Wednesday 7 December 2022

मकर संक्रांति के सुबह क्या होती है ।2023 mein makar sankranti kab hai । 2022 में मकर संक्रांति कब है। makar sankranti ke neg char।

 नमस्कार दोस्तों आप सभी को स्वागत  है आज का इस New Post  के साथ जिसका title है।2023 में मकर संक्रांति कब है।मकर संक्रांति पर 10 लाइन।2023 mein makar sankranti kab hai।makar sankranti kab hai। दोस्तो अगर आप भी जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।

2022 mein makar sankranti kab hai । 2022 में मकर संक्रांति कब है। makar sankranti ke neg char।

2023 mein makar sankranti kab hai । 2023 में मकर संक्रांति कब है। makar sankranti ke neg char। 


दोस्तों आज हम इस पोस्ट  में बात करेंगे। मकर संक्रांति साल 2023 में कब मनाई जाएगी 14 तारीख को या फिर 15 तारीख को इसके अलावा हम आपको पूजा का शुभ मुहूर्त भी बताएंगे। इस दिन महा पुण्य काल का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा। आप किस समय स्नान दान करें ताकि आपको अपनी फल की प्राप्ति हो

दोस्तों मकर संक्रांति का त्यौहार हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है जो सूर्य के उत्तरायण होने पर मनाया जाता है। ज्योतिष की दृष्टि से देखें तो इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान सूर्य स्वयं अपने पुत्र शनि से मिलने जाते हैं। शनिदेव मकर राशि के स्वामी है। इसीलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। 

दोस्तों इस दिन भगवान सूर्य की पूजा का विशेष महत्व है और मकर संक्रांति का दिन स्नान और दान का दिन होता है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। और इस दिन किया गया दान पुण्य गुना होकर आपको फल देता है। 


दोस्तों मकर संक्रांति के दिन विशेषकर तिल गुड़ खिचड़ी का दान करते हैं। इससे आपको विशेष फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन खिचड़ी खाने की भी परंपरा है और इस दिन रंग बिरंगी पतंग उड़ाने का भी रिवाज है। 


दोस्तों मकर संक्रांति पर भगवान सूर्य का पूजन किया जाता है जो सभी लोग दोष से मुक्ति प्रदान करता है और आपके सारे मनोरथ को भी पूर्ण करता है। आप मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर तिल का उबटन लगाकर स्नान करें और हो सके तो इस दिन किसी पवित्र नदी या गंगा नदी में स्नान करें। यदि आप गंगा स्नान ना कर सके तो घर पर ही अपने नहाने वाले पानी में थोड़ा स गंग। मिलाकर स्नान जरूर करें। इसके बाद आप सूर्य को जल अर्पित करें। आप एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल भर ले और इसमें लाल फूल लाल चंदन दिल पर थोड़ा सा गुण मिला लें और सूर्य को जल अर्पित करें। इसके बाद आप सूर्य के मंत्रों का जाप करें। आपको गणेश सूर्याय नमः का जाप करें। इसके अलावा आप इस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें। इससे आपको लाभ मिलेगा। 


दोस्तों हो सके तो इस दिन किसी ब्राह्मण को भोजन कराएं या कुछ भी बना कर भी इस दिन बटवा ते हैं। ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है 

2022 me makar sankranti kitna tarikh hai

तो चलिए हम जानते हैं। साल 2022 में मकर संक्रांति का पर्व कब मनाया जाएगा तो दोस्तों मकर संक्रांति 14 जनवरी 2022 दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी और। पुण्य काल का समय दोपहर 2:43 से लेकर शाम 5:45 तक रहेगा। इसकी कुल अवधि 3 घंटा 2 मिनट की रहे और महा पुण्य काल का समय दोपहर 2:43 से लेकर शाम 4:28 तक रहेगा। इसकी कुल अवधि 1 घंटा 45 मिनट की होगी और मकर संक्रांति का क्षण दोपहर 2:45 पर होगा 



makar sankranti ke neg char

दोस्तों मकर संक्रांति का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है जो सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर मनाया जाता है। इसीलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना चाहता है। 

