Wednesday 9 August 2023

क्यों मुस्लिम सूअर का मांस नहीं खाते हैं? आखिर मुस्लमान सुअर क्यों नहीं खाते?

नमस्कार दोस्तों आप सभी को स्वागत  है आज का इस New Post  के साथ जिसका title है । क्यों मुस्लिम सूअर का मांस नहीं खाते हैं? आखिर मुस्लमान सुअर क्यों नहीं खाते? दोस्तो अगर आप भी जानना चाहता है तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।

क्यों मुस्लिम सूअर का मांस नहीं खाते हैं? आखिर मुस्लमान सुअर क्यों नहीं खाते?

क्यों मुस्लिम सूअर का मांस नहीं खाते हैं? आखिर मुस्लमान सुअर क्यों नहीं खाते? 

दोस्तो  वैसे तो जो चीज हमारा पेट भर दे उसे हम खाना समझ लेते हैं। लेकिन हर धर्म हर जाति के अपने-अपने अलग-अलग नियम कानूनों से जिस  तरह कट्टर हिंदू ब्राह्मण मांस मच्छी का सेवन नहीं करते हैं।

 ठीक उसी तरह इस्लाम धर्म में भी कुछ ऐसी चीजें हैं जिनका सेवन करना हराम समझा  जाता है। उनमें से कुछ चीजे  ऐसी है जिनके बारे में सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। 

क्यों मुस्लिम सूअर का मांस नहीं खाते हैं।

अब यो चीजे क्या है इसे जानने के लिए  इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढे। वैसे तो इस्लाम धर्म के ही नहीं बल्कि किसी भी धर्म के इंसान को खून का सेवन नहीं करना चाहिए । लेकीन खास तौर  पर इस्लाम धर्म में खून पीना हराम यानि  पाप समझा जाता है क्योंकि चाहे वह खून इंसान का हो या जानवर का उसमें कई सारी टिंपोर मौजूद होती है। जिसे अगर  इंसान पीता है तो उसके अंदर भी इंप्योरिटीज पहुंच जाती है ।

जो उसके खून को गंदा कर सकतें है। याहा तक की  ऐसा करना जान लेवा भी हो सकता है इसलिए वो इस्लाम में खून पीना हराम माना गया है। 

आखिर मुस्लमान सुअर क्यों नहीं खाते? 

दोस्तो कई लोग तो बोलते इस्लाम वाले तो मीट खाते है । लेकिन यह बात सच भी है । दोस्तोइस्लाम धर्म के कुछ जानवरों के मीट को खाना हराम समझा जाता है जिसमें सबसे पहला नाम तो सूअर का आता है और फिर कुत्ते बिल्ली से लेकर बंदर जैसे जानवरों को इस्लाम धर्म में खाना। हराम माना जाता है ।

क्युकी जानवरों का मीट इंसानों के लिए हार्मफुल साबित हो सकता है।  वैसे दोस्तों इसके अलावा शेर और टाइगर जैसे नुकीले दांत वाले शिकारी जानवरों को खाना भी इस्लाम धर्म में हराम  माना जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऐसा जानवर आम तौर  पर दूसरे जानवरों का मीट खाते हैं और कई बार तो उनका खून भी पीते हैं जिसकी वजह से उनका शरीर तो वह सारी चीजें पांचा  ले जाता है। लेकिन अगर इंसान इस तरह के जानवर का मीट खाने लगेगा।

 यह सब चीजे उसके लिए बहुत नुकसानदायक साबित हो सकती है और दोस्तों यह तो छोड़िए। अगर किसी खाने लायक जानवर जैसे बकरा वगैरह को भी कुर्बानी से पहले अगर अल्लाह का नाम  ना लिया जाय तो उस  खाना भी हराम समझा जाता है।

 और दोस्तों कुछ ऐसी वॉड्स भी  है। जिसे  इस्लाम में खाना हाराम समझा जाता है। इस लिस्ट में वह वोड्स आते है जो शिकारी होती है जैसे कि बाज गीद चील  वागेरा।


    अब आप समझ गए होंगे। छिपकली से लेकर मगरमच्छ तक हर तरह के रेप्टाइल्स एमबीबीएस जैसे मेढ़क वगैरा  के साथ-साथ और कीड़े मकोड़े जैसे भी होते हैं। उन्हें भी इस्लाम धर्म में खाना हराम समझा जाता है। इन सभी जीवो के बारे में अलग-अलग बात कही गई है। लेकिन अगर देखा जाए तो इस तरह की किसी भी चीज का सेवन करना। इस्लाम धर्म में सख्त माना है।


एनिमल नॉट प्रॉपर्ली प्लॉट मटर। दोस्तो  भले ही जानवर खाने लायक हूं। लेकिन अगर उसे ठीक तरह से कांटा नहीं गया तो फिर उसे  खाना हराम ही  समझा जाता है ।इसलिए इस्लाम धर्म की माने तो  अल्लाह सभी को एक नजरों से देखते हैं। फिर चाहे वह इंसान हो या जानवर ।


