नमस्कार दोस्तों आप सभी को स्वागत है आज का इस New Post के साथ ।जिसका title हैं।दिवाली क्यों मनाया जाता है | diwali kyu manaya jata hai,दिवाली क्यों मनाते है।दिवाली क्यों मनाई जाती है इन हिंदी।
दिवाली क्यों मनाया जाता है | diwali kyu manaya jata hai,दिवाली क्यों मनाते है।दिवाली क्यों मनाई जाती है इन हिंदी।
दोस्तो जैसा कि हम सभी जानते हैं। दिवाली भारत में मनाए जाने वाले सबसे अहम त्योहारों में से एक है या फिर कह लीजिए। यह सब का त्यौहार है। लेकिन क्या आप जानते हैं दिवाली केवल भारत में ही नहीं मनाई जाती बल्कि पूरी दुनिया में दिवाली लोग मनाते हैं और सिर्फ ऐसा ही नहीं है कि केवल हिंदू धर्म के लोग इस त्योहार को मनाते हैं
बल्कि।हिंदू धर्म के अलावा सिख और जैन जैसे अलग-अलग धर्म दिवाली के इस पावन अवसर बडे़ धूम धाम से मानते है दिवाली की सबसे खास बात यह है की मनाया तो दुनिया के अलग अलग कोनो में जाता है । लेकिन हर एक धर्म और जगह इसे मनाने कर अलग है जिसके बारे में आज हम आपको बताएंगे
क्योंकि दिवाली से जुड़ी इंटरेस्टिंग फैक्ट। आपके होस उड़ने के लिए तयार है
दिवाली के बारे में अगर हम सबसे पहले फैक्ट बात करें। यह दुनिया की कुछ चुनिंदा त्योहारों में से एक है जो धर्म जाति के बंधन को तोड़ कर सभी धर्मों और अलग-अलग देश के अलग-अलग कोनों में तहे दिल से मनाया जाता है। हां, भले ही हिंदू धर्म के लोग इसे अपना त्यौहार मानते हो। लेकिन अलग-अलग धर्म के लोग भी अपने अलग-अलग कारणों की वजह से दिवाली को बड़े प्यार और उत्साह के साथ मनाते हैं।
इसलिए दिवाली की रात की धूम एक अलग होती है जहां अमावस्या की रात को लोग खुशियों की ऐसी रोशनी कर देते हैं कि पूरी दुनिया जगमग आ जाती है। इस त्यौहार के दौरान लोग अपने घरों को दिए और लाइटिंग से सजा देते हैं और हिंदू धर्म में धन की देवी लक्ष्मी और विघ्नहर्ता गणेश जी की अहम रूप से पूजा होती है।
दोस्तो तो दिवाली के बारे में दूसरी सबसे रोचक चीज यह है कि यह एक ऐसा त्यौहार है जिसके पीछे।
सबकी अपनी अलग-अलग कहानियां है। आपको दुनिया के किसी कोने में दिवाली मनाने वाले लोग इसके पीछे की कहानी सुनाएंगे और वही आप अगर दूसरे कोने में जाएंगे तो वहां पर आपको इस त्यौहार को मनाने की दूसरी कहानी सुनाई जाएगी। हर धर्म और जाति के लोग अपने अपने हिसाब से से बनाते हैं।
अब इसके पीछे के कितने कहानी है, उस में कितनी सच्चाई है, चलिए जानते हैं। अगर हम दिवाली मनाए जाने की सबसे पहले कारण की बात करें। अधिकतर हिंदू धर्म के लोगों का ऐसा लगता है कि दिवाली के दिन माता लक्ष्मी धरती पर आती हैं। यही वजह है कि दिवाली से पहले साफ सफाई शुरू हो जाती है ताकि घर की सभी नेगेटिव एनर्जी चली जाए और जब माता लक्ष्मी घर पर आए तो उनके ऊपर भी उनकी कृपा बरसाए। इसलिए दिवाली पर देवी लक्ष्मी की पूजा भी की जाती है।
अब हम दूसरी मान्यता के बारे में बात करें तो जैन धर्म ऐसा माना जाता है कि वही दीन है जब महावीर ने मुक्ति प्राप्त की थी। इसलिए जैन धर्म के लोग भी दिवाली को बड़े प्यार से मनाते हैं
