हेलो दोस्तो आप सब केसे है आज की इस पोस्ट में हम बात करने वाले है की ।नाथूराम गोडसे गांधी जी को क्यों मारा ।इसके बारे में जानने के लिए इस पोस्ट को अंत जरूर पढ़े।
नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी जी को क्यों मारा?nathu ram godse ne mahatma gandhi ko kyo mara
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तारीख 3 जनवरी, 1948।
उस दिन गांधीजी ने सरदार पटेल को बातचीत के लिए शाम को 4:00 बजे बिरला हाउस बुलाया था। सरदार पटेल गांधी जी के बताए समय अनुसार अपनी बेटी मणि बहन के साथ उनसे मिलने बिरला हाउस पहुंच गए। पटेल और गांधीजी के बीच थोड़ी बहुत बातचीत होती है।
वहीं कुछ ही देर बाद बिरला भवन में हर रोज की तरह प्रार्थना सभा का आयोजन होना था और इस प्रार्थना सभा में जब भी गांधी जी दिल्ली में हुआ करते थे तो शामिल होना नहीं बोलते थे। बात करते-करते 5:00 बज चुके थे। अभी गांधीजी की नजर अचानक 5:15 पर घड़ी पर पड़ी और गांधीजी को याद आया कि मुझे प्रार्थना सभा में जाना है।
गांधीजी, तुरंत बैठक समाप्त करके आभा और मनु के कंधों पर हाथ रखकर प्रार्थना सभा स्थल की ओर बढ़ते हैं। वही दूसरी तरफ नाथूराम गोडसे भी अपनी प्लानिंग के साथ 4:50 पर बिरला भवन के गेट पर पहुंच गया था।
कुछ लोगों के बीच में होने के कारण सिक्योरिटी को भी पता नहीं चला था और कुछ देर के लिए अपने आप को भीड़ के अंदर छुपाए रखा ताकि गोडसे पर किसी को शक ना हो। इसके बाद जैसे ही गांधी की आती है। अभी अचानक उनके सामने नाथूराम गोडसे आ गया। नाथूराम गोडसे ने अपने सामने गांधी जी को देखकर हाथ जोड़ लिए और कहा नमस्ते बाबू तभी गांधी जी के साथ चल रही मनु ने कहा कि भैया साइड हट जाओ।
बाबू को जाने दो पहले से भी बहुत देर हो चुकी है। इस वक्त समय हो रहा था। 5:17 तभी अचानक गोडसे ने मनु को धक्का दे दिया और अपने हाथों में छुपा रखी छोटी ब्रेस्टा पिस्टल गांधीजी के सामने तान दी गांधी जी कुछ समझ पाते। उससे पहले ही देखते ही देखते नाथूराम गोडसे ने गांधी जी के सीने में एक के बाद एक तीन गोलियां दाग दी, जिसमें से दो गोलियां गांधीजी के शरीर को पार करती हुई आर-पार निकल गई।
जबकि एक गोली उनके शरीर में ही फस कर रह गए और गांधीजी वहीं गिर पड़े। इसके बाद कहा जाता है कि नाथूराम गोडसे वहां से भागे नहीं और अपने दोनों हाथ ऊपर करके सरेंडर कर दिया, लेकिन उस वक्त कोई भी हिम्मत करके गोडसे के पास नहीं जा पा रहा था। पुलिस भी दूर से देख रही थी।
इसके बाद नाथूराम गोडसे खुद पुलिस पुलिस चिल्या फिर 5 6 मिनट बाद एक व्यक्ति उनके पास आया और उसके बाद भीड़ जमा हो गई और भीड़ नाथूराम गोडसे को पीटने लग गई। इसके बाद नाथूराम गोडसे । उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है। कुछ देर में महात्मा गांधी की हत्या की खबर पूरी तरह से फैल गई।
गांधीजी को तुरंत ही अपने कमरे में ले जाया गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी क्योंकि वहां जाते ही गांधी जी ने प्राण त्याग दिए थे। फिर जवाहरलाल नेहरू सरदार पटेल और मौलाना आजाद जी उपस्थित हो गए बिरला हाउस में ही गांधीजी के पार्थिव शरीर को ढककर रखा गया। तभी वहां उनके सबसे छोटे बेटे देवदास गांधी पहुंचते हैं और उन्होंने बापू के पार्थी शरीर से कपड़े को हटा दिया और कहा कि अहिंसा के पुजारी के साथ हुई हिंसा को दुनिया देखे
