा और वैश्य अपने व्यवहार में ईमानदार नहीं रहेगा। जीवन में हर एक बुरी स्थिति के लिए कोशिश। 


आने वाला यह कलयुग किन कारणों की वजह से मनुष्य के किए हर एक विकृति के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है? 



इसके पीछे का क्या कारण है कि इसकी वजह से चाहे किसी व्यक्ति की आपसी दृष्टि कारण हत्या कर दी गई हो। किसी नाबालिक कन्या के साथ दुष्कर्म हुआ हो। अपने ही पुत्र ने माता-पिता को घर से निकाल दिया हूं। 


या धान के लोभ में  में पत्नी ने पति की हत्या कर दी हो या धन प्राप्ति की लालसा मनुष्य को अपने ही प्रयोग को मारने पर विवश कर दें और किसी भले पुरुष की की गई। भलाई उसी पर भारी पड़ जाए तो ऐसी में उस दोसी से ज्यादा कलयुग। 


तुझे कह कर दोषी ठहराया जाता है कि ऐसा ना हो ना तो निश्चित कलयुग जो है हर एक कृति के लिए कलयुग ही जिम्मेदार है। मित्रों अपने शास्त्रों और पुराणों में योग चक्र के बारे में सुना ही होगा एक युग लाखों वर्षों का होता है जो एक चक्र के समान गतिमान है।


ब्लू चक्र के बारे में सुना ही होगा क्योंकि लाखों वर्षों का होता है जो एक चक्र के सामान के दीवान है जिसकी फन शुरू प्रत्येक युग के समय काल समाप्त होने के पश्चात एक निश्चित समय अंतराल की क्रमानुसार दूसरे युग का आरंभ होना निश्चित है। 




साथी आपको यह भी बता दें कि पौराणिक मान्यता के अनुसार सतयुग लगभग 1728000 वर्ष त्रेतायुग 1296000 वर्ष द्वापर युग 864000 वर्ष और कलयुग 432000 वर्ष का बताया गया है। काल गणना के अनुसार चार युगों की अवधारणा में सतयुग द्वापर युग त्रेता युग युग के बाद चौथा सबसे अंतिम कलयुग ही है। 


कलयुग है कलयुग की आयु अंधकार का युग को दुख की उम्र या झगड़े और पाखंड की उम्र होता है। कलयुग के साथ को आप संभवत वर्तमान में चल रहे हैं।


शुक्राणु को उठाकर देखा जाए तो उसमें संसार के अंत को लेकर कई बातें बताई गई है। गीता में भी भगवान विष्णु ने कलयुग के आरंभ होने और इस संसार के।


के बारे में कई बातें बताई है। ऐसा बताया जाता है कि भगवान शिव ने विष्णु जी को इस संसार की जिम्मेदारी सौंपी थी और वक्त। 


विष्णु नहीं गीता के कुछ भागों में कलयुग के आरंभ और अंत के बारे में बताया है और जिसके अनुसार इस संसार के अंत के पीछे का कारण एक महिला को बताया है और कुछ संकेत देते हुए कृतियों का वर्णन किया है जो आपको कलयुग के आरंभ। 


का संकेत देता है। गीता में वर्णन के अनुसार जब एक स्त्री अपने संग आरोपी बाल काटने लगे कि जिसे देख बेटा अपने पिता पर हाथ उठा देगा जब चारों ओर सिर्फ असत्य का बोलबाला होगा और सत्य का कोई महत्व नहीं रह जाएगा



जब स्त्रियां अपने घर में ही सुरक्षित महसूस नहीं करेंगे, लोगों के अंदर सेवाएं खत्म हो जाएगा और उनकी अकाल मृत्यु होना आरंभ हो जाएगी। 


जोकी बहुत कास्ट आई होगी। गीता में कथित भगवान विष्णु के अनुसार तब समझ ले कि कल रूपी कलयुग आपके दरवाजे पर खड़ा है। 


आप यह सोचते होंगे कि यह सभी संकेत तो हमारी वर्तमान स्थिति को कहीं ना कहीं शब्दों के रूप में बयां कर रहे हैं तो मित्रों प्रतीक्षा कीजिए। 


इसका और भी विकराल रूप अभी आना बाकी है क्या?

