नमस्कार दोस्तों आप सब कैसे हैं आज की इस पोस्ट में हम जाने वाले हैं ।भगवान को लहसुन प्याज क्यों नहीं चढ़ाया जाता है ।लहसुन प्याज की उत्पत्ति कहां से हुई । दोस्तों अगर आप भी लहसुन और प्याज खाने में ज्यादा सुखी और आपको पता नहीं है कि लहसुन प्याज भगवान को क्यों नहीं चढ़ाया जाता है । तो इस पोस्ट में हम प्रश्न का उत्तर देने वाले हैं । इसे जानने के लिए इस पोस्ट को अंत जरुर पढ़े।
भगवान को लहसुन प्याज क्यों नहीं चढ़ाया जाता । जानिए पूरी जानकारी हिंदी में
दोस्तों अगर आप सभी लोग जानते होंगे किस देवी देवता हमारे हिंदू धर्म में अनेक मान्यताएं प्रचलित है जिनका हम पालन भी करते हैं शास्त्रों के अनुसार हिंदू धर्म में विशेष कर प्याज और लहसुन भगवान को चढ़ाने से मना किया गया है इसीलिए इन दोनों को किसी भी धार्मिक कार्य में प्रयोग नहीं किया जाता और उपवास में भी इन्हें खाया नहीं जाता
दोस्तों आज हम जानेंगे कि हिंदू धर्म में प्याज और लहसुन को पूजा पाठ से वर्जित क्यों रखा गया है हमारे शास्त्रों ने लहसुन और प्याज के पौधे को राजसिक और तामसिक श्रेणी में रखा गया है ।
राजसिक और तामसिक का अर्थ है जुनून और अज्ञानता में वृद्धि शास्त्रों के अनुसार हमें जो भी भोजन ग्रहण करना चाहिए यो सामतिक होना चाहिए जेसे की दूध ,घी, चावल ,आटा ,दाल, लौकी आदि, इसके अलावा तीखे खट्टे चटपटे अधिक नमकीन मिठाइयां आदि पदार्थों से निर्मित भोजन को सतबित कहते है जो कि रजोगुण में बढ़ोतरी करते हैं
लहसुन प्याज मांस मछली अंडे आदि यह सब जाति से ही अन पवित्र है और यह रक्षक पवित्र के भजन कहलाते हैं हमको इन्हे सात्विक भोजन पदार्थों के रूप में कदापि ग्रहण नहीं करना चाहिए अन्य तथा अशांति रोग और चिंता है जीवन में बिन बुलाए मेहमान की तरह बिन बुलाए प्रवेश कर जाते हैं
इसीलिए पुराणों में लहसुन और प्याज का प्रयोग रसोई घर में अशुभ माना गया है
लहसुन प्याज की उत्पत्ति कहां से हुई
दोस्तों इनके पीछे एक पुरानी कथाएं भी जिसके अनुसार समुंद्र मंथन के दौरान जब समुद्र से अमृत का कलास निकला था तब भगवान विष्णु सभी देवताओं को अमर होने के लिए अमृत बांट रहे थे उसी दौरान राहु केतु नाम के दो राक्षस उनके बीच आकर बैठ गए ऐसे में गलती से भगवान उन्हें भी अमृत पिला दिया जैसे ही देवताओं के यह पता चला तो भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उन दोनों को धड़ से अलग कर दिया सिर धड़ से अलग होने तक उनके मुंह के अंदर कुछ बूंद अमृत के चले गए ऐसे में राक्षसों का सिर तो अमर हो गया लेकिन बाकी सब नष्ट हो गया लेकिन जब विष्णु जी ने उन पर प्रभाव किया था वहीं कुछ बूंदे नीचे गिर गई ऐसे में उन्हें खून से प्याज और लहसुन का उत्पत्ति हुई इसी की वजह से प्याज और लहसुन खाने से मुंह से गंध आती है
इसीलिए माना जाता है प्याज और लहसुन में राक्षसों का वास है हालांकि अमृत से उत्पन्न दोनों में लोगों से लड़ने की क्षमता होती है लेकिन रक्षक से उत्पन्न होने के करण इन्हें देवताओं से दूर रखा जाता है और भगवान को नहीं चढ़ाया जाता इसके अलावा प्याज और लहसुन से ज्यादा प्रयोग से मनुष्य का मन पूजा-अर्चना से भरता है और दूसरे कार्यों में ज्यादा लगने लगता है यही वजह है कि हम पूजा पाठ में इन दोनों का प्रयोग नहीं करते
दोस्तो इस पोस्ट में जो जानकारी मिले है अगर आपको अच्छा लगा तो आपने फ्रेंड के पास जरूर शेयर करें
No comments:
Write comment