ऐसे में अगार इंसान किस जानवर को अल्लाह का नाम लेकर काट रहे हैं तो इसे जानवर की कुरबानी समझी जाती है और जानवर को बिना तो एक बेहतर और इंसानी रूप में अगला जन्म मिल जाता है या फिर वह पूरी तरह से मुक्त हो जाता है और किसी तरह से अल्लाह का नाम लेकर कुर्बान किए गए जानवरों को ही खाना। इस्लाम धर्म में  सही समझा गया है।


 वरना किसी भी जानवर को अल्लाह का नाम लिए बिना काटा जाए तो उसे खाना हराम समझा जाता है। इंटॉक्सिकेंट्स और खामबर  दोस्त अगर बात करें। इंटॉक्सिकेंट यानी नशीली चीजों की बात आप भी अच्छे से जानते होंगे कि इस्लाम धर्म में किसी भी नशीली चीज का सेवन करना हराम समझा जाता है। 


फिर चाहे वह शराब हो या फिर कोई दूसरी नशीली चीज की सारी चीजें इस्लाम धर्म खराब समझी जाती। तेरे बिन का सेवन करना हराम है बल्कि कोई मुस्लिम किसी मुस्लिम को नशीली चीजें तोफे में भी देता है तो उसे भी हराम समझा जाता है। साथ ही कोई मुस्लिम कहां पर काम करता है कहा नसीली चीजे बनते है  उसे भी हराम  माना जाता है।


यानी एक सच्चे  मुसलमान को हर तरह से नशीली चीजों से दूर रहना पड़ता है और कुछ कट्टर मुसलमान तो यह भी मानते हैं जिस जगह पर शराब रखी है। बैठा भी खुदा को नाराज करने के बराबर है और यहां पर केवल शराब की बात नहीं हो रही है। वह हर नसिली चीज़ जो  इंसान के दिमाग पर अपना कब्जा कर लेती है और इंसान अपने होशो हवास में  नही रहता।


दोस्तों कई सारे कन्फेक्शनरी इनग्रेडिएंट्स को खाना इस्लाम धर्म हराम माना जाता है, जिसमें मिमेंट में वनीला  जिलेटिन जैसी चीजें शामिल हैं और तो जिन चीजों में शराब और सुअर की  चर्बी मिलाई जाती है, उन चीजों का सेवन करना भी हराम समझा गया और इसलिए जो लोग सच्चे दिल से इस्लाम धर्म को मानते हैं यो सोच समझ कर चीज खरीदते हैं।

 क्योंकि उनके पता अल्लाह द्वारा दी गई हिदायत कभी भी गलत नहीं जाएगी। इसलिए  हमेशा उन्हीं के उसूलों पर चलने की कोशिश करते हैं ताकि उसकी जिंदगी बेहतर  बनी रहे। 

दोस्तों हम सभी जानते हैं कि आज के समय में ऐसे बहुत से प्रोडक्ट। है जिसमे सूअर की चर्बी मिलाई जाती है। इन सारी चीजें बड़े पैमाने पर ऐसे होते हैं कि लोगों को पता ही नहीं चलता। इसलिए अगर आप अपनी भलाई चाहते हैं तो चीजों को सोच समझकर खरीदी है। वरना आप बिना मतलब उन चीजों का सेवन भी कर लेंगे, जिन्हें खाने के बारे में आप सोच भी नहीं सकते।

 दोस्तो  एनिमल बाय प्रोडक्ट जैसा कि कुछ समय पहले हम आपको बता रहे थे कि आज के समय में मार्केट के अंदर बहुत सारे ऐसे फूड आइटम्स मिल जाएंगी, जिसमें एनिमल बाय प्रोडक्ट का इस्तेमाल होता है क्योंकि दोस्तों हम इंसान भले ही इन चीजों से अनजान हो, लेकिन आज के समय में मिलावट इतनी ज्यादा बढ़ रही है कि लोग अपने सामान को बेहतर दिखाने के लिए और बेचने के लिए किसी भी हद तक जाने को तेयार है जिसके  चक्कर में उस वजह से जानवरों की चर्बी मिलाकर बेचते हैं 

और कई सारे प्रोडक्ट तो ऐसे हैं जिनमें जानवरों के फॉर्म में लाए जाते हैं। किसी भी सच्चे मुसलमान का इस तरह की चीजों को खाना पूरी तरह से गलत और यह हराम  के दायरे में आता है। 

इसलिए अक्सर लोग बहुत सोच समझकर चीजें खरीदते हैं ताकि उसके अंदर किसी ऐसे जानवर का मांस ना मिलाओ। जिसे खाना  इस्लाम धर्म में हराम माना  जाता हूं। ।

क्यों मुस्लिम सूअर का मांस नहीं खाते हैं?

 आखिर मुस्लमान सुअर क्यों नहीं खाते? 

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