। इसके बाद चारों तरफ शोक की लहर दौड़ गई। तभी वह माउंटबेटन आए। माउंटबेटन ने आते ही गांधीजी के पार्थिव शरीर को सैल्यूट किया। इतने में एक व्यक्ति जोर से चिल्लाया कि गांधीजी। को एक मुस्लिम ने मारा है माउंटबेटन ने गुस्से में जवाब दिया। यू फूल डोंट यू नो ईट वाज ए हिंदू इसके बाद गांधी जी की हत्या कि एफआईआर उसी दिन दिल्ली के तुगलक रोड थाने में दर्ज की गई।
एफआईआर की कॉपी उर्दू में लिखी गई थी। एफ आई आर की कॉपी में पूरी वारदात के बारे में बताया गया था। गांधी की हत्या के बाद इस मुकदमे में 8 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिसमें से दो लोगों को उच्च न्यायालय ने बाद में बरी कर दिया और वीर सावरकर के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिलने की वजह से उन्हें भी बरी कर दिया गया। उनमें से तीन लोग गोपाल गोडसे, मदनलाल पाहवा और विष्णु रामकृष्ण करकरे को उम्र कैद की सजा सुनाई जबकि नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को 8 नवंबर 1949 को फांसी की सजा सुना। दी गई
तारीख 15 नवंबर 1949 के दिन अंबाला की सेंट्रल जेल में थे। नाथूराम गोडसे को फांसी दी जानी थी। नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे अपने ही हाथ में गीता और अखंड भारत का नक्शा और दूसरे हाथ में भगवा ध्वज लेकर फांसी के फंदे की तरफ आगे बढ़ रहे थे। चारों तरफ ही एक अलग गम का माहौल बना हुआ था
। इस जल्लाद ने आगे बढ़कर दोनों की गली के अंदर फांसी का फंदा डाल दिया। नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे ने फांसी पर झूलने से पहले जोड़ से एक नारा लगाया था। नमस्ते सदा वत्सले और प्रिय दोनों फांसी पर झूल गए। लेकिन आखिर नाथूराम गोडसे और इन लोगों ने गांधी जी को क्यों मारा था। आखिर इन लोगों को गांधी जी से क्या दिक्कत थी?
दोस्तों नाथूराम गोडसे संघ विचारधारा को मानने वाला था गांधीजी! की हत्या के बाद नाथूराम गोडसे ने कोर्ट में बिल्कुल भी सफाई नहीं दी और अपना गुनाह खुले तौर पर स्वीकार कर लिया कि उन्होंने ही गांधीजी को मारा है। गोडसे ने कहा कि सम्मान कर्तव्य और अपने देशवासियों के प्रति प्यार कभी कभी हमें याहिंसा किस सिद्धांत से हटने के लिए बाध्य कर देता है। महात्मा गांधी अपने लिए दूरी और जब दोनों थे।
नाथूराम ने कहा कि जब कांग्रेस के दिग्गज नेता गांधी जी की सहमति से देश के बंटवारे का फैसला कर रहे थे, उस देश का जिसे हम पूजते हैं में भीषण गुस्से से मारा था। व्यक्तिगत तौर पर किसी के प्रति मेरी कोई दुर्भावना नहीं है। लेकिन मैं कहता हूं कि मैं मौजूदा सरकार का सम्मान नहीं करता क्योंकि उनकी नीतियां मुस्लिमों के पक्ष में थी, लेकिन उसी वक्त में यह सब देख रहा था कि यह नीतियां केवल गांधी जी की मौजूदगी के चलते थे मुस्लिम दुस्ती ! करण की नीति के कारण भारत माता के दो टुकड़े कर दिए गए ।
और 15 अगस्त 1947 के बाद देश का एक तिहाई भाग हमारे लिए ही विदेशी भूमि बन गई गोडसे ने आगे कहा कि मैं साहस पूर्वक कहता हूं कि गांधीजी अपने कर्तव्य में असफल हो गए। उन्होंने स्वयं को पाकिस्तान का पिता होना सिद्ध किया। मैं कहता हूं कि मेरी गोलियां एक ऐसे व्यक्ति पर चलाई गई थी, जिसकी नीतियों और कार्यों से करोड़ों हिंदुओं को केवल बर्बादी और विनाश ही मिला है। मैं अपने लिए माफी की गुजारिश नहीं करूंगा जो मैंने किया उस पर मुझे गर्व है।
मुझे कोई संदेह नहीं है की इतिहास के इमानदार लेखक मेरे कार्य का वजन तोल कर भविष्य में किसी दिन इसका सही मूल्यांकन करेगी। जब तक सिंधु नदी भारत के ध्वज के नीचे से ना बहे। तब तक मेरी अस्थियो का विसर्जन मत करना अपना पक्ष रखते हुए गोडसे ने कहा था कि?
