Friday 9 June 2023

महिला श्मशान घाट क्यों नहीं जाती है?श्मशान में महिलाओं का प्रवेश वर्जित क्यों है? श्मशान घाट में महिलाएं क्यों नहीं जाती है

 नमस्कार दोस्त आज की पोस्ट में हम जाने वाले हैं कि महिला श्मशान घाट क्यों नहीं जाती है? श्मशान घाट में महिला क्यों नहीं जाती ? श्मशान में महिलाओं का प्रवेश वर्जित क्यों है? अगर आप भी जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़े 

महिला श्मशान घाट क्यों नहीं जाती है?श्मशान में महिलाओं का प्रवेश वर्जित क्यों है?

महिला श्मशान घाट क्यों नहीं जाती है?श्मशान में महिलाओं का प्रवेश वर्जित क्यों है? श्मशान घाट में महिलाएं क्यों नहीं जाती है

दोस्तो हिन्दू धर्म में अंतिम संस्कार से  जुड़ी कई मान्यताएं है जिसके बारे में अधिकतर लोग नहीं जानते और उन्हें मान्यताओं में एक है कि जब भी किसी की मृत्यु हो जाए तो परिवार की महिलाओं को अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट नहीं जाना चाहिए। 

हिंदू पुराणों में महिलाओं को श्मशान घाट जाना वर्जित बताया गया है और साथ ही यह भी बताया गया है कि महिलाओं को श्मशान घाट क्यों नहीं जाना चाहिए। आज के इस पोस्ट में हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि आखिर महिलाओं का श्मशान घाट जाना वर्जित क्यों है।

 इसका वर्णन गरूड़ पुराण में  किया गया है हालाकी आज के समय  कई जगह मेहिलय अंतिम संस्कार के दौरान श्मशान घाट जाने लगी है। ऐसे में हर हिंदू के लिए यह जानना आवश्यक हो जाता है कि आखिर पुराणों में इसे वर्जित क्यों माना  गया है और इसके पीछे का कारण क्या है। तो दोस्तो अब बिना किसी देरी की आइए जानते हैं इन कारणों के बारे में आज की इस  न्यू पोस्ट में 

गरूड़ पुराण में वर्णित कथा के अनुसार महिलाओं को पुरुषों की अपेक्षा कमजोर दिल का मना जाता है और ऐसी मान्यता है कि यदि मृत शरीर को अग्निताहा  देते समय कोई  रोता है तब । उस व्यक्ति की आत्मा को शांति नहीं मिलती और महिलाओं का शव चलते समय देखना और रोए बिना रुक जाना असंभव है। 

इसीलिए महिलाओं को श्मशान घाट ले जाना  वर्णित है l श्मशान घाट में और भी ऐसी चीजें हैं जिनका देखना महिलाओं और बच्चों के लिए उचित नहीं है जेसे साव को चलाने से पूर्व उसके कापड़ पर डंडे से मारा जाता है जो कि परंपरा है लेकिन महिलाओं और बच्चों के लिए यह दृश्य देखना उनको मानसिक स्तर पर भी प्रभावित कर  करता है। 

 और बहुत बार साव जलते समय अकड़ने का आवास करता है जो कि महिलाओं और बच्चों को डरा भी सकता है। इसीलिए उन्हें इस प्रक्रिया से दूर रखा जा रहा उचित समझा गया है। 

प्रत्येक धर्म की अपनी अलग अलग संस्कृति और मान्यताएं होती है। इसी तरह हमारे हिंदू धर्म में भी कुछ और ऐसी मान्यताएं महिलाओं के शमशान में जाने को लेकर प्रचलित है जिसके बारे में जानने के लिए बने रहिए।पोस्ट को अंत तक

 गरुड़ पुराण में वर्णित मानेताओं में से एक मान्यता यह भी है कि शव को ले जाने के बाद घर को धार्मिक रूप से पवित्र और शुद्ध बनाया जाना बहुत आवश्यक है। इसके लिए किसी का घर पर रहकर इस कार्य को पूर्ण विधि-विधान से करना अनिवार्य है। यह जिम्मेदारी महिलाएं अच्छी  निभा सकती है 