और ऐसा हि ठीक है सीख धर्म में भी देखने को मिलता है जहां यह कहा जाता है। दिवाली ही यो दिन है जब सिख धर्म के गुरु हरगोविंदजी आजाद हुए थे। असल में मुगलों द्वारा बंदी बना लिया गया था और इनके साथ-साथ कई और लोग भी बंदी थे, जिनकी छूटने के कोई भी गुंजाइश नजर नही आ रही थी फिर इन्हें आजाद कर दिया गया और अमावस्या के दिन ही आजाद हुवे थे इसलिए सिख धर्मे में भी दिवाली की आजादी के खुशियो। के तौर पर मनाया जाता है
हम दिवाली मानने के अगले कारण या कलेरी के कहनी पर आएं तो हिंदू धर्म की यह मानतय्या है की जब भगवन राम रावण को मार कर माता सीता को वापस अयोध्या लेकर आए थे तो लोगों ने इस चीज की खुशियां दीए जलाकर मनाई थी और इसीलिए दिवाली के पावन अवसर को हिंदू धर्म के लोग बनाते हैं और हमें पूरा विश्वास है कि अगर आप हिंदू धर्म से ताल्लुक रखते हैं तो आपने भी इस कहानी को जरूर सुना होगा
और दोस्तों अगर हम भारत के दक्षिणी इलाके में जाएं तो वहां पर दिवाली मनाने का अलग ही कारण बताया जाता है जिसमें लोगों का मानना है कि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत हुई थी जो कि शुरू में ही हम सुनते आ रहे हैं, लेकिन यहां पर कहानी कुछ और ही बताई जाती है। लोग मानते हैं कि यही वो दिन था जहा भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। वैसे तो आप लोगों को पता होगा कि नरकासुर एक राक्षस था जो हर तरफ अपना आतंक फैलाना चाहता था और जब भगवान कृष्ण को एहसास हुआ, तो उसे मारना ही बुराई का अंत होगा तो भगवान कृष्ण का वध कर दिया। यानी उसे मार दिया।
आप लोगों ने दीवाली मनाए जाने की अलग-अलग कहानियां तो सुन ली लेकिन इसकी कुछ महत्व अभी है क्योंकि जहां बाकी। हिन्दू त्योहारों में निमित रूप से ही चीजें बनाई और खाई जाती है वहीं दिवाली में लोग दिल। खोल कर खाना बनाते हैं। खासतौर पर दिवाली के शुभ अवसर पर लोग मिठाई तो जरूर खाते हैं। फिर चाहे गरीब हो या अमीर हर घर में आप लोगों को एक-दूसरे का मुंह मीठा करते हुए दिखेंगे क्योंकि हर एक तरफ से दीवाली खुशियां फैलाती है और मीठा खाने से हमारे अंदर भी खुश रहने वाले हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं , यानी कि हर तरह से दीवाली खुशियां लेकर आती है। ऐसे में कोई जरुरी नही है की मिठाई खाई जाई बल्की तरण तरह के कई सारी पकवान दिवाली के अवसर पर बनते हैं।
जिसे लोग बड़ी चल से खाते है ऐसे में हम अगर कहे की दिवाली खुसियो के त्यौहार है और इसके साथ = साथ खाने-पीने का भी त्यौहार है। ।
तो ऐसा ही कोई गलत बात तो होगा नही बाकी अगर आप भारत के नॉर्थ वाला इलाका में रहते है तो आप को उचित पता होगी की भारत में दिवाली 5 दिनों का त्योहार है लेकिन देश के कुछ इलाके ऐसे भी हैं जहां पर यह केवल एक ही दिन त्यौहार होता है और यह त्यौहार कब मनाया जाता है, इसकी कोई फिक्स डेट नहीं होती बल्कि यह चांद के हिसाब से मनाया जाता है। यानी कि अक्टूबर के अंत से लेकर नवंबर महीने की शुरुआत तक में जिस भी दिन अमावस्या की रात पड़ती है, उस दिन को दिवाली के तौर पर मनाया जाता है। इस अमावस वाली रात को कार्तिक अमावस्या कहते हैं।
यहां केबल लाइट का नही एक दूसरे को गिफ्ट भी देते हूं और न्यू कपड़े पहनते है और एक दूसरे के घर मिलने मिलने जाते हैं और कई सारे चीजे दिवाली के अवसर पर की जाती हैं।
बाकी आप दिवाली में क्या करना पसंद करते हैं। हमें कमेंट में बताइए आपके दिवाली पर त्यौहार कितना अच्छा लगता है। यह भी हम जरूर जानना चाहेंगे।
No comments:
Write comment