Friday 9 June 2023

मनुष्य पाप क्यों करता है।कौन सा पाप करने के कारण किस योनि में होगा अगला जन्म

 हेलो दोस्तो आज की इस पोस्ट में हम जानने वाले ने की मनुष्य पाप क्यों करता है।कौन से कर्म करने से कौन सा फल मिलता है। आदि आप को भी नहीं पता है तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।


मनुष्य पाप क्यों करता है।कौन सा पाप करने के कारण किस योनि में होगा अगला जन्म


मित्रो किसी जीव आत्मा यदि मनुष्य की योनि में जन्म लिया है तो उससे कभी ना कभी यह कोई ना कोई पाप सरूर होता है क्योंकि इंसान बिना कोई गलती किए जीवित रह ही नहीं पाएगा। लेकिन कभी आपने सोचा है कि मनुष्य की  पाप करने की असली वजह क्या है जो आज की इस लेख में हम आपको भगवान कृष्ण के अनुसार इस बात का उत्तर देते हैं।





 दोस्तो बता दे कि एक बार कुंती पुत्र अर्जुन ने भगवान वासुदेव से पूछा कि मनुष्य ना चाहते हुए भी पाप क्यों करता है और पाप का फल भोगने के लिए नार्को में 84 लाक योनियों में जाता है तब पार्थ की। यह बात सुनकर भगवान कृष्ण मुस्कुराते हुए उत्तर देते हैं और कहते हैं कि कामना मनुष्य से सिर्फ पाप करा ती है और कामना से उत्पन्न होने वाला क्रोध और लोभ यही इंसान को पाप में लगाते हैं और पाप से दुखी होता है। दुर्गति में जाता है। मनुष्य के मन इंद्रियों बुद्धि। अहम और विषयों में कामना का वास होता है। कामना ही। इन्सान कावेरी है लेकिन वही कार्य दूसरों के हित के लिए किए जाते हैं तो मुक्त करने वाले बन जाते हैं। अपने लिए स्वार्थ कामना से करें तो वही कर्म बंधन हो गए और दूसरों के लिए निष्काम भाव वही प्रेम से करें तो वही कर मुक्ति आनंद योग का कारण बनता है।




दोस्तो  कहा गया है कि दूसरों के लिए कर्म करना ही यज्ञ है। इसके साथ ही गीता में कई प्रकार के यज्ञ भी बताए गए दूसरों के हित में समय संपत्ति साधन लगाना संयम यज्ञ वही ईश्वर के परपति के लिए किसी योग करना भगवान की शरण में जाने के लिए भक्ति यज्ञ है। शरीर से असंग हो जाना अपने आपको जानने के लिए यह ज्ञान यज्ञ कहलाता है जो सारे यज्ञों में सर्वश्रेष्ठ माना  जाता है क्योंकि से सब कर सकते हैं और उसमें कोई पैसे खर्चा भी नहीं होगा और तो और सत्संग भी स्वतंत्रता का सीधा रास्ता है जिससे विवेक प्राप्त होता है और इस यज्ञ की सामग्री है। श्रद्धा उत्कर्ष अभिलाषा इंद्रिय संयम इस यज्ञ की यंत्र है तो हमें कोशिश करना चाहिए कि ज्ञान यज्ञ में अपनी कामनाओं की अहुधि डालकर का जीवन मुक्ति का फल प्राप्त कर लें। 



कौन सा पाप करने के कारण किस योनि में होगा अगला जन्म



इसी के साथ हम आपको बताते हैं कि इस पाप के पास किस योनि में आपका जन्म होगा। गरुड़ पुराण श्री हरि ने पक्षी राज गरुड़ को बताया  कि केसे पापों के बाद व्यक्ति को किस योनि में जन्म लेना पड़ता है। सनातन धर्म में ब्राह्मण को भगवान के समान बताया गया है। शास्त्रों में साफ बताया गया है कि यदि कोई मनुष्य जानबूझकर या भूल से किसी ब्राह्मण की हत्या कर देता है तो उसे ब्रह्म हत्या का पाप लगता है। यह महापाप माना जाता है। ऐसे काम में साथ देने वाले मनुष्य को भी कुंभी पार्क नाम के नरक की यातना सहनी पड़ती है। गरुड़ पुराण धर्म काट के अध्याय 2 में बड़े ही विस्तार से बताया गया है कि जो पापी ब्राह्मण जैसे पूछने लोगों की हत्या करते हैं उन्हें मुल्क अशुभ शुक्र। योनि में जन्म लेना पड़ता है। 