गांधीजी ने देश की जो सेवा की उसका में आदर करता हूं। उन पर गोली चलाने से पहले में उनके सम्मान में इतनी ही नतमस्तक हुआ था। लेकिन जनता को धोखा देकर पूज्य मातृभूमि के विभाजन का अधिकार किसी बड़े से बड़े महात्मा को भी नही है। गांधी ने देश को छल करके देश के टुकड़े किए हैं क्योंकि ऐसा न्यायालय और कानून नहीं जिसके आधार पर ऐसे अपराधी को दंड दिया जा सकता है
। इसलिए मैंने गांधी जी को गोली मारी। इसके अलावा नाथूराम गोडसे गांधी जी को भारत पाकिस्तान के बटवारे का जिम्मेदार मानता था। बंटवारे के बाद हिंदू और मुस्लिम दोनों आपस में खूनी दुश्मन बन चुके थे। इस बंटवारे में सबसे ज्यादा खून खराबा पंजाब और बंगाल में हुआ था। फिर तारीख आती है। 13 जनवरी 1948 महात्मा गांधी दो मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ गए जिसमें से
। एक मांगती पाकिस्तान को ₹55 करोड़ दिए जाए और दिल्ली में मुसलमानों पर हो रहे हमलो को रोका जाए। गांधीजी की भूख हड़ताल के बाद भारत सरकार ने गांधीजी की मांगों को मान लिया था और पाकिस्तान को यह रकम दे दी गई। इससे काफी बड़ी संख्या में हिंदू लोग नाराज हो गए थे। कहा जाता है कि हिंदू महासभा के लोग ज्यादातर नाराज थे। उन लोगों का मानना था कि पाकिस्तान इन पैसों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ कर सकता है।
गिरफ्तार होने के बाद जब गॉडसे संसद मार्ग थाने में उस वक्त एक बार एक व्यक्ति नाथूराम गोडसे से मिलने आया। गोडसे ने कुछ देर उनके सामने देखने के बाद बोला कि आप देवदास गांधी है। मैंने अपको पहचान लिया है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हां, आप मुझे कैसे जानते हो तो गोडसे ने कहा कि मैंने आपको एक संवाददाता सम्मेलन में देखा था आज आपके ऊपर से पिता का छाया हट चूका है
आपके दुख का कारण मैं हूं उसके लिए मुझे खेद है। नाथूराम गोडसे ने कहा कि आप मेरा विश्वास कीजिए। मैंने किसी व्यक्तिगत वसुरथ के लिए ऐसा नहीं किया है। मैंने इस देस के लिए ऐसा किया है। देवदास ने तब पूछा तब तुमने ऐसा क्यों किया? जवाब में नाथूराम गोडसे ने कहा कि 1 और केवल राजनीतिक वजह से नाथूराम ने देवदास से अपना पक्ष रखने के लिए समय मांगा। लेकिन पुलिस ने उसे ऐसा नहीं करने दिया।
इस मुलाकात का जिक्र नाथूराम के भाई और अभियुक्त गोपाल गोडसे ने अपनी किताब गांधी वध क्यों में किया है। गोपाल गोडसे ने अपनी किताब में लिखा है कि देवदास सयाद इस उम्मीद में आए होंगे कि उन्हें कोई विवध चेहरे वाला गांधी के खून का प्यासा कातिल नजर आएगा। लेकिन नाथूराम सहज और सौम्य थे। उनका आत्मविश्वास बना हुआ था।
देवदास ने जैसा सोचा होगा । उसके एकदम उलट इसके बाद तो गांधीजी पर आने को पुस्तकें लिखी गई और कहीं फिल्में भी बनी है जिसमें नाथूराम गोडसे को एक पागल और सनकी व्यक्ति बताया गया। लेकिन नाथूराम गोडसे की भतीजी और गोपाल गोडसे की पुत्री हिमानी सावरकर मानती है कि गोडसे ने गांधी जी की हत्या पूरे होशो हवास में की थी
और उसके पीछे उसकी कोई निजी दुश्मनी नहीं थी। हिमानी ने कहा कि जब इतिहास की किताबों में आता है कि नाथूराम गोडसे एक सिरफिरा आदमी था, जिसने गांधी जी की हत्या कर दी थी तो मुझे बहुत दुख होता है। अब तो आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं। हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं और इस तरह की इंटरेस्टिंग पोस्ट देखने के लिए आप हमारे love is lifes चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं। धन्यवाद!
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नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी जी को क्यों मारा महात्मा गांधी जी को नाथूराम गोडसे ने क्यों मारा था
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