Tuesday 11 April 2023

अच्छे लोग के साथ बुरा क्यों होता है | acche logo ke saath hamesha bura kyu hota hai

 हेल्लो दोस्तो आज की इस पोस्ट में हम जानने वाले है की । अच्छे लोग के साथ बुरा क्यों होता है।  आदि आप भी जनना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े।



acche logo ke saath hamesha bura kyu hota hai । acche logo ke sath bura kyu hota hai | अच्छे लोग के साथ बुरा क्यों होता है।  


इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे कि आखिर अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा ही क्यों होता है जिसका वर्णन भगवत गीता में भगवान कृष्ण ने विस्तार से किया है तो चलिए बिना किसी देरी के आज के इस पोस्ट को शुरू करते हैं। 


नमस्कार मित्रों स्वागत है। आपका एक बार फिर से हमारे वेबसाइट loveislifes  पर धर्म ग्रंथों में भगवत गीता एक ऐसा धर्म ग्रंथ है जिसमें मनुष्य के मन में उठने वाले हर प्रश्न का हल विस्तार से बताया गया है। भागवत गीता में वर्णित कथा के अनुसार अर्जुन के मन में जब भी कोई दुविधा उत्पन्न होती थी, तो उसके समाधान के लिए श्री कृष्ण के पास पहुंच जाते थे। 


एक दिन की बात है। अर्जुन भगवान श्री कृष्ण के पास आए और उनसे वासुदेव मुझे एक दुविधा ने घेर रखा है और इसका समाधान आप ही बता सकते हैं। तब श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, धनंजय अपने मन की दुविधा विस्तार से बताओ तब मैं तुम्हें उसका हल बता पाऊंगा। श्री कृष्ण कृपा करके मुझे यह बताइए कि अच्छे लोगों के साथ हमेशा बुरा ही क्यों होता है जबकि बुरे लोग हमेशा खुशहाल दिखते हैं। अर्जुन के मुख से ऐसी बातें सुनकर श्री कृष्ण मुस्कुराते हुए। बोला की मनुष्य जैसा दिखता है या फिर महसूस करता है। वास्तव में बेहतर कुछ नहीं होता बल्कि अज्ञानता वश और सच्चाई को समझ नहीं पाता। श्री कृष्ण की बातें सुनकर अर्जुन है। राजगोली नारायण आप क्या कहना चाहते हैं। मेरी समझ में तो बिल्कुल नहीं आया।



 तब श्रीकृष्ण बोले, अब मैं तुम्हें एक कथा सुनाता हूं जिसे सुनने के बाद तुम समझ जाओगे कि हर एक प्राणी को उसके कर्म के हिसाब से ही फल मिलता है। अर्थात जो बुरा कर्म करता है उसे बुरा फल मिलता है और जो अच्छा कर्म करता है, उसे अच्छा फल मिलता है क्योंकि अच्छे कर्म और बुरे कर्म तो मनुष्य पर निर्भर करते हैं। 

प्रकृति प्रत्येक को अपनी राह चुनने का एक मौका देती है और इसका फैसला करना कि वह किस राह पर चलना चाहता है। यह व्यक्ति विशेष की इच्छा पर निर्भर करता है। फिर कथा सुनाते हुए श्री कृष्ण बोलते हैं। 


अच्छे लोग के साथ बुरा क्यों होता है 

एक कथा के मध्यम से जानिए 


बहुत समय पहले की बात है। एक नगर में दो पुरुष रहा करते थे। उनमें से एक पुरुष व्यापारी था जिसके लिए अपने जीवन में धर्म और नीति की। पूजा-पाठ और भगवान की भक्ति में बहुत विश्वास करता था। चाहे कुछ भी हो जाए वह रोज मंदिर जाना नहीं भूलता था ना ही दान धर्म के कार्य में किसी तरह की कमी कुछ भी हो जाए। वह नित्य भगवान की पूजा अर्चना किया करता था।


 वहीं दूसरी और उसी नगर का दूसरा पुरुष पहले वाले से बिलकुल ही विपरीत था। वह प्रतिदिन मंदिर तो जाया करता था लेकिन पूजा-पाठ के उद्देश्य से नहीं बल्कि मंदिर के बाहर से चप्पल और धन चुराने के लिए। धर्म न्याय निधि किसी से भी कुछ लेना देना ही नहीं था। इतना ही नहीं वह मंदिर जाकर वहां चोरी किया करता था। 


