Wednesday 9 August 2023

सरकार को कर्ज कौन देता है

 नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम बात करने वाले है की सरकार को कर्ज कौन देता है? आदि आपको इनके बारे में पता नही है तो आप इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े ताकी अपको पूरी जानकारी मिल सके जानने के लिए अंत तक पढ़े ।


सरकार को कर्ज कौन देता है

 दोस्तों क्या आप को पता भी है की  ₹10 में मिलने वाले समोसे को देखकर यह सोचते हैं कि एक जमाना हुआ करता था जब ₹10 में चार समोसे खरीद कर ले आते थे या फिर पारले जी का पैकेट देखकर सोचते थे कि हमारे टाइम पर तो कितने बड़े-बड़े बिस्किट आया करते थे। अब तो एक बिस्किट मुंह में डालो गायब हो जाता है। पता नहीं चलता। 

दोस्तो ऐसे में क्या कभी आपने यह  बात सोचने की कोशिश की है। इन चीजों के दाम आखिर कैसे बड़े। आखिर किस तरह चीज महंगी होती है। इन्फ्लेशन किस खेत की मूली है और यह किस तरह हमारी जिंदगी पर असर करती है और सबसे जरूरी  बात हमारा पैसा आखिर कौन कंट्रोल कर रहा है 

तो दोस्तों दिमाग की बत्ती जला कर बैठ जाएगी क्योंकि इस पोस्ट में हम आपको पैसे से जुड़ी कुछ ऐसी जानकारियां देने वाले जिसे सुनकर आपका दिमाग भी चक्कर खा जाएगा।

दोस्तों सबसे पहले तो हम आपको बता दें। आप किस देश में रहते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हर देश की करंसी यूएस डॉलर पर डिपेंड डॉलर सही बाकी करेंसी रेट क्या होता है, लेकिन तब क्या हो जब डॉलर में गड़बड़ी देखने को मिले। 

दोस्तो बीसवीं सदी की शुरुआत में कुछ लोगों ने अमेरिका में एक खुफिया मीटिंग की थी यह मीटिंग खुफिया इस लिए  हुई थी क्योंकि यह दुनिया बदलने वाली थी और उस मीटिंग में बैठे साथ लोग दुनिया के सबसे अमीर लोग थे। अकेले उन 7 लोगों के पास दुनिया भर का 25% पैसा था 

दोस्तो यह  मीटिंग पूरे 9 दिन तक चली  और इस मीटिंग का नतीजा फेडरल रिजर्व सिस्टम के रूप में देखने को मिला। इसे  फेडरल बैंक को जन्म दिया। पहले तो इस सिस्टम का काफी विरोध हुआ, लेकिन अपनी चालाकी और मीडिया का सहारा लेकर इस सिस्टम को पास करा लिया गया है और फिर धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैलता चला गया और आज दुनिया में केवल 3 ऐसे देश है जहा यह सिस्टम नहीं है बाकी आपको पूरी। पेट्रोल रिजर्व सिस्टम देखने को मिलेगा। 

दोस्तो यह एक सिस्टम था सेंट्रल बैंक बनाने का अमेरिका  फेडरल रिजर्व बैंक और भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया  शुरुआती समय में ब्रेट  सिस्टम को फॉलो करता था, जिसमें डॉलर की कीमत सोने पर निर्भर करेगी। इसका एक फायदा यह था कि अगर आपके पास डॉलर में पैसा है तो आप उससे सोना तो कम से कम खरीद सकते हैं कि इस सिस्टम के तहत आपके पास जो नोट होगी, वह कागज नहीं बल्कि सोना होगी 

 और इस सिस्टम की वजह से डॉलर सोने पर निर्भर हो गया और फिर दुनिया की बाकी सारी करेंसी डॉलर पर निर्भर हो गई। सभी करेंसी का एक्सचेंज रेट फिक्स था। काफी समय तक तो सब कुछ ऐसा ही चलता रहा, लेकिन फिर अमेरिका में आए रिचर्ड रिक्सन जो कि अमेरिका के 33 राष्ट्रपति थे और उन्होंने गोल्ड पर डिपेंडेंसी को समाप्त कर दिया। जिसका यह  मतलब था कि जरूरी नहीं है कि डॉलर के बदले सोना मिले और यहां तक कि जो डॉलर लोगों के पास था, उसकी वैल्यू असली क्या है, यह भी किसी को नहीं पता थी  लेकीन सरकार ने  लोगों से वादा किया इसकी कुछ वैल्यू है और वही वैल्यू लोग समझ कर आज तक चलते रहे