हम सब ने कभी इस बात पर ध्यान दिया है कि ऐसे क्या कारण होंगे जिसके चलते कलयुग को धरती पर आना पड़ा। 


महान गणितज्ञ आर्यभट्ट ने अपनी पुस्तक आर्यभटियाम में इस बात का उल्लेख किया कि चौबे 23 वर्ष के थे। तब कलयुग का 3600 वर्ष चल रहा था। आंकड़ों के अनुसार आर्यभट्ट का जन्म 476 ईसा पूर्व में हुआ था। 


मध्यकाल की भांति ज्योतिषियों ने माना है कि कलयुग एवं कल के प्रारंभ में सभी ग्रह सूर्य एवं चंद्र को मिलाकर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को रविवार के सूर्योदय के समय। 


एकसाथ एक्टर थे के अधिकतर विद्वानों के अनुसार कलयुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व हुआ था। इस मानसिक कलयुग का काल 436000 साल लंबा चले अभी कलयुग का प्रथम चरण ही चल रहा कलयुग का प्रारंभ 3102 ईसा पूर्व हुआ था। जब पांच ग्रह मंगल, बुध, शुक्र, बृहस्पति और शनि मेष राशि पर 0  डिग्री पर हो। गाया थे


गन्ना की जाए तो 5122 वर्ष कलयुग के पी चुके हैं और 426882 वर्ष अभी बाकी है। श्रीमद्भागवत पुराण में 20 का वर्ण क्या गया है ।


सुखदेव जी राजा परीक्षित को कलयुग के संदर्भ में चर्चा करते हुए बताते हैं कि जिस समय सप्तर्षि मघा नक्षत्र में भीषण कर रहे थे तब कलिकाल का प्रारंभ हो गया था। कलयुग की आयु देवताओं की वर्ष करना से बाहर है। 1200 वर्ष की अर्थात मनुष्य की गणना अनुसार 432000 वर्ष की है। यदि इन चारों कानों में अंतर करने में आपको कोई कटाई हो रही उसका विस्तार करते हुए हम आपको बता दें 



नंबर 1 एक सतयुग में मनुष्य की लंबाई 32 फीट अर्थात 21 हाथ  बताई गई है। इस युग में पाप की मात्रा  0 प्रतिशत  होती है और पुण्य की मात्रा 100 की थी होती है। श्वेता युग त्रेता युग में बारिश की लंबाई 21 फीट अर्थात लगभग 14 हाथ  बताए गई है। 


इस युग में पाप की मात्रा 25% और पुण्य की मात्रा 75% होती है। 


नंबर 3

अमर द्वापर युग में मनुष्य की लंबाई 11 फीट अर्थात लगभग 7 बताई गई है। 


इस युग में पाप की मात्रा 50% जबकि पुण्य की मात्रा 50% होती है। 



no4

कलयुग कलयुग में मनुष्य की लंबाई 5 फीट 5 इंच अर्थात लगभग 3:30 हाथ बताई गई है। इस युग में धर्म का सिर्फ की एक चौथाई अंश ही रह जाता है। इस युग में पाप की मात्रा 75 प्रीसाद होता जाता है 


ओर पुणे की मात्रा 25% होती है मित्रों हमारे पुराणों में कलयुग के अंत से जुड़ी बातें। अगर और देखना चाहते है ।।


जिस से संबंधित पोस्ट आपको हमारे वेबसाईट पर मिल जायेगा   इसी के साथ इस पोस्ट को समाप्त करते हैं और यदि आपको हमारी आज की पोस्ट अच्छी लगी हो तो फॉलो  करें। और दूसरे दोस्तो के साथ shere karne Na bhule हमारी इस पोस्ट  कैसी लगी कमेंट करके बताना ना भूले।



जय हिंद







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