यही सोचकर पुरुषों को श्मशान घाट जाकर साव की  अग्रिता की जिम्मेदारी सौंपी गई है और जिम्मेदारी के दूसरे पहलू को निभाने का पुत्तर दाई  महिलाओं को मना गया हैं जिसे  महिला पुरुष के घरआनेके बाद उन्हें स्नान  कराने और पवित्र करने का कार्य करती है। 

इसके पीछे का एक दूसरा कारण यह भी है कि जब शव जलाया जाता है, तब  वातावरण में कीटाणु पाए जाते हैं। शरीर की कोमल भागो  पर चिपक कर की बीमारी का कारण बन सकते हैं। इसीलिए घर में प्रवेश करने से पहले उनके शरीर पर चिपके उनकी कीटाणु और नकारात्मक ऊर्जा को घर के बाहर ही छोड़ने के लिए ऐसा किया जाता है

सुध के बाद ही उन्हें घर में प्रवेश करने की अनुमति होती है। यदि ऐसा नहीं किया जाता तो इसे  असुभ और घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश माना जाता है 

 कुछ और ऐसी धार्मिक ग्रंथों और हिंदू धर्म पर आधारित कारणों के बारे में जिसे  जानना आपके लिए आवश्यक है। यदि आप भूत प्रेत पर बिस्वास करते है तो आप इस कारण को ज्यादा अच्छे से समझ पाएंगे। ऐसा कहा जाता है कि शमशान घाट में बुरी आत्माओं का  आभास होता है जो कि पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की तरफ जायद अकारसेट होते है और खासकर कुमारी महिलाओं की तरह माना जाता है कि भूत प्रेत अपना प्रभाव कुमारी महिलाओं पर ज्यादा डालते हैं और अपने अपने बस में कर उनके शरीर में प्रवेश करते हैं। 

 भूत प्रेत की भेव और  प्रभाव से बचने के लिए महिलाओं को श्मशान घाट ले जाने से डरा जाता है। हिंदू धर्म की संस्कृति के अनुसार यह भी कहा जाता है कि जो भी परिवार का सदस्य श्मशान घाट जाकर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में शामिल होता है, उसके लिए अपना सिर मुंडवाने अनिवार्य हो जाता है। चाहे फिर वह स्त्री हो या पुरुष के लिए परंपरा का पालन करना जरूरी है। इस परंपरा को ध्यान में रखते हुए 

 महिलाओं को श्मशान घाट नहीं जाने दिया जाता है। क्युकी किसी भी स्त्री के लिए पूर्ण रूप से अपने बालों को मुंडन करवाना असंभव नहीं 

 पुरुषों के लिए मुंडन करवाना कोई  गंभीर समस्या नहीं , परंतु महिलाओं के लिए ऐसा करना उनके हिंदू धर्म में वर्णित रूप से खिलाफ है। यह आवश्यक नहीं कि  ऐसा सभी करते हैं। लोगों की मनोवृति पर निर्भर करता है कि वह कौन सी मान्यताओं और परंपराओं को मानना चाहते हैं क्योंकि आजकल कई महिलाएं परंपराओं को नजरअंदाज करते हुए अंतिम संस्कार। होती है परंतु मुंडन की  परंपरा को नहीं मानती 

 यह तो अपने कई बार सुना होगा कि हमारी संस्कृति हमारी पहचान है। इसीलिए उस संस्कृति को आगे बढ़ाना और निभाना, हमारी जिम्मेदारी बन जाती। हालाकी संस्कृति और परंपराओं का पालन करना प्रत्येक की अपनी इच्छा पर निर्भर करता है परन्तु  बहुत से लोग इसे अंधविश्वास मानकर नज़रअंदाज़ कर लेते हैं। ऐसा नहीं है कि धर्म में वर्णित मान्यता यह परंपरा का कोई आधार नहीं प्रेतेक का  अपना एक कारण महत्व और संकेत है इसे सिर्फ जनने की  आवश्यकता है।

श्मशान घाट में महिलाएं क्यों नहीं जाती है

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