दोस्तो अगर अगर साफ शब्दों में कहा जाए तो किसी को भी नहीं पता। पैसों का मूल्य क्या है क्योंकि इसका कोई मूल्य है ही नहीं तो सरकार द्वारा किया गया एक वादा  है, पर यह वादा भारत की सरकार नहीं बल्कि अमेरिकी सरकार ने किया है  क्योंकि हमारा पैसा तो अमेरिका के डॉलर पर निर्भर करता है। 

पैसा कैसे बनता है

इतना कुछ समझने के बाद आइए इस बात से पर्दा उठा दे कि पैसा बनता कैसे हैं तो दोस्तों यह जो हमारा पैसा होता है, लोन पर आता है क्योंकि जब सरकार को लोन चाहिए होता है तो वह एक बांड बनाती है। यह बोंड बनाकर में सेंट्रल बैंक जाता है जैसे कि फेडरल रिजर्व और फिर यहां से फेडरल रिजर्व बैंक सरकार को पैसा दे देता है और यह तो पैसा होता है। इसे सेंट्रल बैंक  इनवर्ल्ड करता है जो धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था का हिस्सा बन जाता है।


 ऐसे में जब कभी भी आप किसी कमर्शियल बैंक से लोन लेते हैं तो बैंक आपको अपने पास पड़ा, पैसा नहीं देता बल्कि वह नया पैसा बनाकर आपको देते हैं। और यही नए पैसे के कारण ही जो बाकी का पैसा होता है, उसकी कीमत घट जाती है। 


दोस्त एक बात और जो पैसा आप अपने बैंक से लोन लिया, उस पर आप ब्याज भी देंगे और ब्याज देने के लिए नया पैसा कहा से आयेगा तो दोस्तो जवाब फिर से वही है कि कहीं से नहीं। इसी वजह से आज दुनिया का हर एक देश कर्ज में और कोई भी देश कर्ज से मुक्त नहीं है। यहां तक कि जो देश  से ज्यादा समृद्ध डेवलपर है वहा कुछ ज्यादा कर्ज  देखने को मिलता है। ज्यादा कर्ज का मतलब होता है। लोगों के पास पैसा ज्यादा है। लोगों के पास पैसा ज्यादा है तो लोग से ज्यादा खर्च कर रहे हैं। लोग जितने भी ज्यादा खर्च करते हैं, उतना ही ज्यादा चीजों का प्रयोग होता है। उतनी बड़ी देश की जीडीपी होती है तभी तो दुनिया की सबसे बड़ी ecomi  हमारे घर के ऊपर स्वास्थ 29 त्रिलोनिन डॉलर का कर्ज है  जबकि भारत के ऊपर 2 पॉइंट सिक्स मिलियन डॉलर का ही कर्ज है  तो अब आप खुद सोच लीजिए। कौन सा देश कितना दम है, इतना ही नहीं हमारे पड़ोसी हुए चाइना का कर्ज तो हम सभी कई गुना ज्यादा जो की वक्त 12 trillion dollar कर्ज है 


इस तरह के सिस्टम को टॉप 20 सिस्टम कहते हैं जहां पर असल में हम उधार के इस्तेमाल कर रहे हैं जो कि पैसा है। अगर सभी देश अपना सारा लोन चुकाने तो नया पैसा नहीं बनाया जा सकता  था जिसकी वजह से पूरी ग्रोथ रुक जाएगी। इतनी आपने देखा होगा जब कभी भी किसी देश में आर्थिक संकट आता है तो सबसे पहले वहां के बैंक ब्याज दर को कम कर देते हैं ताकि लोग लोन ले सके ताकि मार्केट में नया पैसा  पहुंच सके। 


दोस्तो अगर आप अभी भी कंफ्यूज है तो दोस्तों की बात है। जब सरकार या फिर आप लोन लेते हैं तो सेंट्रल बैंक की यह मौका मिल जाता है कि वह नया पैसा प्रशासन ला सके इस पैसे को असल में कोई वैल्यू नहीं होती यह तो  बस एक वादा है जो बैंक वाले आपसे करते हैं और लोग बैंक के ऊपर भरोसा करते हैं। इसी वजह से पूरी दुनिया चल रही है। 

नया पैसा मार्केट में लाने को जरुरत क्यों होता है ? 


दोस्तो अब आप बोलेंगे जो मार्केट में इतना सारा पैसा है तो नया पैसा लाने की जरूरत क्या है तो दोस्तों जब नया पैसा नहीं आएगा तो ग्रोध कैसे होगी क्योंकि आबादी तो तेजी से बढ़ रही है और लोगों की जरूरत नहीं बढ़ रही है इसी आधार पर उन सारी। पूरा करने के लिए पैसों की जरूरत है जो अगर मार्केट में आएगा ही नहीं तो सारी चीजें थप्पड़ जाएंगे।

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