इस तरह समय बीतता गया और 1 दिन उस नगर में जोरों से बारिश हो रही थी। जिसकी वजह से उस दिन नगर के मंदिर में पंडित के अलावा कोई भी नहीं था। मंदिर में  यह बात जब दूसरे पुरुष को पता चली जो अधर्मी था। उसके मन में यह ख्याल आता है कि अभी यह सही मौका मंदिर के धन को चुराने का और वह बारिश में ही मंदिर पहुंच जाता है। मंदिर पहुंच गई। उस व्यक्ति ने पंडित से नजर बचाते हुए मंदिर में मौजूद सारे धन और जेवरात चुरा लिए और बड़ी प्रसन्नता से वहां से निकल गया।


 उसी समय धर्म कर्म में विश्वास करने वाला व्यापारी भी मंदिर पहुंचा और भगवान के दर्शन करने लगा, परंतु दुर्भाग्य से मंदिर का पुजारी ने व्यापारी को चोर समझ कर  शोर मचाने लगता है। चोर चोर चोर चोर सुनकर मंदिर में लोगों की भीड़ जमा हो जाती है और सभी लोग उस भले व्यापारी को ही चोर समझ बैठते हैं। 


यह देखकर वह भला व्यक्ति हैरान हो जाता है। उसे समझ नहीं आ रहा होता है कि उसके साथ आकर यह हो क्या रहा है। फिर वह किसी तरह लोगों से बचता हुआ उस मंदिर से निकल जाता है। लेकिन दुर्भाग्य ने उसका साथ वहां भी नहीं छोड़ा। मंदिर से बाहर निकलते ही वह एक गाड़ी से टकरा जाता है और घायल हो जाता है। फिर वही व्यापारी लगाते हुए घर को जाने लगा। 


तभी रास्ते में उसकी मुलाकात उस दुष्ट व्यक्ति से होती है जिसने मंदिर का धन चोरी किय और जोरों शोरों से बोलता हुआ वह जा रहा था कि आज तो मेरी किस्मत चमक गई। एक साथ वह भी इतना सारा धन मिल गया जो व्यापारी ने उस दुष्ट आदमी की बातें सुनी तो उसे बहुत ही हैरानी हुई और बहुत ज्यादा क्रोधित हो गया। उसने अपने घर जाते ही भगवान की सारी तस्वीरें निकाल कर फेंक दी और भगवान से नाराज होते हुए अपना जीवन व्यतीत करने लगा। 



कुछ समय पश्चात दोनों ही व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है और दोनों ही यमराज की सभा में पहुंचे। उस व्यापारी ने अपने बगल में उस दुष्ट व्यक्ति को खड़ा देख वह गुरुदत्त स्वर में यमराज से पूछता है जो हमेशा अच्छे कर्म करता था। पूजा पाठ धर्म में विश्वास रखता था, जिसके बदले मुझे जीवन भर सिर्फ अपमान और दर्द ही मिला और अपराध करने वाले पापी व्यक्ति को नोटों से भरी पोटली आखिर क्यों 



इस पर यमराज ने उस व्यापारी को बताया कि पुत्र तुम गलत सोच रहे हो? उस दिन तुम्हारे जीवन का आखिरी दिन था लेकिन तुम्हारे कर्मों के कारण ही तुम्हारी मृत्यु एक छोटी सी चोट में परिवर्तित हो गई और व्यक्ति के बारे में अगर आप जाना चाहते हो तो पुत्र दरअसल इस के भाग्य में राजयोग था जो कि उसके दुष्कर्म और अधर्म के कारण एक छोटे से धन की पोटली में परिवर्तित हो गया।



 श्री कृष्ण अर्जुन को सुनाने के बाद कहते हैं। क्या तुम्हें तुम्हारे प्रश्न का उत्तर मिल गया। ऐसा सोचना कि भगवान लोगों के अच्छे कर्मों को नजरअंदाज कर रहे हैं। यह बिल्कुल भी सत्य नहीं है। भगवान हमें क्या कि मनुष्य की समझ में नहीं आता। लेकिन अगर आप अच्छे कर्म करते हैं तो भगवान की कृपा सदैव आप पर बनी रहती है तो मित्रों इस कहानी से यह पता चलता है कि आपको कभी अपने कर्मों को बदलना तो नहीं चाहिए क्योंकि आपके कर्मों का फल आपको इसी जीवन में मिलता है।



 बस आपको उसका पता नहीं चलता। इसलिए मित्रों मनुष्य को चाहिए कि वह हमेशा! अच्छे कर्म करता रहे क्योंकि श्री कृष्ण ने गीता में भी बताया है कि किसी के द्वारा किया गया कर्म बेकार नहीं जाता। भले ही कर्म अच्छा हो या फिर बुरा तो मित्रों आशा करता हूं कि आप भी इस कथा का अनुसरण करेंगे। आज की यह कथा यहीं समाप्त होती है। अगर आपको हमारी यह कथा पसंद आई हो तो इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करिएगा। 



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