दोस्तों मकर संक्रांति पर कुछ जगह महिलाओं द्वारा विशेष प्रकार के नए नियम व याद किए जाते हैं। महिलाएं परिवार के कुशल मंगल की कामना में इस दिन से किसी नियम का संकल्प लेकर उसे शुरू करके पूरा करते हैं। इसके अलावा कुछ परिवारों में नेग आदि के रिवाज का भी प्रचलन होता है। मकर संक्रांति का दिन दान या भेट आदि देने के लिए सर्वोत्तम माना गया है।


 दोस्तों जिन लड़कियों की इसी सेल शादी होती है उस लड़की से जो भी नियम कराया जाता है। दूसरे साल उस लड़की से उद्यापन करा कर उसके मायके से ससुराल में विशेष बायना भी भेजा जाता है। इस बयान ने में मावे के यानि खोवे के  360 बाय  अर्थात बेरिया लड्डू और सास-ससुर के लिए कपड़े चांदी का दिया। बत्ती  ए चिड़िया, बाजरा, चावल और सामर्थ होने पर पूरी परिवार के लिए कपड़े भी भेजे जाते हैं। 


दोस्तों संक्रांत पर लड़कियों के यहां से सामर्थ्य अनुसार प्रतिवर्ष लड़की, दामाद व बच्चों के लिए वस्त्र फल आदि और दामाद के टीके के लिफाफे लड़की और बच्चों के लिए रुपए याद भी भेजे जाते हैं। इसके अलावा संक्रांति के दिन से बहू में भी कई नियमों का पालन करती है 

1अगला नियम है। 

दोस्तों संक्रांत के नियमों में एक नियम है। सासू जी को सीडी चढ़ाना मकर संक्रांति के दिन बहू अपनी सास को सीढ़ी चाहते हैं। पहली सीढी पर गिन्नी या जो भी आपकी श्रद्धा हो उतने रुपए रख दें। इसके बाद प्रत्येक सीढ़ी पर श्रद्धा के अनुसार रुपए रखते जाएं और सासू जी उन रुपयों को उठाती हुई सीढ़ी चढ़ते जाती हैं। इसके बाद अंतिम सीढ़ी पर इतने ही रुपए रखे जितने आपने पहली सीढी पर चढ़ाते समय रखे थे। इसके बाद सासूजी को नीचे उतारे जितने सासू जी को सीढ़ी चढ़ाते समय रखे थे। आधे रुपए सीढ़ियों पर रखते जाएं। 

2अगला नियम है। 

भगवान के खुलवाना दोस्तों किसी भी मंदिर में भगवान के लिए एक पर्दा भिजवाया जाता है। इसके बाद मंदिर के पुजारी से पर्दा हटवा कर एक थाली में मिठाई व रुपए रखकर भगवान की प्रतिमा को प्रणाम करके समर्पित किया जाता है।

3अगला नियम है। 

सोते हुए ससुर जी को जगाना, दोस्तों संक्रांति के दिन लड़की के मायके वाले लड़की को ससुराल में सोने के लिए पुरा बिस्तर  जिसमें गद्दा तकिया रजाई चादर आधी होती है यह भेजें।  जाते इस बिस्तर पर ससुर जी सो जाते हैं उसके बाद बहू  अपने ससुर जी को उनके पलंग के चारों तरफ नारियल बजाकर जगाती है। जब ससुर जी उठ कर बैठ जाते हैं तो उनके आगे रुपए और लड्डू आदि रखे जाते हैं। इसके साथ ही अपनी सास के भी चरण स्पर्श कर उन्हें में रुपए दिए जाते हैं। इसके बाद ससुर जी भी अपनी बहुओं को रुपए देते हैं

। इसके अलावा यदि लड़की के मायके से कोई स्त्री भी आती है तो उन्हें ने कुछ रुपए और लड्डू लेकर अपने दामाद का ठेका करना चाहिए और लड़की के शास को भी रुपए टीके करने चाहिए।

4अगला नियम है। 

 थाल परोसना इसमें ताऊ ससुर चाचा, ससुर मामा ससुर। दादा ससुर और ससुर जी या जेठ जी में से किसी के भी आगे या सभी के आगे एक थाली में मिठाई परोस कर रखे जाते हैं और फिर इसके बाद सभी लोगों  बहुओं को रुपए देते हैं। 