दोस्तो चोरी करने वाला मनुष्य या ऐसे काम में साथ देने वाले को रामेश्वर नामक नरक में दुख भोगना पड़ता है। वहीं उसे कीड़े मकोड़ों की योनि में जगह मिलती है। घर का सामान चुराने वाला गिद्ध की योनि में और दूसरे का पैसा लूटने वाला अपस्मार रूप से ग्रस्त हो जाता है। वही जो इंसान अपनी धर्म पत्नी को छोड़ देता है, वह अगले जन्म में गंडमाला की महा रूप से पीड़ित रहता है और जो स्त्री के बल पर दुनिया में जी रहा होता है बस उसे। दुसरे जन्म में लंगड़ा पैदा होता है। 



गरुड़ पुराण में उल्लेख है कि दूसरे की पत्नी के साथ संबंध बनाने वाले व्यक्ति को घोर नरक में जगह मिलती है। फिर वहां उसे पहले भेड़िया आप फिर कुत्ता चील  और आखिरी में बगुला की योनी प्राप्त होती है। इन सब चरणों के पूरा होने के बाद ही उसे मनुष्य की मिलती है। 




अगर हम शास्त्रों की मानें तो देवता और पूर्वजों को कुछ किए बिना मरने वाले इंसान को 100 सालों तक कौआ के योनि में जन्म मिलता है। उसके बाद मुर्गा फिर 1 महीने के लिए सांप की योनि में रहने के बाद उसके पापों का अंत होता है। तब जाकर उसे मनुष्य रूप में जन्म मिलता है 



आपको बता दे   कोई भी व्यक्ति किसी का कत्ल कर देता है तो इस जघन्य अपराध करने वाले को अगले जन्म में गधे की योनि का जन्म मिलता है। लेकिन अगर जिस  शक्स हत्या करता है उसी से उसकी हत्या हो जाए तो उसे ब्रियोनी मिलती है जिसके बाद है मछली कुत्ता और बाघ मिलता  है और अंतिम में वह मनुष्य योनि में जन्म लेता है। 



कहते हैं कि जो व्यक्ति अपने से । बड़ों का अपमान करता है। यूनिकार्न्स नाम के पक्षी के रूप में जन्म लेना पड़ता है। इतना ही नहीं 10 सालों तक उसे इसी योनि में रहना होता है। फिर जाकर उसे मनुष्य योनि की प्राप्ति होती है। गरुड़ पुराण में बताया है कि माता-पिता या संतान को दुखी करने वाले लोगों की अगले जन्म में धरती पर जन्म लेने से पहले ही उनकी गर्भ में मृत्यु हो जाती है। वही जो लोग महिलाओं का शारीरिक शोषण करते हैं या करवाती उन्हें अगले जन्म में भयंकर बीमारियों से पीड़ित होना पड़ता है। 




धार्मिक मान्यताओं के अनुसार किसी स्त्री की हत्या या उसका गर्भपात कराने वाले व्यक्ति को नर्क में दर्दनाक मीणाओं को झेलना पड़ता है जिसके बाद उसे चांडाल योनि में जन्म मिलता है। इसके साथ ही शादी में अड़ंगा पैदा करने वाली पापी मच्छर की योनि में जन्म लेते हैं। अगर उसे फिर से मनुष्य क्यों नहीं प्राप्त होती है तो उसका हॉट कटा हुआ होता है।



दोस्तो अपने  जाना है कि श्री कृष्ण के अनुसार मनुष्य के पाप करने की असली वजह क्या है और किस बाप के बाप किस योनि  में आपका अगला जन्म होगा। अगर आपको पहले से किसी बात की जानकारी थी तो हमें कॉमेंट कर के जरूर बताएं।

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