Tuesday 1 March 2022

2022 mein sakat chauth kab hai ।2022 में सकट चौथ कब है।sakat chauth 2022

 नमस्कार दोस्तों आप सभी को स्वागत  है आज का इस New Post  के साथ जिसका title है।2022 में सकट चौथ कब है।2022 mein sakat chauth kab hai। अगर आप लोग भी जानना चाहते हैं तो इस पोस्ट को अंत जरुर पढ़े।

2022 mein sakat chauth kab hai ।2022 में सकट चौथ कब है।sakat chauth 2022

 दोस्तों आज हम इस पोस्ट  में बात करेंगे। सकट चौथ व्रत 2022 में कब मनाया जाएगा क्योंकि इसकी तारीख को लेकर इस बार काफी कंफ्यूजन चल रहा है। इस पोस्ट  में आपको सकट चौथ व्रत की सही तारीख के बारे में बताऊंगी और इसकी पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा और सकट चौथ वाले दिन चांद निकलने का सही समय क्या है, यह भी बताऊंगी। साथ ही सकट चौथ की संपूर्ण पूजा विधि बताऊंगी।

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तो आइए शुरू करते हैं दोस्तों हर मास  दो चतुर्थी तिथि आते हैं। एक शुक्ल पक्ष में जैसे विनायकी चतुर्थी कहते हैं तो वहीं दूसरी प्रश्न पक्ष में जिसे संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है, लेकिन इन सभी में माघ मास की संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व माना गया है। जैसे सकट चौथ, संकटा चौथ मांगी, चौथ तिलकुट चौथ के नाम से भी जाना जाता है। 

आपको बता दें कि संकष्टि चतुर्थी का अर्थ क्या  होता है। संकटों का हरण करने वाली चतुर्थी इस भगवान गणेश जी की पूजा होती है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और उनके खुशाल जीवन की कामना करते हैं। इस दिन व्रत रखकर भगवान गणेश जी की विधिवत पूजा की जाती है और उन्हें तिल के लड्डू का भोग लगाया जाता है। रात्रि में चंद्र। चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान गणेश सभी संकटों से मुक्ति दिलाते हैं


2022 mein sakat chauth kitne tarikh ki hai

 तो चलिए हम जानते हैं। साल 2022 में सकट चौथ का व्रत कब रखा जाएगा तो दोस्तों सकट चौथ का व्रत 21 जनवरी 2022 दिन शुक्रवार को रखा जाएगा और चतुर्थी तिथि की शुरुआत 21 जनवरी 2022 की सुबह 8:51 पर हो जाएंगे और चतुर्थी की समाप्ति जनवरी 2022 की सुबह 9:14 पर होगी और इस दिन चंद्रोदय का समय 21 जनवरी की रात को 9:00 रहेगा 

तो चलिए जानते हैं। सकट चौथ व्रत की पूजा विधि के बारे में दोस्तों सकट चौथ के दिन भगवान गणेश जी के साथ-साथ चंद्र देव की पूजा भी की जाते है । इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद तारों की छांव में ही व्रत का प्रारंभ करते हुए शुरू किया जाता है और व्रत का संकल्प लिया जाता है।

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 इसके बाद गणेश जी की पूजा करें। फिर आप पूरा दिन अपने मन में गणेश जी का ध्यान करें। मंत्र जाप करें और जब सूर्यास्त हो जाए तब उन्हें स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और गणेश जी की पूजा की तैयारी करें। सर्वप्रथम पूजा स्थल को गंगाजल छिड़क कर सुंदर कर ले और एक लकड़ी की चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश जी की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। 

अब इसके बाद आप कलश की स्थापना करें। सबसे पहले चावल से अष्टदल कमल बना ले और कलश में जल। थोड़ा सा गंगाजल भरकर उसमें एक सिक्का सुपारी हल्दी की गांठ और फूल डाल कर उसके ऊपर पांच फलों रखकर नारियल स्थापित करें और आप कलर्स पर स्वास्तिक का चिन्ह भी बना ले और कलर्स के मुख पर मौली बांधने और नारियल को भी आप लाल कपड़े में लपेटकर मौली बांधकर इस पर स्थापित करें। 

इसके बाद आप गणेश जी की विधिवत पूजा अर्चना करें। दोस्तों सर्वप्रथम गणेश जी को तिलक करें और अक्षत अर्पित करें। फिर आप गणेश जी को फूल माला चढ़ाएं। साथी गणेश जी को दूर्वा भी अर्पित करें और नैवेद्य में तेल तथा गुड़ के बने हुए लड्डू शकरकंद, अमरुद गुड़ और घी का भोग लगाएं और धूप दीप जलाकर गणेश जी की पूजा करें। 

कहीं-कहीं पर इस दिन तिलकुट का बकरा भी बनाया जाता है या तिलकुट का पहाड़ बनाते हैं और पूजन के बाद इस तिलकुट के बकरे की गर्दन का कोई बच्चा काटता है। इसके बाद आप भगवान गणेश जी के मंत्र का एक माला जाप करें। ओम गन गणपतए नमः ओम श्री गणेशाय नमः मंत्र का जाप करें। इसके बाद सकट चौथ व्रत की कथा सुनने कपड़े फिर आप गणेश जी की आरती करके विधिवत पूजा को संपन्न करें। फिर इसके बाद चंद्र पूजन की तैयारी करें।

 दोस्तों चतुर्थी के दिन चंद्रोदय हो तो चंद्रमा की पूजा करके अर्थ देना चाहिए और चंद्रमा को जल अर्पित करें। आप चंद्रमा को दूध दिखाएं और तिल गुड़ का भोग लगाएं और उनसे आशीर्वाद ले। फिर इसके बाद ही आप अपनी व्रत का पारण करें। दोस्तों यह जानकारी आपको अच्छी लगे तो कमेंट में जय माता दी जरूर लिखे और अगर आपका कोई सवाल हो तो उसे कमेंट बॉक्स में अवश्य पूछ लेंं

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