5अगला नियम है। 

 रूठी हुई सासूजी को मनाना दोस्तों संक्रांति के दिन सासू जी गुस्सा होकर अपने कमरे को छोड़कर किसी दूसरे कमरे में जाकर बैठ जाती हैं। तब बहू जाकर सास को मनाते हैं और उन्हें कपड़े मिठाई और रुपए देकर पाएं छोटी है। सासू जी से वापस अपने कमरे में चलने के लिए कहती है और कहती है रूठो मत सासूजी खाओ। मिठाई का गैस में सेवा करूं। तुम्हारी तुम रखो हमारी लाज तब सासूजी वापस अपने कमरे में आकर बहू को आशीर्वाद देती हैं।

6अगला नियम है। 

 सासू जी को कपड़े पहनाना। दोस्तों मकर संक्रांति के बहू अपनी सासू जी को कपड़े देती हैं और उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेती हैं। 

7अगला नियम है। 

 जेठ जेठानी के लिए भेज देना, दोस्तों एक थाली में मिठाई और रुपए रखकर जेठ जी के आगे रखे जाते हैं। जेठानी के लिए घेवर और रुपए देकर उनके पैर छुए जाते हैं। जेठानी भी बहू को रुपए आदि देती हैं

8अगला नियम है। 

गुड़ की भेली इसमें बहु ससुर जी को। गोली देती है और कहती है लीजिए पापा गुड़ की भेली दिखाओ अपनी थैली 


9अगला नियम है। 

मेवा मटरी इसमें बहू सास को फल, मेवा, मटरी आदि देकर कहती है। लीजिए मम्मी मटरी दिखाओ अपनी गठरी 

10 अगला नियम है। 

पति को छुवारे  देना। इसमें पत्नी अपने पति को छुआरे देती है और कहती है लो सईया  जी छुआरे सदा रहो। हमारे 

11अगला नियम है।

 देवर को बादाम  देना भाभी चलनी। मैं अपने देवर को बादाम रख कर देती है और कहती है लो देवर जी बादाम बन्ना हमारे गुलाम 

12अगला नियम है।

 ननंद को बताशे  देना। इसमें भाभी ननंद को कपड़े और बतासे देती है और कहती है लो नदियां बतासे। दिखाओ अपनी तमाशे

13 अगला नियम है 

पति को पान खिलाना। इसमें पत्नी पति को पान खिला कर कहती है। लो सैया जी पान रखो। सदा हमारे मान

14 अगला नियम है

 चिड़िया मुट्ठी। इसमें 12 महीने तक एक मुट्ठी चावल चिड़ियों को रोज देने का नियम लिया जाता है। रोज देना संभव ना हो तो 31 मुट्ठी चावल को महीने में आने वाली संक्रांति को चिड़ियों को दे दें। 12 महीने पूरे होने पर मकर संक्रांति पर उजमान  करके एक चांदी की चिड़िया, चावल और रुपए पर हाथ फेर कर अपनी सासू जी को पांव छू कर देते हैं।

15 अगला नियम है


गोठी मोटी इसमें एक बड़े बर्तन में चावल लेते हैं। उसमें से रोजाना चावलों की मुट्ठी थाली में भर लेते हैं और खाली के चावलों को रोजाना या 31 थाली चावलों को हर महीने की संक्रांति के दिन ब्राह्मणों को देते हैं और फिर मकर संक्रांति के दिन विधिपूर्वक उजमन  किया जाता है। उसमें बड़े बर्तन में चावल और रुपए रख कर हाथ फेर कर सासु जी को पांव छू कर दिए जाते हैं।


16 अगला नियम है


 देवर को घेवर और देवरानी को चूड़ी पहना ना इसमें घेवर पर रुपए रखकर देवर को दिए जाते हैं और देवरानी को साड़ी और चूड़ी दी जाती है। 


17अगला नियम है 


यावल चावल खुटी चिर। इसमें चावल बना कर नंदू को भोजन कराया जाता है। नंदू को कपड़े चूड़ी। आदि जी जाती है अली में सवा शेर चावल रखे जाते हैं। तब भाभी कहती है अभी चावल खूंटी चिर दिखाओ भाई जी थारो बीर तब नंद भाभी द्वारा दिए गए वस्त्र, चूड़ी आदि खूंटी पर टांग कर भाई भाभी को दिखाती है। फिर उन्हें ले लेती है, चावल भी ले लेती है और कहती है। लिए चावल ओढ़ लिया चिर । यह देखो भाभी मेरा वीर भाभी बड़ी। नंदू को पैर छूकर रुपए देती है।

2022 में मकर संक्रांति कब है।

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